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New Parliament Building: PM मोदी ही करेंगे नए संसद भवन का उद्घाटन, SC से याचिका खारिज
New Parliament Building: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्देश देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया।
New Parliament Building: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्देश देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने ये याचिका सुनने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये याचिका सुनने लायक ही नहीं है। साथ ही कहा कि गनीमत है कि याचिकाकर्ता पर जुर्माना नहीं लगा रहे हैं।
दरअसल, नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराने की मांग को लेकर बीते दिन 25 मई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। ये याचिका एडवोकेट सीआर जया सुकिन द्वारा दायर दायर की गई थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से ही इनकार कर दिया है।
याचिका में की गई ये मांग
एडवोकेट सीआर जया सुकिन द्वारा दायर की गई याचिका में नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों से कराने की मांग की गई थी। कहा गया है कि लोकसभा सचिवालय ने उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति को न बुलाकर संविधान का उलंघन किया है और संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है। संसद भारत की सर्वोच्च संस्था है। भारत में राष्ट्रपति दोनों सदनों, राज्यसभा और लोकसभा को बुलाने या फिर रोकने की ताकत रखते हैं। इसलिए नए संसद भवन का उदघाटन राष्ट्रपति के द्वारा ही करना चाहिए।
21 दलों ने किया बहिष्कार तो 25 पार्टियों का समर्थन
28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में करीब 25 दलों की शामिल होने की संभावना है। वहां जानकारी के मुताबिक अत तक 21 दलों ने उदघाटन कार्यक्रम का बहिष्कार करने की घोषणा की है। भारतीय जनता पार्टी ने उदघाटन समारोह में शामिल होने के लिए विपक्षी दलों से अपील की है। बीजेपी ने अपील करते हुए कहा है कि सभी राजनीतिक दलों के लोग बड़ा दिल दिखाते हुए नए संसद भवन के उदघाटन समारोह का हिस्सा बनें।
संसद भवन का उद्घाटन एक एतिहासिक अवसर: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 28 मई को प्रधानमंत्री नए संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित कर भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में नया अध्याय जोड़ने जा रहे हैं। नया संसद भवन भारत के लोकतांत्रिक संकल्प के साथ 140 करोड़ भारतीयों के स्वाभिमान और उनकी आकांक्षाओं की भी अभिव्यक्ति है। संसद भवन का उद्घाटन एक एतिहासिक अवसर है जो 21वीं सदी में फिर नहीं आएगा। हमें संवैधानिक सत्र और सार्वजनिक समारोह में अंतर समझना चाहिए। मैं आग्रह करूंगा कि जिन राजनीतिक दलों ने बहिष्कार का निर्णय लिया है वे अपने फैसले पर राजनीतिक लाभ हानी से परे जाकर फिर विचार करें।