स्पीकर के मुद्दे पर एक तीर से दो निशाने साध सकती है BJP, चंद्रबाबू नायडू के लिए इस महिला नेता का विरोध करना मुश्किल

New Lok Sabha Speaker: केंद्र सरकार के लगभग सभी महत्वपूर्ण मंत्रालय भाजपा ने अपने हाथ में ही रखे हैं। इसके साथ ही सहयोगी दलों को संतुष्ट करने का प्रयास भी किया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 11 Jun 2024 3:50 AM GMT (Updated on: 11 Jun 2024 4:56 AM GMT)
स्पीकर के मुद्दे पर एक तीर से दो निशाने साध सकती है BJP, चंद्रबाबू नायडू के लिए इस महिला नेता का विरोध करना मुश्किल
X

डी पुरंदेश्वरी , चंद्रबाबू नायडू  (photo: social media ) 

New Lok Sabha Speaker: प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अपने सहयोगी मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा भी कर दिया। विभागों को लेकर सहयोगी दलों के दबाव की चर्चाएं थीं मगर प्रधानमंत्री मोदी ने विभाग बंटवारे के जरिए एक बार फिर अपनी मजबूती का संदेश दिया है। केंद्र सरकार के लगभग सभी महत्वपूर्ण मंत्रालय भाजपा ने अपने हाथ में ही रखे हैं। इसके साथ ही सहयोगी दलों को संतुष्ट करने का प्रयास भी किया है।

अब सबकी निगाहें लोकसभा के नए स्पीकर पर लगी हुई है। स्पीकर पद को लेकर भाजपा के दो सहयोगी दलों टीडीपी और जदयू की ओर से दबाव बनाने की बात कही जा रही है मगर स्पीकर के मुद्दे पर भी भाजपा ने एक तीर से दो निशाने साधने की तैयारी कर ली है। भाजपा की ओर से स्पीकर पद के लिए डी पुरंदेश्वरी का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है जो कि रिश्ते में टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू की साली लगती हैं। उनका विरोध करना नायडू के लिए भी काफी मुश्किल होगा और इसके जरिए भाजपा अपना स्पीकर बैठाने में भी कामयाब हो सकती है।

एनटी रामाराव की बेटी हैं डी पुरंदेश्वरी

भाजपा नेता डी पुरंदेश्वरी ने इस बार राजमुंदरी लोकसभा सीट से चुनाव जीता है। 1959 में पैदा होने वाली पुरंदेश्वरी आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और दक्षिण भारत में अपने जमाने के सबसे कद्दावर नेता एनटी रामाराव की दूसरे नंबर की बेटी हैं। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई चेन्नई से की है और उन्हें काफी प्रतिभाशाली माना जाता रहा है।

जानकारों का करना है कि वे पांच भाषाओं में पूरी तरह दक्ष हैं। वे हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगू और फ्रेंच भाषा की अच्छी जानकार हैं। इन पांच भाषाओं को बोलने, पढ़ने और लिखने में उन्हें महारत हासिल है। इसके साथ ही वे कुचिपुड़ी में भी दक्ष हैं। 1979 में उनका विवाह दग्गुबाती वेंकटेश्वर राव से हुआ था और उनके एक बेटा हितेश और बेटी निवेदिता है।

आंध्र प्रदेश के बंटवारे पर दिया था कांग्रेस से इस्तीफा

डी पुरंदेश्वरी पहले कांग्रेस में थीं और मनमोहन सरकार के समय उन्होंने महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। पुरंदेश्वरी 2009 में केंद्र की मनमोहन सरकार में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री भी रह चुकी हैं। 2012 में उन्हें UPA सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री का पद दिया गया।

आंध्र प्रदेश को बांट कर दो राज्य बनाने के मसले पर वे कांग्रेस से नाराज हो गई थीं। उस समय उन्होंने बयान दिया था कि जिस तरह कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश को बांटकर तेलंगाना को अलग राज्य बनाया है,उससे उन्हें काफी दुख पहुंचा है।

इसी नाराजगी के बाद उन्होंने 7 मार्च 2014 को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। मौजूदा समय में वे आंध्र प्रदेश भाजपा की अध्यक्ष हैं। वे महिला मोर्चा की प्रभारी रहने के साथ ही ओडिशा और छत्तीसगढ़ की प्रभारी भी रह चुकी हैं। पुरंदेश्वरी को विनम्रता के साथ ही तेजतर्रार रुख के लिए भी जाना जाता है। यही कारण है कि उन्हें दक्षिण भारत की सुषमा स्वराज भी कहा जाता रहा है।

पुरंदेश्वरी का विरोध करना चंद्रबाबू के लिए मुश्किल

पुरंदेश्वरी के साथ दिलचस्प बात यह है कि वे टीडीपी मुखिया चंद्रबाबू नायडू की रिश्ते में साली लगती हैं। टीडीपी की ओर से स्पीकर पद पर दावेदारी की बात कही जा रही है। ऐसे में अगर भाजपा की ओर से पुरंदेश्वरी का नाम आगे किया जाता है तो उनका विरोध करना चंद्रबाबू नायडू के लिए भी काफी मुश्किल हो जाएगा।

पुरंदेश्वरी के बारे में एक बात और उल्लेखनीय है कि जब चंद्रबाबू नायडू ने अपने ससुर एनटी रामाराव की सरकार का तख्तापलट किया था, उस समय पुरंदेश्वरी ने चंद्रबाबू नायडू का साथ दिया था। इस कारण भी माना जा रहा है कि भाजपा की ओर से पुरंदेश्वरी का नाम आगे किए जाने पर चंद्रबाबू नायडू उनके नाम का विरोध नहीं कर पाएंगे। इस तरह भाजपा एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश में जुटी हुई है।

कम्मा वोट बैंक पर भी भाजपा की निगाहें

इसके साथ ही एक गौर करने वाली बात यह भी है कि चंद्रबाबू नायडू कम्मा समुदाय के हैं जिसे आंध्र प्रदेश की राजनीति में काफी प्रभावशाली माना जाता रहा है। इस समुदाय को टीडीपी का परंपरागत वोटर माना जाता रहा है। इस कारण यह भी माना जा रहा है की पुरंदेश्वरी के बहाने भाजपा टीडीपी के ट्रेडिशनल वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में भी जुटी हुई है।

आंध्र प्रदेश से बन सकती हैं दूसरी स्पीकर

यदि पुरंदेश्वरी को लोकसभा का स्पीकर चुना जाता है तो वे इस पद पर पहुंचने वाली आंध्र प्रदेश की दूसरी सांसद होंगी। उनसे पहले आंध्र प्रदेश के जीएमसी बालयोगी बारहवीं लोकसभा के अध्यक्ष रह चुके हैं।

1998 में एक वोट से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरने के पीछे जीएमसी बालयोगी को बड़ा कारण माना गया था। उन्होंने कांग्रेस के गिरधर गोमांग को मत डालने की अनुमति दे दी थी। इसे लेकर काफी हंगामा हुआ था और आखिरकार एक वोट से ही अटल सरकार गिर गई थी।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

Next Story