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NMC New Rules: अब नहीं चलेगी डॉक्टर्स की मनमानी, पढ़ लें ये नियम, दवा लिखने के दौरान नहीं चलेगा ऐसा

NMC New Rules: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के नए नियमों के अनुसार, अब डॉक्टरों को प्रिस्क्रिप्शन में केवल जेनेरिक दवाएं लिखनी होंगी। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन में केवल यह लिखेगा कि उस बीमारी के लिए मरीज को क्या फॉर्मूला लेना है, न कि किसी ब्रांड की दवा का नाम।

Krishna Chaudhary
Published on: 13 Aug 2023 7:14 AM GMT
NMC New Rules: अब नहीं चलेगी डॉक्टर्स की मनमानी, पढ़ लें ये नियम, दवा लिखने के दौरान नहीं चलेगा ऐसा
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NMC New Rules (Photo: Social Media)

NMC New Rules: डॉक्टर्स पर मरीजों को महंगी दवाएं लिखने के आरोप लगते रहे हैं। उन पर निजी दवा कंपनियों से मिलने वाले कमिशन के एवज में पेशेंट को उस कंपनी विशेष का ड्रग खरीदने के लिए दबाव बनाने के आरोप लगते हैं। जाहिर तौर पर वो ड्रग कंपनी मरीज को महंगी कीमत पर दवा बेचती है, जिससे उनपर अनाश्यक आर्थिक बोझ पड़ता है। डॉक्टर्स की इस मनमानी पर अब नकेल कसने की तैयारी है।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के नए नियमों के अनुसार, अब डॉक्टरों को प्रिस्क्रिप्शन में केवल जेनेरिक दवाएं लिखनी होंगी। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन में केवल यह लिखेगा कि उस बीमारी के लिए मरीज को क्या फॉर्मूला लेना है, न कि किसी ब्रांड की दवा का नाम। इस नए नियम की अवहेलना करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कड़ा एक्शन भी लिया जाएगा। यहां तक कि कुछ समय के लिए उनका लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है, यानी वे प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे।

2 अगस्त को एनएमसी द्वारा जारी प्रोफेशनल कंडक्ट ऑफ रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर रेगुलेशन में बताया गया है कि आखिर इस मामले में नया नियम बनाने की जरूरत क्यों आन पड़ी। बताया गया कि इस तरह के नियम इंडियन मेडिकल काउंसिल (आईएमसी) की ओर से 2002 में ही जारी किए गए थे। लेकिन तब ऐसे मामलों में सजा का कोई प्रावधान नहीं किया गया था। जिसके कारण डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन में जेनरिक दवाएं न लिखकर खुलेआम नियम की धज्जियां उड़ा रहे थे।

लोगों को राहत देने की कोशिश

ब्रांडेड दवाओं की तुलना में जेनरिक दवाएं सस्ती होती हैं। एनएमसी के मुताबिक, जेनरिक दवाएं से 30 से 80 प्रतिशत ब्रांडेड दवाओं से सस्ती होती है। ऐसे में इसके उपयोग से मरीज के ऊपर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को काफी कम किया जा सकता है। देश में लोग अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य पर खर्च करते हैं। जिसमें बड़ा हिस्सा केवल दवाओं पर खर्च हो रहा है।

इसलिए स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बार-बार डॉक्टरों को प्रिस्क्रिप्शन में जेनरिक दवाएं लिखने की अपील की जाती रही है। केंद्र सरकार ने इस मामले में सबसे हालिया चेतावनी मई 2023 में दी थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थय महानिदेशक डॉक्टर अतुल गोयल ने कहा था कि डॉक्टरों को जेनरिक दवाएं लिखने के निर्देश कई दफा देने के बावजूद इसका कोई पालन नहीं हो रहा है। अस्पतालों के रेजिडेंट और विशेषज्ञ डॉक्टर मरीजों को प्रिस्क्रिप्शन में ब्रांडेड दवाएं लिख रहे हैं। अब ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

ऐसे में माना जा रहा था कि सरकार डॉक्टरों की मनमानी पर नकेल कसने के लिए जल्द कोई कठोर फैसला ले सकती है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने अपने नए नियम के जरिए इसे लागू कर दिया है। दरअसल, केंद्र सरकार आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं के जरिए लोगों को खासकर कम आय वर्ग के लोगों को सस्ती और बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए प्रयासरत है। एनएमसी का नया नियम भी इसी लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में उठाया गया एक अन्य कदम है।

Krishna Chaudhary

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