समर्थन की पूरी कीमत वसूलना चाहते हैं नीतीश, बजट में भारी राशि पाने के बाद अब नई डिमांड, मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ाईं

Nitish Kumar: शीर्ष अदालत की ओर से सोमवार को सुनाए गए फैसले के बाद अब नीतीश कुमार ने मोदी सरकार के सामने नई डिमांड रखी है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 30 July 2024 9:38 AM GMT
समर्थन की पूरी कीमत वसूलना चाहते हैं नीतीश, बजट में भारी राशि पाने के बाद अब नई डिमांड, मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ाईं
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  (photo: social media )

Nitish Kumar: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ाते हुए नजर आ रहे हैं। पहले उन्होंने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर दबाव बना रखा था। मौजूदा हालात में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना संभव नहीं था ऐसे में नीतीश कुमार ने बजट का बड़ा हिस्सा झटकने में कामयाबी हासिल की। बिहार और आंध्र प्रदेश को अतिरिक्त पैकेज देने की घोषणा पर मोदी सरकार पर भी जमकर निशाना साधा गया।

अब नीतीश कुमार ने एक और मांग करके मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दरअसल आरक्षण की सीमा 65 फ़ीसदी किए जाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार को बड़ा झटका दिया है। शीर्ष अदालत की ओर से सोमवार को सुनाए गए फैसले के बाद अब नीतीश कुमार ने मोदी सरकार के सामने नई डिमांड रखी है। हालांकि इस मांग को पूरी कर पाना मोदी सरकार के लिए काफी मुश्किल माना जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया नीतीश सरकार को बड़ा झटका

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नीतीश सरकार को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट में बिहार में आरक्षण बढ़ाकर 65 फीसदी किए जाने पर पटना हाईकोर्ट की ओर से लगाई गई रोक को बरकरार रखा है। शीर्ष अदालत ने पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि वह इस मामले में सितंबर महीने के दौरान विस्तृत सुनवाई करेगी।

बिहार सरकार ने पिछले दिनों जातीय जनगणना कराने के बाद आंकड़े जारी किए थे। इन आंकड़ों के आधार पर ही आरक्षण बढ़ाने का फैसला किया गया था। शिक्षण संस्थानों व सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति, जनजाति, अत्यंत पिछड़े और अन्य पिछड़े वर्ग को दिए जाने वाले आरक्षण को बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया गया था। बाद में इस फैसले पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। बिहार सरकार ने पटना हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी मगर सरकार को वहां से भी राहत नहीं मिली है।

नीतीश सरकार ने रखी केंद्र के सामने नई डिमांड

बिहार में अब आरक्षण का यह मुद्दा राजनीतिक रूप से काफी गरमा गया है। इसे लेकर राजद और ने विपक्षी दलों की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा जा रहा है। बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। ऐसे में इस फैसले को लागू करवाना नीतीश कुमार के लिए काफी अहम हो गया है।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से झटका लगने के बाद अब सिर्फ एक ही विकल्प बचा है कि बिहार सरकार के इस फैसले को केंद्र सरकार संविधान की नौवीं अनुसूची में डाल दे। इस बाबत नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू की ओर से केंद्र सरकार से अनुरोध भी किया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अभी हाल में बिहार विधानसभा में कहा था कि वे इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा करेंगे।

नौवीं अनुसूची में डालने से क्या होगा फायदा

जानकारों का कहना है कि किसी भी मसले को संविधान की नौवीं अनुसूची में डाल देने से उसकी अदालती समीक्षा नहीं की जा सकती। अभी तक 284 मामलों को इस अनुसूची में डाला जा चुका है। जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी का कहना है कि हमारे पास अब सीमित विकल्प रह गए हैं और ऐसे में केंद्र सरकार को हमारी मांग पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

जदयू की ओर से केंद्र सरकार पर दबाव डालने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हम दबाव बनाने की राजनीति नहीं करते। उन्होंने कहा कि चीजों को व्यापक संदर्भ में देखने की आवश्यकता है और बिहार का मसला भी व्यापक नजरिए से देखा जाना चाहिए।

नीतीश ने बढ़ाईं मोदी सरकार की मुश्किलें

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अभी तक पिछड़ों और अति पिछड़ों की राजनीति करते रहे हैं। इसीलिए बिहार की सियासत में वे लंबे समय से काफी मजबूत बने हुए हैं। अब आरक्षण का यह मसला उनके सियासी वजूद के लिए काफी महत्वपूर्ण हो गया है। दूसरी और नीतीश सरकार की ओर से की गई इस मांग के कारण केंद्र सरकार धर्म संकट में फंसी हुई दिख रही है।

इंडिया गठबंधन की ओर से भाजपा की धर्म की राजनीति की काट में जाति की राजनीति का कार्ड खेला जा रहा है। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के नेता जातीय जनगणना की मांग करते रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को भी लोकसभा में यह मांग करते हुए आबादी के हिसाब से भागीदारी पर जोर दिया था।

मोदी सरकार की ओर से यदि नीतीश कुमार की मांग नहीं मानी गई तो विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बन सकता है। बिहार विधानसभा के चुनाव में एनडीए को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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