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हर बार उजड़ते हैं, लेकिन इस बार नहीं, हर कोई लड़ रहा है ‘जंग’

raghvendra
Published on: 2 March 2019 7:51 AM GMT
हर बार उजड़ते हैं, लेकिन इस बार नहीं, हर कोई लड़ रहा है ‘जंग’
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दुर्गेश पार्थसारथी

पंजाब के सीमावर्ती गांवों। पाकिस्तान में घुसकर भारतीय वायुसेना की ओर से आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई के बाद पाकिस्तान से लगती पंजाब की करीब 550 किमी लंबी सीमा रेखा पर सैन्य कर्मियों की हलचल तेज हो गई है। यही नहीं, पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर और फाजिल्का जिलों के सीमावर्ती गांवों के लोगों को चौकस रहने व किसी भी समय गांव खाली कर सुरक्षित ठिकानों की तरफ जाने के लिए तैयार रहने को कह दिया गया है। सभी सीमावर्ती जिलों के अस्पतालों में आपातकाल स्थिति में बेड रिजर्व रखने के लिए कहा गया है। वहीं, सीमावर्ती गांवों के लोगों का कहना है कि वे हर बार जंग के हालात बनने पर गांव खाली करते हैं लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। हम सेना के साथ हैं और पाकिस्तान के खिलाफ अंतिम सांस तक लड़ेंगे। उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के 40 जवानों में से चार जवान पंजाब के गुरदासपुर, तरनतारन, मोगा और श्री आनंदपुर साहिब के थे। इस हमले पर पंजाब के लोगों में पाकिस्तान के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है।

65 की जंग से 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक तक खाली करते रहे हैं गांव

पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर और फाजिल्का जिले के सरहद के दस किमी के दायरे में बसे सैकड़ों गांवों के लोगों का कहना है कि जब भी भारत-पाकिस्तान की जंग हुई सीमावर्ती गांवों के लोगों को विस्थापन का समाना करना पड़ा है। अब यह उजडऩा बर्दाश्त नहीं होता। अमृतसर जिले के गांव भिंडीसैदा निवासी 70 वर्षीय जगरूप सिंह, तरनतारन के खेमकरण सेक्टर के 72 वर्षीय अवतार सिंह का कहना है कि देश विभाजन के दौरान भी उन्होंने विस्थापन का दंश झेला था। जिन्ना के कारण देश के टुकड़े हुए और उन्मादी पाकिस्तानियों ने बंटवारे के बाद भी देश को अशांत किया हुआ है। जिस देश की नींव ही आतंकवाद पर रखी गई है वह भला दूसरों को कैसे चैन से रहने देगा। 60 वर्षीय दिलप्रीत सिंह और नानक सिंह कहते हैं कि हर जंग में हम लोगों को विस्थापन का सामना करना पड़ता है। हालात सामान्य होने तक राहत शिविरों या फिर रिश्तेदारों के यहां शरण लेनी पड़ती है। खेती भी खराब होती है। इस इस बार हम सभी ने ठान लिया है कि हम गांव खाली नहीं करेंगे।

अमृतसर व्यापार मंडल के सदस्यों का कहना है कि हम सैनिक नहीं है तो क्या हुआ। हमें नहीं चाहिए पाकिस्तानी माल। पाकिस्तान से कारोबार कर रहे व्यापारियों ने नमक, सीमेंट और छुआरे भरे ट्रक आईसीपी अटारी बार्डर से लौटा दिया है। उनका कहना है जहां देश हित की बात आती है वहां सारे हित बौने लगते हैं। उधर अटारी सीमा पर पाकिस्तान से आए ट्रकों को बिना अनलोड किए ही लौटाए जाने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर कुछ ज्यादा ही असर पड़ा है। पाकिस्तान स्थित वाघा चेक पोस्ट पर पाकिस्तानी ट्रक पिछले दस दिनों से खड़े हैं। उनमें पड़ा माल सडऩे लगा है।

बीएसएफ और सेना ने बढ़ाई सरगर्मी

सेना और सिविल प्रशासन ने सरकारी डॉक्टरों और पुलिस कर्मियों की छुट्टियां जहां रद कर दी है, वहीं सीमावर्ती क्षेत्रों में ब्लैक आउट भी किया गया है। लोगों को हवाई हमलों के दौरान बचाव की जानकारी दी जा रही है। सीमावर्ती गांवों के लोगों को भी अलर्ट पर रखा गया है। रेल मंडल फिरोजपुर ने भी अपने कर्मचारियों और अधिकारियों का अवकाश रद कर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है।

मुख्यमंत्री ने किया गांवों का दौरा

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी तरनतारन, अमृतसर, गुरदासपुर और पठानकोट का दौरा कर सीमावर्ती गांवों के लोगों का हौसला बढ़ाने के साथ ही हालत का जायजा लिया। उन्होंने सिविल व पुलिस प्रशान को सतर्क रहने के साथ ही गांव खाली कराए जाने की स्थिति में विस्थापितों के लिए उचित प्रबंध करने को कहा है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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