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कर्जदारों की अगली सूची जारी करने का इरादा नहीं : आरबीआई
नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा उन 12 खातों की पहचान के बाद, जिनके पास बैंकों के कुल कर्ज (गैर निष्पादित परिसंपत्तियों) का 25 फीसदी बकाया है, केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को कहा कि अगली सूची निकट भविष्य में जारी करने का उसका कोई इरादा नहीं है। आरबीआई के डिप्टी गर्वनर एस.एस. मुंद्रा ने कहा, "अगर आप इसे देखे (फंसे हुए कर्जे), आरबीआई ने अपनी विस्तृत अधिसूचना में कहा है कि 12 मामलों को दिवालिया संहिता (आईबीसी) के तहत कार्रवाई के लिए भेजा गया है। वहीं, अन्य मामलों (फंसे हुए कर्जो) में बैंकों को प्रोत्साहित किया गया है कि अगले छह महीनों में इसका समाधान निकालें।"
उन्होंने कहा, "इसके बाद (फंसे हुए कर्जो की) दूसरी सूची जारी करने का सवाल कहां उठता है।"
मुंद्रा ने यह बात यहां एसोचैम (एसोसिएट चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया) द्वारा आयोजित तीसरे राष्ट्रीय बैंकर उधारकर्ता व्यापारिक सम्मेलन 2017 के दौरान कही।
आरबीआई ने बैंकों को फंसे हुए कर्जो से निपटने के लिए छह महीने का वक्त दिया है। इनमें से 12 कर्जदारों से आईबीआई दिवालिया माध्यम से निपटेगा। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि फंसे हुए कर्जो की समस्या मुख्य रूप से 40-50 बड़े खातों से जुड़ी है। मुंद्रा ने कहा कि फंसे हुए कर्जो की वसूली के लिए बैंक सभी संभावनाओं पर विचार करेंगे। इसमें दिए गए कर्ज की रकम में छूट देना भी शामिल है।
मुंद्रा ने कहा, "बड़े कर्जदारों को दिए गए कर्ज में न्यूनतम या अधिकतम छूट दी जाएगी, इसका कोई सवाल नहीं है। जहां जरूरत होगी, वहां छूट दे दी जाएगी। इसका अनुमान लगाने की जरूरत नहीं है। बैंक सभी संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि संभावना है कि बैंक अतिरिक्त प्रावधान करें। आरबीआई अधिकारी ने कहा कि बैंकों को पूर्नपूंजीकरण के लिए वित्त वर्ष 2017-18 के आम बजट में घोषित 10,000 करोड़ रुपये की रकम के अलावा अतिरिक्त बजटीय आवंटन की जरूरत पड़ेगी। जेटली ने भी संकेत दिया था कि बैंकों के समेकन के प्रयास किए जा रहे हैं।