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NEET Paper Leak: लाखों की रकम, सेफ हाउस... आरोपियों ने उगले कई राज! जानिए कैसे काम करता है पूरा नेक्सस

NEET Paper Leak: जूनियर इंजीनियर ने अपनी भूमिका कबूल करते हुए बताया कि अमित और नीतीश ने 4 मई, 2024 को प्रश्नपत्र हासिल किया और उम्मीदवारों को रामकृष्ण नगर इलाके में एक सेफ हाउस में एकत्र किया।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 15 Jun 2024 5:43 PM IST (Updated on: 15 Jun 2024 7:07 PM IST)
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NEET Paper Leak: नीट के रिजल्ट के बाद आए दिन नए नए खुलासे हो रहे हैं। नीट पेपर लीक मामले में अब बड़ा खुलासा सामने आया है। कथित गड़बड़ी की जांच के लिए गठित एजेंसी की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने इस मामले में अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों ने पुलिस की पूछताछ में नीट पेपर लीक के लिए पैसे के लेन-देन और ’सेफ-हाफस’ की बात कबूल की है। वहीं दूसरी ओर बिहार आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के सामने भी सनसनीखेज इकबालिया बयानों से 2024 के मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में बड़ी चूक के संकेत मिले हैं।

संदिग्धों ने अपने इकबालिया बयानों में कहा कि उम्मीदवारों ने नीट पेपर लीक के बदले में 30 लाख रुपये से अधिक की भारी रकम दी थी। शनिवार को, ईओयू एजेंसी ने नौ उम्मीदवारों को नोटिस जारी कर उन्हें ’सॉल्वर गैंग’ से उनके जुड़ाव के बारे में पूछताछ के लिए सबूतों के साथ पटना कार्यालय में बुलाया है। ये सभी उम्मीदवार बिहार के अलग-अलग जिलों से हैं और उन्हें सोमवार और मंगलवार को आने को कहा गया है। वहीं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने अभी तक ताजा घटनाक्रम पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यह तब हुआ जब केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि किसी भी परीक्षा के आयोजन में किसी भी तरह की गड़बड़ी या अनियमितता की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा, हर पहलू पर गौर किया जा रहा है। जवाबदेही तय की जाएगी और चूक की प्रकृति के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. अगर कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो एनटीए की जवाबदेही भी तय की जाएगी।


ईओयू ने 13 उम्मीदवारों के रोल नंबर पाए थे

सॉल्वर गैंग से जुड़े गठजोड़ की जांच करते हुए ईओयू ने 13 उम्मीदवारों के रोल नंबर पाए थे और उनमें से चार को पहले ही गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद ईओयू ने परीक्षण एजेंसी एनटीए से नौ उम्मीदवारों की जानकारी संदर्भ प्रश्नपत्र के साथ मांगी। ईओयू के डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने कहा कि एनटीए ने उम्मीदवारों के एडमिट कार्ड भेजे थे, जिसके जरिए एजेंसी को उनके संपर्क विवरण मिले और उसके बाद उन्हें नोटिस भेजे गए। छात्रों से यह भी पूछा जाएगा कि क्या उन्हें परीक्षा से पहले सॉल्वर गैंग द्वारा प्रश्न याद कराए गए थे या नहीं।


30-30 लाख से अधिक में बिका नीट का पेपर

कथित गड़बड़ी की जांच के लिए गठित एजेंसी की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया है। बयानों में दावा किया गया है कि मेडिकल उम्मीदवारों ने प्रश्नपत्रों के लिए दलालों को 30-30 लाख रुपये से अधिक का लेन-देन हुआ है।

पटना में जूनियर इंजीनियर के ऑफिस में रची गई थी

पूछताछ के दौरान, राज्य सरकार के 56 वर्षीय जूनियर इंजीनियर सिकंदर कुमार यादवेंदु ने अपनी भूमिका कबूल की। जिला पुलिस द्वारा दर्ज किए गए अपने इकबालिया बयान में, सिकंदर ने अपनी संलिप्तता स्वीकार करते हुए कहा कि वह नीतीश और अमित आनंद (जो एक शैक्षिक परामर्श फर्म चलाते थे) से पटना में अपने सरकारी कार्यालय में मिले थे, जहां वे एक साथ मिलकर काम करने के लिए सहमत हुए थे। सिकंदर ने अपने इकबालिया बयान में इस बात को स्वीकार किया कि वह कुछ नीट उम्मीदवारों के परिवारों के संपर्क में था, जिसके बाद पैसे के लेन-देन की सौदेबाजी हुई।


परीक्षा से एक दिन पहले ही लीक हुआ गया था पेपर

सिकंदर ने बताया कि अमित और नीतीश ने 4 मई, 2024 को प्रश्नपत्र हासिल किया और उम्मीदवारों को राज्य की राजधानी के रामकृष्ण नगर इलाके में एक सेफ हाउस में इकट्ठा किया। सिकंदर को अखिलेश और बिट्टू के साथ शास्त्रीनगर पुलिस ने बेली रोड पर राजवंशी नगर मोड़ पर नियमित जांच के दौरान गिरफ्तार किया था, जब वहां कई नीट एडमिट कार्ड देखे गए थे। अमित और नीतीश ने भी शास्त्रीनगर पुलिस को सौंपे गए अपने-अपने इकबालिया बयानों में प्रश्नपत्र लीक में अपनी संलिप्तता को स्वीकार किया है। दोनों ने अपने-अपने इकबालिया बयानों में स्वीकार किया कि उन्होंने प्रत्येक उम्मीदवार से 30 लाख से 32 लाख रुपये लिए थे।

कौन हैं बिहार के ’नटवरलाल’ अमित और नीतीश?

शुरुआती जांच के अनुसार, नीट पेपर लीक में आरोपी नीतीश कुमार वही है जो इससे पहले बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक के मामले में जेल भेजा गया था। ईओडब्ल्यू को संदेह है कि बिहार के नालंदा के संजीव सिंह के नेतृत्व वाला वही समूह भी इसमें शामिल है। गिरफ्तार आरोपियों में से एक अमित आनंद पटना में एक अपंजीकृत शैक्षणिक परामर्श फर्म चलाता था।

आखिर कैसे काम कर रहा था पेपर लीक नेक्सस?

आरोपी बड़े शातिर तरीके से अपने काम को अंजाम देते हैं। पेपर लीक के आरोपी पहले एजुकेशनल कंसल्टेंसीज और कोचिंग ग्रुप के जरिए से छात्रों से संपर्क करते थे। गिरफ्तार आरोपियों में से एक अमित आनंद पटना में एक अपंजीकृत एजुकेशनल कंसल्टेंसी चलाता था। इसके बाद एजेंसियों के कर्मचारियों से सांठगांठ करना और फिर प्रिंटिंग फर्म से परीक्षा केंद्र तक की कस्टडी चेन को तोड़ना इनके काम करने का तरीका है। क्वेश्चन पेपर मिलने के बाद, छात्रों को सुरक्षित घरों यानी सेफ हाउस में इकट्ठा किया और उनसे उत्तर रटवाए। फिर वही ग्रुप सूचना लीक होने से बचाने के लिए उम्मीदवारों को परीक्षा केंद्रों पर छोड़ देता था। अगर सूत्रों की मानें तो एसआईटी मामले की शुरुआत से ही निगरानी कर रही थी, लेकिन राज्य सरकार के एक जूनियर इंजीनियर और बीपीएससी टीआरई 3.0 प्रश्नपत्र लीक मामले में आरोपी एक व्यक्ति सहित 13 महत्वपूर्ण गिरफ्तारियों के बाद ही टीम गठित करने का फैसला किया गया।नीट पेपर लीक मामले में अभी और खुलाने सामने आएंगे ऐसा माना जा रहा है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी वैसे-वैसे एक के बाद एक खुलासे सामने आते जाएंगे




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Shalini Rai

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