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NITI Aayog Meeting: नीति आयोग की अहम बैठक आज, केसीआर ने किया बायकॉट, नीतीश कुमार भी नहीं लेंगे हिस्सा
NITI Aayog Meeting: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। हालांकि उनके इस फैसले के पीछे स्वास्थ्य संबंधी कारण बताए जा रहे हैं।
NITI Aayog Meeting: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज नीति आयोग की महत्वपूर्ण बैठक होगी। इस बैठक में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और राज्यपाल हिस्सा लेंगे। हालांकि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने बैठक का बायकॉट करने का ऐलान किया है उन्होंने कहा कि यह बैठक उपयोगी नहीं है। इसलिए मैं इस बैठक में हिस्सा नहीं लूंगा। उन्होंने मोदी सरकार पर राज्यों के साथ भेदभाव करने का बड़ा आरोप भी लगाया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। हालांकि उनके इस फैसले के पीछे स्वास्थ्य संबंधी कारण बताए जा रहे हैं मगर जानकार इसे भाजपा और जदयू में चल रही खींचतान से जोड़कर देख रहे हैं। नीतीश कुमार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सम्मान में प्रधानमंत्री की ओर से आयोजित डिनर में हिस्सा लेने के लिए भी नहीं पहुंचे थे।
राज्यों के साथ भेदभाव करने का आरोप
तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने इन दिनों भाजपा और केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। तेलंगाना में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और टीआरएस आमने-सामने हैं और दोनों पार्टियां एक-दूसरे को पटखनी देने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं।
केसीआर ने केंद्र सरकार पर राज्यों के साथ भेदभाव करने का बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग की बैठक का कोई मतलब नहीं है और इसीलिए मैंने केंद्र सरकार की ओर से आयोजित इस बैठक से खुद को दूर कर लिया है। देश को मजबूत और विकसित बनाने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है मगर केंद्र सरकार इस दिशा में कदम नहीं उठाती।
पीएम मोदी को पत्र लिखकर जताया विरोध
मुख्यमंत्री केसीआर ने इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपना विरोध भी जताया है। उन्होंने कहा कि राज्यों के प्रति केंद्र के भेदभावपूर्ण रवैए के कारण मैंने इस बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है। पूर्व में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी केंद्र सरकार पर इस तरह के आरोप लगाती रहे हैं। ममता ने भी पूर्व की बैठकों से किनारा कर लिया था। हालांकि इस बार की बैठक में उनके हिस्सा लेने की उम्मीद जताई जा रही है।
नीति आयोग की ओर से केसीआर के बैठक में भाग न लेने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया गया है। नीति आयोग ने उन योजनाओं का विवरण भी दिया है जिनमें केंद्र सरकार की ओर से तेलंगाना को बड़ी राशि आवंटित की गई। नीति आयोग ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से पैसा दिए जाने के बावजूद तेलंगाना सरकार की ओर से इस राशि का पूरा उपयोग नहीं किया गया।
नीतीश कुमार के फैसले पर उठे सवाल
दूसरी ओर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बैठक में शामिल न होने के फैसले को लेकर तमाम सवाल खड़े किए जा रहे हैं। नीतीश कुमार के करीबी सूत्रों का कहना है कि वे हाल ही में कोरोना से उबरे हैं। वे अभी भी काफी कमजोरी महसूस कर रहे हैं और इस कारण वे बैठक में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली नहीं जाएंगे। नीतीश इस बैठक में डिप्टी सीएम को भेजना चाहते थे मगर उन्हें बताया गया कि बैठक में सिर्फ मुख्यमंत्री ही हिस्सा ले सकते हैं। इस कारण नीति आयोग की बैठक में अब बिहार का कोई प्रतिनिधित्व नहीं रहेगा।
वैसे नीतीश कुमार के इस फैसले के पीछे राज्य में भाजपा और जेडीयू के बीच चल रही खींचतान को बड़ा कारण माना जा रहा है। हाल में दोनों दलों के नेताओं की ओर से जारी कई बयानों से साफ है कि बिहार में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। हाल में पटना के एसएसपी ने संघ की तुलना पीएसआई से कर दी थी। इसके बाद भाजपा ने एसएसपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था मगर तमाम कोशिशों के बावजूद भाजपा नेता एसएसपी को हटवाने में कामयाब नहीं हो सके।
जदयू और भाजपा में चल रही खींचतान
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को लेकर भी जदयू और भाजपा में खींचतान चल रही है। जदयू ने आरसीपी पर भ्रष्टाचार का बड़ा आरोप लगाया है। जदयू की ओर से उठाए गए सवालों का जवाब देने की जगह आरसीपी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। जेडीयू नेता भाजपा पर आरसीपी को शह देने का आरोप लगाते रहे हैं।
इसके अलावा हाल ही में जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि अगले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जदयू और भाजपा का गठबंधन कायम रहेगा या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं दी जा सकती। हाल के कई और घटनाक्रम से साफ है कि दोनों दलों के बीच खींचतान चल रही है। नीतीश कुमार के नीति आयोग की बैठक में भाग न लेने के फैसले को इस खींचतान से जोड़कर भी देखा जा रहा है।