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Mission 2024: जदयू की विशेष राज्य के दर्जे को हथियार बनाने की तैयारी, जातीय जनगणना के साथ जोड़कर अभियान छेड़ेंगे नीतीश
Mission 2024: पार्टी जातीय जनगणना के साथ इस मुद्दे को जोड़ते हुए केंद्र सरकार पर मांग को पूरा करने के लिए दबाव बनाएगी।
Mission 2024: पिछले साल के आखिर में जदयू की कमान संभालने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2024 की सियासी जंग के लिए ताना-बाना बनना शुरू कर दिया है। इस बार के लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी की ओर से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग जोरदार ढंग से उठाई जाएगी। पार्टी जातीय जनगणना के साथ इस मुद्दे को जोड़ते हुए केंद्र सरकार पर मांग को पूरा करने के लिए दबाव बनाएगी।
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं और जदयू की ओर से महागठबंधन के तहत 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी है। भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को घेरने के लिए जदयू ने अपनी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। नीतीश कुमार की अगुवाई में जदयू की ओर से लंबे समय से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की जाती रही है। अब पार्टी की ओर से इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी है ताकि मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया जा सके।
चुनाव में गूंजेगा विशेष राज्य का मुद्दा
नीतीश कैबिनेट की ओर से पिछले नवंबर महीने में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया था। इस प्रस्ताव के तहत बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की गई थी। पार्टी पहले भी इस मुद्दे को उठाती रही है मगर यह मांग आज तक पूरी नहीं हो सकी है। अब पार्टी की कमान नीतीश कुमार के हाथों में आने के बाद पार्टी इस मुद्दे को लेकर आक्रामक रणनीति अपनाने की तैयारी में जुटी हुई है।
जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दिसंबर के आखिर में दिल्ली में हुई बैठक के दौरान ललन सिंह को हटाकर नीतीश कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था। ऐसे में सरकार और संगठन दोनों की कमान इस समय नीतीश कुमार के ही हाथों में है। अब लोकसभा चुनाव में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन के लिए नीतीश कुमार पर दबाव बढ़ गया है। इसलिए पार्टी की ओर से अब लोकसभा चुनाव में विशेष राज्य के दर्जे की गूंज सुनाई देगी।
जातीय जनगणना से मुद्दे को जोड़ने की तैयारी
विशेष राज्य के मुद्दे को धारदार बनाने के लिए पार्टी ने जातीय जनगणना की रिपोर्ट के साथ जोड़ते हुए इस मुद्दे को उठाने की रणनीति तैयार की है। बिहार में जातीय जनगणना के दौरान राज्य के लोगों की आर्थिक स्थिति का भी सर्वे किया गया था। राज्य के लोगों के आर्थिक सर्वे के मुताबिक 94 लाख परिवार अत्यंत ही गरीब की श्रेणी में पाए गए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐसे परिवारों को दो लाख रुपए की आर्थिक मदद देना चाहते हैं।
इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए नीतीश सरकार को ढाई लाख करोड़ रुपए की आवश्यकता है। अगर राज्य सरकार अपने दम पर यह काम पूरा करने की कोशिश करेगी तो इस काम को में पांच वर्ष का समय लग जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए तो यह काम पांच वर्ष से काफी पहले पूरा किया जा सकता है। जानकारों का मानना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार इन गरीब परिवारों का मुद्दा जोरदार ढंग से उठाएंगे।
विशेष राज्य के दर्जे से ही हासिल होगा लक्ष्य
जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि बिहार में 39 लाख परिवार ऐसे हैं जिनके पास अपना पक्का मकान नहीं है। राज्य सरकार ऐसे परिवारों को 1.20 लाख रुपए की आर्थिक मदद देना चाहती है। यह काम भी राज्य सरकार के लिए अपने खजाने से पूरा करना काफी मुश्किल माना जा रहा है। राज्य सरकार को इसके लिए केंद्र से आर्थिक मदद की दरकार है जो विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर ही पूरी हो सकती है।
इस कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से चुनाव के दौरान यह मुद्दा भी जोरदार ढंग से उठाया जाएगा। मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने की तैयारी में जुटे हुए हैं और अब यह देखने वाली बात होगी कि भाजपा की ओर से इस मुद्दे की क्या काट पेश की जाती है।