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स्मॉग से जंग: फायर बिग्रेड और टैंकरों में नोजल लगाकर कराई गई कृत्रिम बारिश
शहर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए बुधवार को नोएडा प्राधिकरण ने कृत्रिम बारिश कराई। इसे ट्रायल के रूप में किया गया। बारिश से प्रदूषण के स्तर में कितनी कमी होगी इसके बाद
नोएडा: शहर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए बुधवार को नोएडा प्राधिकरण ने कृत्रिम बारिश कराई। इसे ट्रायल के रूप में किया गया। बारिश से प्रदूषण के स्तर में कितनी कमी होगी इसके बाद ही इस तकनीक को नियमित तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। फिलहाल शहर में करीब एक दर्जन ऐसे स्थानों को चिन्हित किया गया जहां प्रदूषण का स्तर बेहद खराब था। यहां फायर बिग्रेड की गाड़ियों व पानी के टैंकरों पर नोजल लगाकर बारिश कराई गई।
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शहर में प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक है। ऐसे में यहा सांस लेना तक दूभर है। प्राधिकरण व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किए गए इंतजाम भी नाकाफी लग रहे थे। लिहाजा प्राधिकरण ने कृत्रिम बारिश कराने की योजना बनाई। हालांकि इसे ट्रायल के तौर पर किया गया। बारिश कराने के लिए
स्मॉग से जंग: फायर बिग्रेड और टैंकरों में नोजल लगाकर कराई गई कृत्रिम बारिश
फायर बिग्रेड की दो गाड़ियां लगाई गई। दोनों ही गाड़ियों में 24-24 हजार लीटर पानी भरा गया। इस पानी से सड़क, ग्रीन बेल्ट के अलावा अन्य स्थानों पर बारिश कराई गई।
कहां कहां कराई गई बारिश
पहले चरण में एक्सप्रेस-वे से महामाया फ्लाईओवर तक, डीपीएस से निठारी रोड इसके अलावा सेक्टर-75, 76 की सड़क, सेक्टर-75 सेक्टर-72 जाने वाली सड़क, सेक्टर-72 से सेक्टर-75 सड़क पर कतिम बारिश कराई गई। बताते चलें कि यह वह सेक्टर है जहा बिल्डिंग निर्माण का कार्य किया जा रहा है। ऐसे में यहा धूल से लोगों का बुरा हाल है। फिलहाल कृत्रिम बारिश के बाद प्रदूषण के स्तर में कितनी कमी आएगी यह गुरुवार को जारी होने वाले इंडेक्स से पता चल सकेगा।
क्या है वर्तमान स्थिति
वर्तमान में शहर में दो स्थानों पर एयरस्टेशन लगे है। जिनसे प्रदूषण के स्तर को नापा जा रहा है। सेक्टर-125 में लगे मीटर से पीएम-2.5 की मात्रा 431 प्रतिघन मीटर , पीएम-101 की मात्रा 395 एसओटू की मात्रा 32 एनओटू की मात्रा 74 रिकार्ड की गई। वहीं, सेक्टर-62 स्टेशन से पीएम-2.5 की मात्रा 327 रिकार्ड किया गया।
सफल रही योजना तो भविष्य में होगी कृत्रिम बारिश
प्राधिकरण के वरिष्ठ परियोजना अभियंता एससी मिश्रा ने बताया कि यदि कृत्रिम बारिश से वातावरण में मौजूद प्रदूषण में कमी आती है तो यह प्रयास निरंतर जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि बारिश के एसटीपी प्लांट से निकाला शोधित पानी का प्रयोग किया गया है।