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आर्मी चीफ की नियुक्ति मामले पर भी पार्टी लाइन से अलग नीतीश PM मोदी के साथ
पटना: पीएम नरेंद्र मोदी के फैसले और नीतियों को लेकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार आजकल न तो अपनी पार्टी की सुन रहे हैं और न उनकी सरकार में सहयोगी दल कांग्रेस और लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की।
नोटबंदी के समर्थन के बाद ताजा मामला आर्मी चीफ विपिन रावत की नियुक्ति का है। जनता दल यू के महासचिव केसी त्यागी ने इस फैसले का ये कहकर विरोध किया था कि इसमें वरिष्ठता का ध्यान नहीं रखा गया लेकिन अध्यक्ष और सीएम नीतीश कुमार को इसमें कुछ गलत नहीं लगता। गौरतलब है कि रावत को दो सीनियर अधिकारियों को दरकिनार कर आर्मी चीफ बनाया गया है।
सेना के सवाल पर न हो राजनीति
नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार को पूरा अधिकार है कि वो किसे सेना का प्रमुख बनाती है और इस पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा 'प्लीज सेना के सवाल पर राजनीति न करें।
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एसके सिन्हा का दिया उदाहरण
कांग्रेस की तरह ही केसी त्यागी ने भी सीनियर अधिकारियों की अनदेखी पर सवाल उठाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि पीएम मोदी इस मामले में गलत परंपरा शुरू कर रहे हैं। इस पर नीतीश ने कहा, कि 'इससे पहले भी इंदिरा गांधी के कार्यकाल में लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा की वरिष्ठता को दरकिनार कर एएस वैद्य को आर्मी चीफ बनाया था।'
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कौन थे एसके सिन्हा?
एसके सिन्हा सीनियर थे लेकिन उनका प्रोमोशन नहीं किया गया। एसके सिन्हा पर आरोप था कि वो धीरे-धीरे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के करीब जा रहे थे। सिन्हा ने 1980 का लोकसभा चुनाव भी पटना लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ा था लेकिन सीपीआई के रामवतार शास्त्री से पराजित हो गए थे। हालांकि उन्हें करीब डेढ़ लाख वोट मिले थे।
सहयोगी दलों से अलग राय रख रहे नीतीश
ये दूसरा मौका है जब नीतीश कुमार अपने सहयोगी दलों और अपनी पार्टी से भी अलग राय रख रहे हैं। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा में जनता दलयू के नेता शरद यादव ने नोटबंदी का विरोध किया था। लेकिन नीतीश का कहना था कि 'ये देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए अच्छा कदम है। इससे अर्थव्यवस्था तो सुधरेगी ही कालेधन पर भी लगाम लगेगा।'
लालू जता चुके हैं नाराजगी
नीतीश के इस तरह केंद्र सरकार के फैसलों के समर्थन में आने से उनके सहयोगी लालू प्रसाद यादव नाराज हो गए थे। लालू ने पीएम मोदी की तुलना एक कॉमिक चरित्र 'अंकल पोड्जर' से की थी, जो दीवार में छेद करने के लिए पूरी दीवार गिरा देता है। लालू का कहना था कि नोटबंदी उसी तरह फेल होगी जिस तरह कांग्रेस की नसबंदी फेल हुई थी।
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स्वीडन एकमात्र कैशलेस देश
नीतीश अपने ताजा बयान से केंद्र सरकार के और करीब आए हैं। हालांकि उनका कहना है कि देश पूरी तरह से कैशलेस नहीं हो सकता। इसके लिए जरूरी है कि नकद पर लोगों का विश्वास कम हो। लोग सामानों की खरीद बिक्री में कार्ड का इस्तेमाल ज्यादा करें। स्वीडन एकमात्र ऐसा देश है जो पूरी तरह से कैशलेस है। लेकिन उसकी आबादी करीब एक करोड है। आर्थिक रूप से पूरी तरह मजबूत अमेरिका में 30 से 40 प्रतिशत लोग ही कैश का इस्तेमाल करते हैं।
बीजेपी ने भी की नीतीश की तारीफ
आर्मी चीफ विपिन रावत की नियुक्ति पर केंद्र के समर्थन से बीजेपी समर्थकों में खुशी है। ये इसलिए भी कि विपक्ष में इस मुद्दे पर अलग-अलग राय है। नोटबंदी पर भी पहले बीजेपी ने नीतीश के समर्थन के बयान पर कोई प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया था लेकिन बाद में अध्यक्ष अमित शाह को उनकी तारीफ करनी पडी। अमित शाह ने कहा था 'नीतीश कुमार ने दिल जीत लिया है।'
नीतीश 'स्टेट्समैन' की राह पर
नीतीश सिर्फ एक क्षेत्रीय पार्टी के नेता नहीं हैं बल्कि अब वो राष्ट्रीय नेता के रूप में उभर रहे हैं। हालांकि ये कोशिश पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी की थी लेकिन उन्हें मुंह की खानी पड़ी। नीतीश अब स्टेट्समैन होने की राह में हैं।