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नीतीश कुमार: बिहार की राजनीति के अजेय खिलाड़ी
Nitish Kumar: बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कल यानी 1 मार्च को जन्मदिन है। जानें उनके राजनीति का कैसा रहा है सफर।
Nitish Kumar
Nitish Kumar: नीतीश कुमार भारतीय राजनीति का एक अहम नाम हैं, जिन्होंने बिहार की सत्ता पर वर्षों तक अपनी पकड़ बनाए रखी है। 1 मार्च 1951 को बिहार के बख्तियारपुर में जन्मे नीतीश कुमार ने अपनी राजनीतिक यात्रा जनता दल से शुरू की और बाद में जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख नेताओं में गिने जाने लगे। बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नीतीश कुमार ने 2005 से अब तक कई बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। हालांकि, उनकी राजनीति में उतार-चढ़ाव भी आते रहे हैं, जहां कभी वे एनडीए के साथ रहे तो कभी विपक्षी गठबंधन से हाथ मिला लिया।
नीतीश कुमार का प्रारंभिक जीवन
नीतीश कुमार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बख्तियारपुर में ही पूरी की और बाद में बिहार अभियांत्रिकी महाविद्यालय (अब एनआईटी पटना) से विद्युत अभियांत्रिकी (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) में डिग्री प्राप्त की। हालांकि, इंजीनियर बनने के बजाय उन्होंने राजनीति में कदम रखा और 1974 के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। इस दौरान वे जयप्रकाश नारायण और सत्येंद्र नारायण सिन्हा जैसे दिग्गज नेताओं के करीबी रहे।
युवा अवस्था में ही उन्होंने राजनीति में गहरी रुचि दिखानी शुरू कर दी थी। 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा, हालांकि उनकी असली पहचान 1985 में बनी जब वे बिहार विधानसभा के सदस्य बने। इसके बाद, उन्होंने धीरे-धीरे खुद को बिहार की राजनीति में स्थापित किया और आगे चलकर राज्य के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बने।
राजनीतिक सफर की शुरुआत
नीतीश कुमार 1974 में जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हुए और इसी दौरान उन्होंने राजनीति में कदम रखा। इस आंदोलन के दौरान वे सत्येंद्र नारायण सिन्हा जैसे दिग्गज समाजसेवी और राजनेता के करीबी रहे। वे 1985 में पहली बार बिहार विधानसभा के लिए चुने गए। 1987 में वे युवा लोकदल के अध्यक्ष बने और 1989 में बिहार में जनता दल के सचिव नियुक्त हुए। इसी साल वे नौवीं लोकसभा के सदस्य भी बने।
केन्द्रीय मंत्री बनने का सफर
1990 में नीतीश कुमार को पहली बार केंद्र सरकार में मंत्री बनने का अवसर मिला, जब उन्हें कृषि राज्य मंत्री बनाया गया। 1998-99 में वे कुछ समय के लिए रेल एवं भूतल परिवहन मंत्री भी रहे, लेकिन 1999 में गैसाल रेल दुर्घटना के बाद उन्होंने नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। 2001 से 2004 तक वे रेल मंत्री रहे और इस दौरान उन्होंने भारतीय रेलवे में कई महत्वपूर्ण सुधार किए।
बिहार के मुख्यमंत्री बनने का सफर
2000 में उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन बहुमत साबित न कर पाने के कारण सिर्फ 7 दिन में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद, नवंबर 2005 में वे फिर से मुख्यमंत्री बने और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया। 2010 के चुनाव में उन्होंने भारी बहुमत से जीत हासिल की और अपनी लोकप्रियता साबित की।
2014 के लोकसभा चुनावों में जद (यू) के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, 2015 में वे फिर से मुख्यमंत्री बने और 2017 तक पद पर रहे। इसी दौरान उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन किया, लेकिन 2017 में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्होंने गठबंधन तोड़ दिया और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली।
नीतीश कुमार की शासन शैली और विकास कार्य
नीतीश कुमार के शासन में बिहार में सड़क, शिक्षा, बिजली और कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ। उनके कार्यकाल में महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं लागू की गईं, जिनमें मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना और साइकिल योजना शामिल हैं। 2022 में उन्होंने एक बार फिर भाजपा से नाता तोड़कर महागठबंधन में वापसी की और आठवीं बार मुख्यमंत्री बने। उनके कार्यकाल में बिहार की जाति आधारित जनगणना 2023 शुरू की गई, जिसे लेकर वे लगातार सुर्खियों में रहे।
नीतीश कुमार का परिवार
सीएम नीतीश कुमार के पिता कवीरचंद्र ठाकुर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आयुर्वेदिक चिकित्सक थे, जबकि उनकी मां पार्वती देवी एक गृहिणी थीं। उनके परिवार की जड़ें सामाजिक और राजनीतिक सरोकारों से जुड़ी रही हैं, जिससे नीतीश कुमार के व्यक्तित्व और विचारधारा पर गहरा प्रभाव पड़ा।
नीतीश कुमार ने मंजू कुमारी सिन्हा से विवाह किया था। मंजू देवी एक शिक्षिका थीं और उन्होंने हमेशा एक साधारण और निजी जीवन जीना पसंद किया। हालांकि, 2007 में मंजू देवी का निधन हो गया, जिससे नीतीश कुमार को गहरा आघात लगा। उनके एकमात्र पुत्र निशांत कुमार हैं, जो राजनीति से दूर रहते हैं और लो-प्रोफाइल जीवन जीना पसंद करते हैं। नीतीश कुमार अपने परिवार से गहरे जुड़े हुए हैं, लेकिन उन्होंने हमेशा राजनीति को प्राथमिकता दी है। वे निजी जीवन को सार्वजनिक चर्चा से दूर रखते हैं और साधारण जीवनशैली अपनाने के लिए जाने जाते हैं। उनके परिवार के लोग भी राजनीति में सक्रिय भूमिका नहीं निभाते, जिससे वे पूरी तरह अपने प्रशासनिक और राजनीतिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं।