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नितिन गडकरी का बयान, बैंकों के संकट को किया जा रहा और भी बदतर

बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और मोदी सरकार में मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि मौजूदा स्थिति में बैंकों के संकट को और भी बदतर बनाया जा रहा है, जबकि बैंकों की 'निष्कपट गलतियों' को दूर करने और दुर्भावनापूर्ण गलतियों के लिए सजा देने की जरूरत है।

Dharmendra kumar
Published on: 23 Dec 2018 11:13 AM GMT
नितिन गडकरी का बयान, बैंकों के संकट को किया जा रहा और भी बदतर
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नई दिल्ली: बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और मोदी सरकार में मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि मौजूदा स्थिति में बैंकों के संकट को और भी बदतर किया जा रहा है, जबकि बैंकों की 'निष्कपट गलतियों' को दूर करने और दुर्भावनापूर्ण गलतियों के लिए सजा देने की आवश्यकता है।

'बैंकों को और बदतर करने को हो रहे प्रयास'

पुणे जिला शहरी सहकारी बैंक असोसिएशन लिमिटेड की ओर से आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय परिवहन मंत्री ने यह बात कही। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गडकरी ने कहा कि अगर एक बैंक भारी नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट (एनपीए) के चलते खराब स्थिति में है तो नीति ऐसे प्रतिष्ठानों को पुनर्जीवित करने की हो। केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'अगर बैंकों की गलतियां निष्कपट हैं तो उन्हें दूर कर बैंकों को पुनर्जीवित किया जाए, लेकिन मौजूदा समय में स्थिति विपरीत है। अगर कोई बैंक संकट में है तो उसे और बदतर करने वाले कोशिश की जा रही है।

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सरकार ने बैंकों को 83,000 करोड़ देने की घोषणा की है

गडकरी ने कहा कि यदि बैंकों ने निष्कपट गलतियां की हैं तो उनकी मदद करनी चाहिए, लेकिन यदि गलतियां खराब इरादे से की गई हैं तो सजा दी जानी चाहिए। बता दें कि सरकार ने सरकारी बैंकों को और 83,000 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है, यानी वित्त वर्ष में कुल 1.06 लाख करोड़ रुपये की पूंजी बैंकों डाली जाएगी। नितिन गडकरी का बयान सरकार की इस घोषणा के बाद आया है।

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केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 83,000 करोड़ रुपये देने की घोषणा करते हुए कहा था कि पूंजी डाले जाने से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी और आरबीआई के तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) रूपरेखा से बाहर निकलने में मदद मिलेगी।

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गडकरी का कहना है कि अगर प्राइवेट कर्जदाता भी 100 रुपये का कर्ज देता है तो कई बार उसके 15 रुपये डूब जाते हैं। यह व्यापार में फाइनेंसिंग की परेशानी स्वभाविक है। उन्होंने आगे कहा, 'किसी भी बैंक के लिए बिना एक भी अकाउंट एनपीए हुए सौ फीसदी फाइनेंस करना संभव नहीं है। क्योंकि आज का एक अच्छा अकाउंट कल एनपीए हो सकता है और यह बिजनस में रिस्क फैक्टर की वजह से होता है।'

Dharmendra kumar

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