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नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा पर शुरू हुई ‘अनंत’ कथा, महागठबंधन पर विमर्श

raghvendra
Published on: 25 Jan 2019 2:29 PM IST
नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा पर शुरू हुई ‘अनंत’ कथा, महागठबंधन पर विमर्श
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शशिर कुमार सिन्हा

पटना: लोकसभा चुनाव में कौन किस सीट से प्रत्याशी उतारेगा, यह घोषणा अभी बाकी है। राजग और महागठबंधन में अभी इसपर विमर्श-दावों का ही दौर चल रहा है, लेकिन बिहार की एक सीट ‘हॉट’ हो चुकी है - मुंगेर की। फिलहाल राजग के घटक लोक जनशक्ति पार्टी के खाते में यह सीट है, लेकिन इस बार इस सीट पर जदयू की उम्मीदवारी तय है। जिस तरह बगैर घोषणा हुए ही जदयू की उम्मीदवारी तय है, उसी तरह इस सीट पर महागठबंधन से कांग्रेस का प्रत्याशी होना भी तय है। जदयू से नीतीश कुमार के खासमखास ललन सिंह उतरेंगे और कांग्रेस के टिकट पर बाहुबली अनंत सिंह को भी पक्का ही मानकर चलना चाहिए। दोनों तरफ से नाम की घोषणा पर खंडन आ रहा है, लेकिन जिस तरह का महासंग्राम मचा है, उससे दोनों नाम को शत-प्रतिशत तय मानना गलत नहीं होगा।

हर तरह की फील्डिंग सजा रहा है जदयू

बाहुबली अनंत सिंह जदयू के विधायक रहे हैं। अनंत सिंह और नीतीश कुमार की कभी नजदीकियां चर्चा में थीं, अब दूरियां हैं। तब अनंत के आपराधिक रिकॉर्ड दरकिनार थे, अब फाइलें खोली जा रहीं। अपने करीबियों और खुद पर हमले के कारण अनंत जदयू के गले की हड्डी ऐसे बने कि अब उसी के खिलाफ सबसे ज्यादा बोल रहे हैं। यह बोला-बोली बढ़ी तो उनके खिलाफ जदयू की तैयारियां भी।

सरकार और जदयू भले इनकार करे, लेकिन एक तरफ मुख्यमंत्री के चहेते रहे आईपीएस मनु महाराज का मुंगेर डीआईजी और दूसरी तरफ उनके पुराने विश्वासी आईपीएस कुंदन कृष्णन का एन वक्त पर एडीजी (हेडक्वार्टर) बनना अपने आप में कई कहानियों का प्लॉट तैयार करता है। जदयू में नीतीश के बाद सबसे गहरे रणनीतिकार आरसीपी सिंह की बेटी लिपि सिंह एएसपी हैं और फिलहाल अनंत के समर्थकों पर कड़े एक्शन के कारण चर्चा में। बाहुबली अनंत सिंह को लेकर फील्डिंग सिर्फ पुलिसिया ही नहीं है। अनंत सिंह के गांव लदमा में उनके धुर विरोधी बाहुबली विवेका पहलवान उर्फ विवेका सिंह की ओर से 23 जनवरी को एक कार्यक्रम भी रखा गया तो जदयू के तमाम दिग्गज उसके साथ मंच पर नजर आए। अनंत के खिलाफ इस तरह के चक्रव्यूह के जरिए जदयू उन्हें कमजोर करने की हर संभव कोशिश कर रहा है।

ललन सिंह के लिए भी राह आसान नहीं

बाहुबली अनंत सिंह को इस तरह घेरने के बावजूद जदयू कोटे से राज्य सरकार में मंत्री और मुख्यमंत्री के सबसे करीबी नेता ललन सिंह के लिए मुंगेर की राह आसान नहीं होने जा रही है। पिछले चुनाव में वह लोजपा की वीणा देवी से एक लाख मत पीछे रह गए थे। ताजा संकट यही है कि जदयू लोजपा से उसकी जीती हुई सीट हासिल कर रहा है। लोजपा में भी बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी से। सूरजभान की पत्नी वीणा देवी यहां से पिछले चुनाव में करीब एक लाख वोटों से जीती थीं।

वीणा यह सीट छीने जाने की बात से कई बार बिफर चुकी हैं, लेकिन अब यह माना जा रहा है कि वह बाहरी तौर पर इसे स्वीकार कर चुकी हैं। फिर भी, अपनी पत्नी के हिस्से की मजबूत सीट से हटाए जाने का गुस्सा सूरजभान सिंह लें तो आश्चर्य नहीं। बाहुबली सूरजभान सिंह सांसद रह चुके हैं। बाहुबली अनंत सिंह और बाहुबली सूरजभान सिंह की अदावत भी बहुत पुरानी है। लेकिन, अगर इस चुनाव में दुश्मन का दुश्मन मित्र की भूमिका निभाए तो आश्चर्य नहीं होगा। यानी, अनंत से अदावत भूल सूरजभान अपनी पत्नी की सीटिंग सीट छीने जाने का बदला ललन सिंह से चुकाएं तो आश्चर्य नहीं होगा। ललन सिंह के लिए बड़ी परेशानी यह है। वैसे, परेशानियां और भी हैं। मुंगेर, जमालपुर, सूर्यगढ़ा, लखीसराय, मोकामा और बाढ़ में से दो विधानसभा क्षेत्र अनंत सिंह के लिए गढ़ कहे जा सकते हैं तो तीन में भाजपा का वर्चस्व है और यहां के कई बड़े नेता ललन सिंह से खफा बताए जाते हैं।

महागठबंधन के अंदर अनंत के नाम पर बन जाएगी बात

महासंग्राम की बिसात बिछ गई है, लेकिन बाहरी तौर पर सीट को लेकर संशय बरकरार है। लोजपा के खाते से एनडीए को यह सीट जदयू के कोटे में डालना है। इसकी पुष्टि जैसे ही होगी, ललन सिंह का नाम स्पष्ट हो जाएगा। संकट महागठबंधन में है। अनंत सिंह जब संसदीय चुनाव में उतरने की घोषणा करने वाले थे तो राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद का महिमामंडन किया था। कहा था कि नीतीश कुमार से कहीं बेहतर तो लालू प्रसाद हैं। जितना नुकसान नीतीश के साथ रहकर हुआ, उससे कम त३ो लालू के खिलाफ रहने से हुआ। इसके बावजूद राजद ने उन्हें अपनी तरफ से सीट के लिए हामी नहीं दी। इसके बाद कई दिनों तक अनंत चुप्पी साधे रहे। फिर मुंगेर में रोड शो भी किया और निर्दलीय तक में जीत पक्की कहने लगे। उसके बाद अचानक कांग्रेस का टिकट पक्का बताने लगे।

कांग्रेस ने खंडन भी किया कि अभी महागठबंधन में सीटों का चयन पक्का नहीं हुआ है तो प्रत्याशी के नाम की बात ही संभव नहीं है। इतना होने के बावजूद यह माना जा रहा है कि अनंत का कांग्रेस से मुंगेर का टिकट फाइनल है। बाहुबली अनंत सिंह के पक्ष में हम (से) के सर्वेसर्वा और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी महागठबंधन में आवाज बुलंद कर रहे हैं। राजद कोटे से पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव खिलाफ में आवाज लगा रहे तो लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव पक्ष में बोल चुके हैं। हम (से) साथ है। राजद भी लगभग। ऐसे में ओबीसी समेत तमाम पिछड़ी जातियों का साथ दिख रहा है। अनंत सिंह और ललन सिंह दोनों भूमिहार वर्ग से आते हैं और सवर्णों के बीच दोनों की ही अच्छी पकड़ है। ऐसे में कांग्रेस को महागठबंधन में यह सीट मिले तो वह अनंत सिंह पर दांव खेलने से हिचकेगी नहीं।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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