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मकसद में फेल रहा दो हजार का नोट
नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद सिस्टम में २ हजार का नोट लाया गया था। मकसद था काले धन और नकदी की जमाखोरी पर लगाम लगाना। अपने मकसद में फेल रहने और पुरानी समस्याओं को ही बढ़ावा देने के कारण २ हजार के नोट की छपाई बंद कर दी गई है। इस वित्तीय वर्ष में अभी तक २ हजार का एक भी नोट नहीं छापा गया है। अधिकारियों का कहना है कि २ हजार के नोटों का ज्यादा प्रचलन में रहना सरकार के उद्देश्यों के विपरीत सिद्ध हो रहा है। क्योंकि इन नोटों का इस्तेमाल तस्करी जैसे अवैध कृत्यों के लिये किया जा रहा है।
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इस साल जनवरी में आंध्र-तमिलनाडु सीमा पर २ हजार के नोटों की ६ करोड़ रुपए की खेप पकड़े जाने के बाद सरकार ने इनकी छपाई बंद करने का फैसला किया। वित्तीय वर्ष २०१७ में २ हजार रुपए के ३५४ करोड़ नोट छापे गये। ये तादाद पिछले वर्ष घट कर ४.६ करोड़ नोट रह गई। चालू वित्त वर्ष में एक भी नोट नहीं छापा गया है।
आरबीआई की ताजा रिपोर्ट के अनुसार ५०० व २००० के नकली नोटों की संख्या भी बहुत तेजी से बढ़ी है। २००० रुपए के नकली नोटों की संख्या २०१६-१७ से ३४ गुना बढ़ चुकी है। रिजर्व बैंक ने बताया है कि २०१७-१८ में २ हजार के १७९२९ नकली नोट पकड़े गये थे जबकि २०१६-१७ में इनकी संख्या मात्र ६३८ थी।
सरकार ने लोकसभा में बताया था कि २००० रुपए का नोट का प्रचलन बंद करने का कोई इरादा नहीं है। २०१९ में भारत में २००० रुपए के ३२९१ मिलियन नोट प्रचलन में हैं। जबकि मार्च २०१८ में इनकी संख्या ३३६३ मिलियन थी।