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Bihar Politics: नीतीश कुमार : वही किया जिसके वो एक्सपर्ट रहे हैं

Bihar Politics: इस बार, वह यह बर्दाश्त नहीं कर सके कि उनकी पार्टी एक बड़े गठबंधन में एक छोटी ताकत बनकर सामने आई, जबकि राजद लोगों के बहुमत जनादेश का आनंद ले रहा था।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 28 Jan 2024 1:40 PM IST
Bihar Politics: नीतीश कुमार : वही किया जिसके वो एक्सपर्ट रहे हैं
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Bihar Politics: नीतीश कुमार ने 2024 में वही किया है जो अगस्त 2022 में किया था। एनडीए सदस्य के रूप में 2020 का विधानसभा जनादेश मिलने के बावजूद नीतीश ने एनडीए से नाता तोड़ लिया था और महागठबंधन के साथ सरकार बनाई थी। उस समय नीतीश ने भाजपा पर उनकी पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड) में फूट डालने का आरोप लगाया था।

इस बार कहाँ नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ इंडिया अलायन्स के अगुआ के रूप में दिख रहे थे और अब समय चक्र ऐसा बदला है कि वो भाजपा के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं।

दस साल में चौथा कदम

बहरहाल, नीतीश कुमार का पलटी मारने का पिछले दशक में चौथा ऐसा कदम होगा। नीतीश कुमार ने 2005 में बीजेपी के साथ गठबंधन करके अपनी पहली सरकार बनाई थी। रिश्तों में दरार की शुरुआत 2013 में हुई जब उन्होंने बीजेपी से नाता तोड़ लिया और जेडीयू-बीजेपी का 17 साल का गठबंधन खत्म हो गया। वह कथित तौर पर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में नरेंद्र मोदी के नाम की घोषणा से नाराज थे। नीतीश कुमार ने 2014 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ा और 2009 के चुनावों में 18 सीटों के मुकाबले केवल दो सीटें हासिल करने में सफल रहे।

दूसरी पलटी

2014 के चुनावों में अपनी पार्टी के पतन की जिम्मेदारी लेते हुए, नीतीश कुमार ने बिहार के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और जीतन राम मांझी को इस पद पर बिठाया। वह कभी अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी रहे लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद के समर्थन से फ्लोर टेस्ट में बच गए। 2015 के विधानसभा चुनावों में 'महागठबंधन' ने भारी जीत हासिल की और कुमार ने सीएम की सीट दोबारा हासिल कर ली। हालाँकि, उनकी नाराजगी फिर बढ़ गई। इस बार, वह यह बर्दाश्त नहीं कर सके कि उनकी पार्टी एक बड़े गठबंधन में एक छोटी ताकत बनकर सामने आई, जबकि राजद लोगों के बहुमत जनादेश का आनंद ले रहा था।

नोटबंदी और जीएसटी पर कुमार द्वारा खुलेआम भाजपा का समर्थन करने के बाद महागठबंधन में दरारें उभरनी शुरू हो गईं। केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा लालू यादव और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार के मामले में आरोप लगाए जाने के बाद वह अपनी 'स्वच्छ' छवि को लेकर चिंतित थे। उन्होंने 2017 में फिर से सीएम पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन एनडीए में वापस आने और विधानसभा में बहुमत हासिल करने के बाद उन्हें इस पद पर बहाल किया गया।

तीसरा ट्रांसफर

तीसरा स्विच

गठबंधन में जूनियर पार्टनर होना नीतीश कुमार के लिए चिंता का विषय रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी यही हुआ। सीटों की संख्या में भाजपा द्वारा उनकी पार्टी पर भारी पड़ने के बाद वह अपनी कम होती स्वायत्तता को लेकर चिंतित थे। दो साल तक मतभेद रहने के बाद 2022 में गठबंधन टूट गया। जद (यू) ने भाजपा पर पार्टी को विभाजित करने की साजिश रचने का आरोप लगाया और नाता तोड़ लिया। उनकी पार्टी ने राजद के समर्थन से एक बार फिर विधानसभा में बहुमत हासिल किया और नीतीश कुमार तब से सीएम पद पर बने हुए हैं।

गठबंधन चलाने में माहिर एक अनुभवी राजनेता नीतीश ने शुरू में महागठबंधन को खत्म करने के लिए जमीन तैयार की। गठबंधन के दो प्रमुख घटक जदयू और राजद के बीच किसी न किसी बहाने पिछले एक महीने से जुबानी जंग चल रही थी। अब इसकी परिणीति उसी में हो रही है जिसकी हमेशा से उम्मीद थी।



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Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh from Kanpur. I Started career with Jagran Prakashan and then joined Hindustan and Rajasthan Patrika Group. During my career in journalism, worked in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi.

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