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IIT Placements 2024: प्लेसमेंट तलाश रहे आईआईटी ग्रेजुएट! 2024 बैच के 38 फीसदी छात्रों को नहीं मिली नौकरी
IIT Placements 2024: आईआईटी दिल्ली में शैक्षणिक वर्ष 2023-24 का प्लेसमेंट सत्र समाप्त हो चुका है लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद लगभग 400 छात्रों को अभी तक नौकरी नहीं मिली है।
IIT Placements 2024: देश के प्रतिष्ठित संस्थान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) से जुड़ी एक चिंताजनक खबर है - कि इस साल सभी 23 आईआईटी में 38 फीसदी यानी 7,000 से अधिक छात्रों का कैंपस प्लेसमेंट अभी तक नहीं हो पाया है। इसकी वजह चैटजीपीटी और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के अन्य माडलों का आ जाना बताया जा रहा है।
यह जानकारी आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र धीरज सिंह द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिये मिली है। लिंक्डइन पर एक पोस्ट में धीरज सिंह ने खुलासा किया है कि इस साल सभी 23 आईआईटी में 7,000 से अधिक आईआईटी छात्र कैंपस प्लेसमेंट से वंचित रह गए हैं। धीरज सिंह ने कहा है कि दो साल पहले, यह संख्या लगभग 3,400 थी, जिससे पता चलता है कि प्लेसमेंट में भाग लेने वाले छात्रों की संख्या 1.2 गुना बढ़ गई है, वहीं अनप्लेस्ड छात्रों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है, जो अब पिछले आंकड़े से 2.3 गुना है।
प्लेसमेंट के लिए मांगी जा रही पूर्व छात्रों से मदद
आईआईटी दिल्ली में शैक्षणिक वर्ष 2023-24 का प्लेसमेंट सत्र समाप्त हो चुका है लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद लगभग 400 छात्रों को अभी तक नौकरी नहीं मिली है। ऐसे में आईआईटी दिल्ली इन छात्रों की नौकरी में मदद के लिए अपने पूर्व छात्रों के नेटवर्क से अपील कर रहा है। इसी तरह आईआईटी बॉम्बे और बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस भी अपने पूर्व छात्रों से मदद मांग रहे हैं।
अपील में पूर्व छात्रों से नौकरियों की पेशकश, रेफरल और सिफारिशें करके तथा इंटर्नशिप के अवसर दिला कर छात्रों की मदद करने का अनुरोध किया गया है।
इसी तरह, बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बिट्स) और आईआईटी बॉम्बे ने भी नौकरियों के लिए अपने पूर्व छात्रों से संपर्क किया है। बिट्स ने दो महीने पहले अपने पूर्व छात्रों से संपर्क शुरू किया था। आईआईटी बॉम्बे में पिछले साल 329 उम्मीदवारों को नौकरी नहीं मिली जबकि 2022 के बैच के 171 छात्र अभी भी बेरोजगार हैं। इस साल स्नातक और पीजी पाठ्यक्रम पूरा करने वाले 300 से 400 छात्रों को अभी तक काम नहीं मिला है।
चैटजीपीटी का असर?
बिट्स समूह के कुलपति वी रामगोपाल राव ने प्लेसमेंट में गिरावट के लिए व्यापक आर्थिक और तकनीकी कारकों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि हर जगह, प्लेसमेंट 20 से 30 फीसदी कम है। अगर कोई संस्थान कह रहा है कि सभी छात्रों को प्लेसमेंट मिल गया है, तो फिर नौकरियों की क्वालिटी सही नहीं है। राव ने जॉब मार्केट पर चैटजीपीटी और ऐसे ही अन्य आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस मॉडल के प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहा – अगर अब दो लोग, तीन लोगों का काम कर सकते हैं, तो फिर भर्ती में 30 फीसदी की कमी है ही।
हाल-ए-प्लेसमेंट
आईआईटी-बॉम्बे, आईआईटी-दिल्ली, आईआईटी-खड़गपुर, आईआईटी-मद्रास और आईआईटी-कानपुर में प्लेसमेंट दिसंबर में शुरू होते हैं, जबकि नए आईआईटी इससे पहले अगस्त-सितंबर में शुरू होते हैं। डेढ़ साल तक अंधाधुंध नियुक्तियों के बाद, कई व्यवसाय मंदी की चपेट में आ गए, स्टार्टअप्स के पास फंड खत्म हो गए, कंसल्टेंसी कंपनियों को काम नहीं मिला, और भी कई तरह के व्यवधान का सामना करना पड़ा। जिन कंपनियों ने 2021 और 2022 की तेजी के दौरान जरूरत से ज्यादा नियुक्तियां की थीं, उन्होंने कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी और इसका असर मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग, दोनों तरह के कॉलेजों पर महसूस किया गया। अब नौकरियों के लिए कंपनियों के पीछे भागना पड़ रहा है और कुछ मामलों में, तो वेतन पर समझौता किया जा रहा है।
बड़ी आईटी कम्पनियाँ पीछे हटीं
अधिकांश बड़ी आईटी सर्विस कंपनियों ने इस साल कैंपस से नियुक्ति नहीं करने का फैसला किया है। फरवरी में टीमलीज डिजिटल की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि आईटी क्षेत्र में नए लोगों के लिए भर्ती का इरादा 2024 की पहली छमाही में घटकर 42 फीसदी हो गया है, जबकि 2023 की समान अवधि में यह 49 फीसदी था।
आईआईटी कानपुर में प्लेसमेंट टीम के एक सदस्य ने कहा कि इस बार चूंकि छात्रों को उद्योग में मंदी की आशंका थी सो काफी छात्रों ने प्लेसमेंट के बजाय उच्च अध्ययन करने का फैसला किया। आमतौर पर, लगभग 200 छात्र उच्च अध्ययन करते हैं, लेकिन इस वर्ष लगभग 300 छात्र ऐसा कर रहे हैं। कानपुर कैंपस में 100 से 150 को अभी तक नौकरी नहीं मिली है।
नए कैंपस का हाल
जहाँ तक नए आईआईटी का सवाल है तो उनके पास बहुत छोटे बैच हैं लेकिन फिर भी वहां स्थिति खराब है। उनको उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में 75 फीसदी बैच को नौकरी मिल जानी चाहिए। वेतन की न्यूनतम सीमा औसत 12 लाख रुपये है। लेकिन अब ऐसी कंपनियां आईं हैं जो इससे भी कम पैकेज की पेशकश कर रही हैं।