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नीति आयोग की सिफारिश: घाटे में चल रही एयर इंडिया को बेचे केंद्र सरकार
नई दिल्ली: नीति आयोग ने घाटे में चल रही विमानन कंपनी एयर इंडिया में सरकार का मालिकाना हक बेचने की सिफारिश की है। इसके पीछे नीति आयोग का मकसद ये है कि घाटे में चल रहे एयर इंडिया में केंद्र के और पैसे ना डूबें। ताकि सरकार इस पैसे को अन्य सेक्टरों में खर्च कर सकती है।
नीति आयोग की सिफारिश की यह खबर तब आई है जब वित्त मंत्री अरुण जेटली एयर इंडिया में हिस्सेदारी बेचने का पहले ही समर्थन कर चुके हैं। अंग्रेजी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के आधार पर बताया है कि इस दिशा में अगले कदम को लेकर कैबिनट में फैसला लिया जाएगा।
करीब 60,000 करोड़ रुपए है कर्ज
अख़बार में बताया गया है कि हाल ही में सौंपी गई नीति आयोग की चौथी रिपोर्ट में एयर इंडिया में विनिवेश का विस्तृत संभावित रोडमैप दिया गया है। इसमें 30,000 करोड़ रुपए का कर्ज 'राइट ऑफ' करने की सलाह भी शामिल है। उड्डयन क्षेत्र के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एयर इंडिया पर करीब 60,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। इसमें 21,000 करोड़ रुपए विमान संबंधी लोन है, जबकि करीब 8,000 करोड़ रुपए वर्किंग कैपिटल है।
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सुझाव में ये भी
खबर के मुताबिक, आधी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए विमान संबंधी कर्जों और वर्किंग कैपिटल की जिम्मेदारी नए मालिक को सौंपने का प्रस्ताव है। इसके अलावा कई शहरों की प्रमुख जगहों पर एयर इंडिया के 'रियल एस्टेट ऐसेट्स' एक अलग कंपनी के अधीन कर उसकी 100 प्रतिशत इक्विटी किसी स्ट्रैटिजिक पार्टनर को दिए जाने का भी सुझाव है।
5 सालों में डूब चुके हैं 25,000 करोड़
बता दें, कि एयर इंडिया को साल 2015-16 में 105 करोड़ रुपए का ऑपरेटिंग प्रॉफिट हुआ था। लेकिन, करीब 4,000 करोड़ रुपए के अनुमानित सालाना ब्याज के मद्देनजर यह कुछ खास नहीं है। सरकार पिछले पांच सालों में एयर इंडिया में 25,000 करोड़ रुपए डुबो चुकी है। साथ ही, अगले कुछ सालों में इतनी ही रकम मुहैया कराने की जरूरत है।
सिफारिशें मानने की बाध्यता नहीं
दूसरी तरफ, नागर विमानन मंत्रालय के सूत्र हवाला देते हुए अखबार ने लिखा है कि 'नीति आयोग की सिफारिशें माने जाने की बाध्यता नहीं है। मंत्रालय वही रास्ता अपनाएगा जिससे भविष्य में एयर इंडिया की मजबूती सुनिश्चित होगी।'