Bihar Politics: दही-चूड़ा भोज से रिश्तों में मिठास लाने की कोशिश, लंबे समय बाद लालू-नीतीश की मुलाकात का क्या होगा असर

Bihar Politics: राबड़ी देवी के आवास पर मंगलवार को आयोजित इस भोज में सियासी दिग्गजों का खूब जमावड़ा लगा। इस भोज में नीतीश कुमार की मौजूदगी इसलिए चर्चा का विषय बन गई क्योंकि वे करीब तीन महीने बाद लालू प्रसाद यादव से मिलने के लिए राबड़ी आवास पर पहुंचे थे।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 16 Jan 2024 3:21 AM GMT
Nitish Kumar met Lalu Prasad Yadav
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Nitish Kumar met Lalu Prasad Yadav   (photo: social media )

Bihar Politics: बिहार की सियासत में मकर संक्रांति के मौके पर दही-चूड़ा भोज का काफी महत्व रहा है। इस भोज के जरिए सियासी समीकरण साधने की कोशिश की जाती रही है। इस बार भी बिहार की सियासत में दही-चूड़ा भोज ने काफी रंग दिखाया है। इस भोज के बहाने बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार सोमवार को राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव से मिलने के लिए पहुंचे।

पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर मंगलवार को आयोजित इस भोज में सियासी दिग्गजों का खूब जमावड़ा लगा। इस भोज में नीतीश कुमार की मौजूदगी इसलिए चर्चा का विषय बन गई क्योंकि वे करीब तीन महीने बाद लालू प्रसाद यादव से मिलने के लिए राबड़ी आवास पर पहुंचे थे। काफी दिनों बाद हुई इस मुलाकात के बाद सियासी हलकों में चर्चा है कि अब राजद और जदयू के रिश्तों में मिठास घुल सकती है। हालांकि इस मौके पर दोनों सियासी दिग्गजों ने कोई भी राजनीतिक टिप्पणी करने से परहेज किया।

नीतीश का पहुंचना क्यों बना चर्चा का विषय

बिहार की सियासत में लालू यादव और नीतीश के बीच बढ़ती दूरी हाल के दिनों में काफी चर्चा का विषय रही है। नीतीश कुमार पिछले साल 16 अक्टूबर को आखिरी बार राबड़ी के आवास पर पहुंचे थे। जनवरी की शुरुआत में राबड़ी के जन्मदिन के मौके पर भी वे बधाई देने के लिए नहीं पहुंचे थे। उन्होंने सोशल मीडिया पर भी राबड़ी को जन्मदिन की बधाई नहीं दी थी जिसकी खूब चर्चा हुई थी।

नीतीश और लालू की आखिरी मुलाकात 3 नवंबर को हुई थी। दरअसल नवंबर महीने के दौरान सीट बंटवारे में देरी पर नीतीश ने सीपीआई की रैली में कांग्रेस को खूब खरी-खोटी सुनाई थी। इसके बाद लालू यादव अपने बेटे तेजस्वी के साथ नीतीश से मिलने से सीएम आवास पर पहुंचे थे।

हालांकि उसके बाद बिहार की सियासत में काफी बदलाव आ चुका है। राजद से नजदीकी की चर्चाओं के बाद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाया जा चुका है और पार्टी की कमान नीतीश कुमार ने खुद अपने हाथों में ले ली है। ऐसे में नीतीश कुमार का सोमवार को राबड़ी के आवास पर पहुंचना सियासी हलकों में चर्चा का विषय बना रहा।

लालू के आशीर्वाद से नीतीश सीएम

वैसे मकर संक्रांति के इस भोज के बाद एक बार फिर सियासी बवाल की आशंका भी पैदा हो गई है। दरअसल भोज के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान राजद नेता और विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव के आशीर्वाद से ही नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने हुए हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमारे 79 विधायक हैं और ऐसी स्थिति में हम ही बड़े भाई हैं। लालू के आशीर्वाद से ही नीतीश मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हैं।

उन्होंने कहा कि हम तो चाहते हैं कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनें और तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री। बिहार ऐसा राज्य है जिसमें देश को राष्ट्रपति दिया और यह राज्य प्रधानमंत्री देने की भी ताकत रखता है।

भाई वीरेंद्र ने इसके पूर्व महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर भी बड़ा बयान दिया था। उनका कहना था कि महागठबंधन में सीटों का बंटवारा हो चुका है और समय आने पर तमाम दलों के साथ ही मीडिया को भी इस बाबत जानकारी मिल जाएगी।

राजद-जदयू में फिर खींचतान की आशंका

भाई वीरेंद्र के इस बयान के बाद राजद और जदयू में एक बार फिर खींचतान बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि जदयू की ओर से अभी तक इस बाबत कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई गई है मगर भाई वीरेंद्र का बयान जदयू नेताओं को जरूर चुभा है। नीतीश कुमार इन दिनों महागठबंधन की सियासत पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं।

पिछले दिनों उन्होंने इंडिया गठबंधन की वर्चुअल बैठक के दौरान संयोजक का पद भी ठुकरा दिया था। मकर संक्रांति भोज के बाद अब सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई हैं कि जदयू और राजद के बीच पैदा हुई दूरियां खत्म हो पाती हैं या नहीं।

Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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