×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

अब सौतेले माता-पिता की संपत्ति में भी मिलेगा हक, 16 तारीख से लागू होंगे नए नियम

aman
By aman
Published on: 8 Jan 2017 7:41 PM IST
अब सौतेले माता-पिता की संपत्ति में भी मिलेगा हक, 16 तारीख से लागू होंगे नए नियम
X

नई दिल्ली: अब सौतेले माता-पिता अपने बच्चों को राष्ट्रीय दत्तक संस्था के जरिए गोद ले सकते हैं। साथ ही उनके साथ अपने संबंध को कानूनी रूप दे सकते हैं। नए नियम 16 जनवरी से प्रभावी होंगे। इस कानून के तहत रिश्तेदार भी बच्चों को गोद ले सकेंगे।

इस संबंध में केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) के सीईओ लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक कुमार ने कहा, 'भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है, जो सौतेले माता या पिता और सौतेले बच्चे के बीच वैधानिक संबंध की व्याख्या करता हो। बच्चे के सौतेले माता-पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता। बच्चा भी अपने सौतेले माता या पिता की उनकी वृद्धावस्था में देखभाल करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं होता। इन्हीं खामियों को हम दूर करना चाहते हैं।'

सरकार ने कानून को व्यापक किया

कारा केंद्र सरकार के अधीन एक संस्था है, जो देश में सभी दत्तक प्रक्रियाओं की निगरानी और नियमन करती है। पहले केवल अनाथ, छोड़ दिए गए या संरक्षण छोड़े गए बच्चे को ही गोद लिया जा सकता था। लेकिन अब सरकार ने गोद दिए जा सकने वाले बच्चों की परिभाषा को और व्यापक करते हुए इसमें किसी संबंधी का बच्चा, पूर्व विवाह से पैदा हुआ बच्चा या जैविक माता-पिता द्वारा जिस बच्चे का संरक्षण छोड़ दिया गया हो, उन्हें भी शामिल कर दिया है जिसके चलते ऐसे बच्चों को भी अब गोद लिया जा सकता है।

आगे की स्लाइड में पढ़ें पूरा क़ानूनी प्रोसेस ...

दूसरे जैविक जनक की मंजूरी जरूरी

सौतेले माता या पिता के मामले में दंपत्ति, जिसमें से एक बच्चे का जैविक जनक हो, उसे बाल दत्तक संसाधन सूचना एवं मार्गदर्शन प्रणाली में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। लेकिन गोद लेने के लिए दूसरे जैविक जनक की मंजूरी की जरूरत होगी। साथ ही दत्तक आदेश प्राप्त करने के लिए अदालत में आवेदन देना होगा।

अब लेनी होगी इजाजत

इसी तरह, किसी संबंधी द्वारा गोद लेने के मामले में संभावित माता-पिता को बच्चे के जैविक माता-पिता से मंजूरी लेनी होगा। यदि जैविक माता-पिता जीवित नहीं हैं तो बाल कल्याण समिति से इजाजत लेनी होगी।

कानून में ये हुआ संशोधन

ये नियम किशोर न्याय अधिनियम 2015 से लिए गए हैं जिसमें 'रिश्तेदार या संबंधी' शब्द की व्याख्या ‘चाचा या बुआ, मामा या मौसी, दादा-दादी या नाना-नानी’ के रूप में की गई है। इन दो श्रेणियों में दत्तक प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए गोद लेने वाले संभावित माता-पिता के लिए आयु सीमा भी खत्म कर दी गई है। हिंदू कानून में दत्तक ग्रहण, हिंदू दत्तक ग्रहण एवं देखभाल अधिनियम, 1956 के तहत आता है जिसमें कई तरह की बंदिशें हैं।



\
aman

aman

Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

Next Story