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No-Confidence Motion: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष ने की गोलबंदी, पेश किया अविश्वास प्रस्ताव
विपक्षी पार्टियों ने मंगलवार को राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। भारतीय संविधान के आर्टिकल 67-बी के तहत उपराष्ट्रपति को पद से हटाने की मांग को लेकर राज्यसभा में प्रस्ताव पेश किया गया।
No-Confidence Motion: विपक्षी पार्टियों ने मंगलवार को राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। विपक्षी दलों ने राज्यासभा के सेक्रेटरी जनरल को इस बाबत प्रस्ताव सौंपा। प्रस्ताव पर विपक्ष के 60 सांसदों ने हस्ताक्षर कर अपनी सहमति दी। भारतीय संविधान के आर्टिकल 67-बी के तहत उपराष्ट्रपति को पद से हटाने की मांग को लेकर राज्यसभा में प्रस्ताव पेश किया गया। प्रस्ताव उपराष्ट्रपति को हटाने की मांग को लेकर लाया गया है जो राज्यसभा के पदेन सभापति हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी देते हुये कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लिखा, राज्य सभा के माननीय सभापति द्वारा अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीक़े से उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन करने के कारण INDIA ग्रुप के सभी घटक दलों के पास उनके ख़िलाफ़ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। INDIA की पार्टियों के लिए यह बेहद ही कष्टकारी निर्णय रहा है, लेकिन संसदीय लोकतंत्र के हित में यह अभूतपूर्व कदम उठाना पड़ा है। यह प्रस्ताव अभी राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा गया है।
क्या कहते हैं नियम?
उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए 50 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ एक नोटिस देना होता है। इसके लिए कम से कम 14 दिन पहले नोटिस जारी करना आवश्यक है। राज्यसभा में साधारण बहुमत से प्रस्ताव पारित होना चाहिए, और इसके बाद लोकसभा से भी इस प्रस्ताव को मंजूरी प्राप्त करनी होती है। संविधान की धारा 67(b) के तहत सभापति को पद से हटाने का अधिकार दिया गया है।
भाजपा ने की आलोचना
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्षी दलों द्वारा राज्यसभा के सभापति और उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सदन की गरिमा का उल्लंघन किया है। रिजिजू ने आरोप लगाया कि विपक्ष संसद के दोनों सदनों में सभापति के अधिकारों का बार-बार अपमान कर रहा है और यह कि उच्च सदन में एनडीए का बहुमत है।
रिजिजू ने कांग्रेस से अपील करते हुए कहा, "मैं कांग्रेस से कहना चाहता हूं कि इस तरह की हरकतें न करें। अध्यक्ष का सम्मान किया जाना चाहिए। यह प्रयास सफल नहीं होगा, और इसका उद्देश्य केवल असली मुद्दों से ध्यान भटकाना है। मैं इसकी निंदा करता हूं। सरकार सदन को सही तरीके से चलाने के लिए तैयार है। जब सब कुछ तय हो चुका है, तो अध्यक्ष के खिलाफ नोटिस देने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह सिर्फ असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास है।"
उन्होंने कहा कि यह राज्यसभा अध्यक्ष पर हमला है और मांग की कि कांग्रेस इसके लिए माफी मांगे। रिजिजू ने इसे कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का निंदनीय व्यवहार करार दिया और कहा कि यह पूरी तरह से असल मुद्दों से भागने की रणनीति है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष ने दोनों सदनों में आसन की गरिमा का उल्लंघन किया है, और कांग्रेस और उसके गठबंधन ने लगातार आसन के निर्देशों की अवहेलना की है।