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नोटबंदी: पंजाब-यूपी समेत 5 राज्यों के चुनावों में बन सकता है सत्ता पक्ष का सिरदर्द

aman
By aman
Published on: 8 Dec 2016 8:34 PM IST
नोटबंदी: पंजाब-यूपी समेत 5 राज्यों के चुनावों में बन सकता है सत्ता पक्ष का सिरदर्द
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उमाकांत लखेड़ा

नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद संसद का मौजूदा सत्र लगभग समाप्ति की ओर है। 500 और 1000 के नोटों को बंद करने के बाद जो सियासी कुश्ती संसद के दोनों सदनों में तीन सप्ताह से लड़ी गई, उससे देशभर में बैंकों और एटीएम के बाहर खड़े लोगों की मुश्किलें कम नहीं हो पाई।

सत्ता और विपक्ष के बीच सियासी कड़वाहट इस कदर हावी हो चुकी है कि अब विपक्ष भी मानता है कि संसद में नोटबंदी पर बहस हुई भी तो इससे वे सरकार को नोटबंदी के 'ब्लंडर' से बाहर निकालने का मौका नहीं देना चाहते। संसद के भीतर मौजूदा गतिरोध का सबसे बड़ा शिकार माल और सेवाकर कानून यानी जीएसटी हुआ है।

इसलिए बुधवार को जब संसद का बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक हुई तो संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने मोदी सरकार के इस सबसे बड़े एजेंडे का जिक्र तक नहीं किया। जीएसटी काउंसिल में राज्यों और केंद्र सरकार के बीच टैक्स बंटवारे को लेकर गंभीर मतभेद होने की वजह से मोदी सरकार अपने कदम पहले ही पीछे खींच चुकी है।

आम आदमी की टूट सकती है कमर!

बता दें कि नोटबंदी के बाद बाजार में जिस तरह की अफरा-ंतफरी का माहौल है, उससे सरकार में बैठे लोगों को भी बखूबी अहसास हो चुका है कि बाजार जिस तरह से आर्थिक मंदी के भंवर में है उसमें जीएसटी लागू भी हुआ तो आने वाले महीनों में टैक्स लादे जाने से लोगों के इस्तेमाल की ज्यादातर वस्तुओं के दामों में भारी उछाल से आम आदमी की कमर टूट जाएगी।

मोदी के खिलाफ विपक्ष लामबंद

अब यह तय हो चुका है कि नोटबंदी के कदम से अर्थव्यवस्था को जो तात्कालिक और दूरगामी चोट पहुंची है, उसे आधार बनाकर विपक्ष अपने-अपने राज्यों में मोदी सरकार के खिलाफ बड़ा सियासी मुद्दा बनाने की रणनीति में जुट गया है। कांग्रेस व एक अन्य क्षेत्रीय पार्टी के दो प्रमुख नेताओं नेे अलग-ंअलग बातचीत में दावा किया कि सरकार के इन तर्कों को अब कोई सुनने को तैयार नहीं है कि बड़े उद्योगपतियों और कालाबाजारियों के पास हाल के वर्षों में पहली बार संभवयतया ऐसा हुआ कि नोटबंदी से लोगों को जो पीड़ा हुई है उसका देश की संसद के पास कोई समाधान नहीं था।

बीजेपी की रणनीति पर फिरेगा पानी?

यूपी में जहां बीजेपी सत्ता में आने की रणनीति बना रही थी, वहां नोटबंदी के बाद पैदा हालात ने पार्टी के आकलन को नुकसान पहुंचा दिया। क्योंकि बैंकों में नकदी की कमी से लोगों को जरूरत की मूलभूत चीजें खरीदने में आफत आ रही है।

किसानों का संकट बना मुद्दा

दूसरी ओर नोटबंदी के बाद बीजेपी सांसदों का एक बड़ा वर्ग सरकार को साफ तौर पर आगाह कर रहा है कि गांवों, कस्बों और महानगरों में छोटी-छोटी जरूरतों के लिए आमलोग नकदी के अभाव में गहरी मुसीबत में हैं। किसानों को बीच और खाद खरीदने के लिए नकदी संकट से गुजरना पर रहा है।

गेहूं के साथ धन की फसल पर भी दिखेगा असर

10 बरस में पहली बार देश में गेहूं की पैदावार पर संकट गहरा गया है। गेहूं आयात में डयूटी मुक्त करने के पीछे सरकार की चिंता का असल कारण यही रहा है कि गेहूं की किल्लत से घरेलू बाजार में आटे के दाम आसमान छू सकते थे। पंजाब और यूपी जो कि गेंहू उत्पादक राज्यों में गिने जाते हैं वहां नकदी संकट की गाज सीजन में गेहूं की बुआई पर पड़ी है। हालांकि किसानों का कहना है कि आने वाले 5-6 महीनों में धान की बुआई पर भी इसका बुरा असर पड़ने की बिसात बिछ चुकी है।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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