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मिनरल वाटर की चुस्कियां लेकर कभी उसके पीछे लिखा नंबर पढ़ा है..नहीं तो इसे पढ़ें

पहली बात कभी-कभी हेडलाइन सिर्फ न्योते का लिफाफा नहीं होती कि देखने दौड़ पड़े.. लिफाफा इतना सुंदर है तो नोट भी बड़ा होगा। अरे! पहले हेडलाइन पढ़ो फिर स्टोरी पढ़ो। तभी तो समझ में आएगा कि मामला क्या है। तो आज हम आपको बताएंगे कि जो प्लास्टिक के बोतल, केन और बर्तन आप यूज करते हैं आखिर वो सुरक्षित हैं भी या नहीं।

Rishi
Published on: 31 July 2019 12:44 PM IST
मिनरल वाटर की चुस्कियां लेकर कभी उसके पीछे लिखा नंबर पढ़ा है..नहीं तो इसे पढ़ें
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मुंबई : पहली बात कभी-कभी हेडलाइन सिर्फ न्योते का लिफाफा नहीं होती कि देखने दौड़ पड़े.. लिफाफा इतना सुंदर है तो नोट भी बड़ा होगा। अरे! पहले हेडलाइन पढ़ो फिर स्टोरी पढ़ो। तभी तो समझ में आएगा कि मामला क्या है। तो आज हम आपको बताएंगे कि जो प्लास्टिक के बोतल, केन और बर्तन आप यूज करते हैं आखिर वो सुरक्षित हैं भी या नहीं।

दिमाग मत लगाओ जो हम लिखने वाले हैं उसे मन लगा के पढ़ना।

ये भी देखें : पॉलीथीन-प्लास्टिक के प्रोडक्‍ट ऐसे करेंगे बैन, 15 अगस्‍त को होगा खास काम: योगी आदित्‍यनाथ

प्लास्टिक के बोतल, केन, बाल्टी, बच्चों के खिलौने सहित प्लास्टिक की सभी चीज पर त्रिभुज के अंदर एक नंबर दिखता है। इसे रेज़ीन आइडेंटीफिकेशन कोड कहते है। ज्यादातर ये तली में नजर आता है। कुछ में अगल बगल भी होता है।

अब समझों ये रेजीन आइडेंटिफिकेशन कोड कोड क्या बला है

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इसका मतलब होता है राल। साइंस पढ़े हो तो समझ लो इसे पदार्थ कहते हैं। प्लास्टिक कई पदार्थ से मिलकर बनती है। आइडेंटीफिकेशन कोड बोले तो पहचान का संकेत।

कोडिंग इस लिए आरंभ की गई ताकि रिसाइकिल करने वाले को पता चल सके कि फला प्लास्टिक फला रेज़ीन से बना है। और इसे कैसे रिसाइकिल करना है।

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वैसे काम की बात बता दें ये कोड कंपनी अपने लिए बनाती है तुम कहीं लीगल यूज मत कर लेना।

रेजीन आइडेंटिफिकेशन कोड 1

इस कोड वाला ‘प्लास्टिक पॉलिमर’ कपड़ा उद्योग में इस्तेमाल होता है। इससे बनने वाले कंटेनर में बाहर की हवा अंदर जा ही नहीं सकती। ठीक वैसे ही जैसे जब मंदिर में भगवान के सोने का समय होता है तो उनके मैनेजर (पुजारी जी की बात कर रहे हैं) हमें घुसने नहीं देते। दरवाजे पर ही रोक लेते हैं.. नो इंट्री टाइप। इससे अंदर रखा भोज्य पदार्थ अपनी अंतिम डेट से पहले खराब नहीं होता। इस तरह के रेजीन का प्रयोग कोल्ड ड्रिंक की बोतल, जार वगैरा में में किया जाता है।इनमें रखा माल एक्सपायरी डेट से एक हफ्ते पहले ही प्रयोग में ले लेना चाहिए वर्ना डाक्टर की जरुरत पड़नी ही है।

रेजीन आइडेंटिफिकेशन कोड 2

ये दूध, पानी, जूस और दवा की बोतलों पर नजर आता है।

रेजीन आइडेंटिफिकेशन कोड 3

अब ये कोड नजर नहीं आता है। स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए ये सबसे बुरा था। लेकिन आज भी इसका प्रयोग जोर शोर से चल रहा है। कहीं नजर आ जाए तो पर्यावरण मंत्री की ट्विटर पर तस्वीर चेप देना बहुत शाबासी मिलेगी। वैसे चीन से आए खिलौनों में इसे आसानी से देखा जा सकता है।

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रेजीन आइडेंटिफिकेशन कोड 4

ये कोड ब्रेड, मिठाइयों की पैकिंग टोमेटो केचप की बोतल में नजर आता है।

रेजीन आइडेंटिफिकेशन कोड5

इस कोड को केचप, दही, डब्बाबंद पनीर, स्ट्रॉ, बोतल के ढक्कन, बच्चों की बोतलों पर देखा जा सकता है।

आजकल की जो हेलिकॉप्टर मां हैं वो विशेष ध्यान दें। घंटों बच्चे की फीडर खौला के उनको लगता है न कि मैं बड़ी काबिल हूं। तो आज से मान लो तुम डम्बो हो। तुम्हारा ऐसा करना बच्चे के लिए बहुत खतरनाक है। आगे से गर्म मत करना।

रेजीन आइडेंटिफिकेशन कोड 6

ये कोड पैकेजिंग, हेलमेट, डिस्पोजेबल गिलास प्लेट्स में नजर आता है। हम बताएंगे नहीं कि इसके प्रयोग से कौन ही बिमारी होती है। लेकिन माता रानी की कसम अभी से ही खा लो कि डिस्पोजेबल गिलास प्लेट्स में कुछ भी खाना नहीं है।

रेज़ीन आइडेंटीफिकेशन कोड 7

ये जो कोड है ये उसपर नजर आता है जिसके बारे में पता ही नहीं होता कि ये किस प्लास्टिक से बना है।

विशेष तौर पर दिमाग में बैठा लो 1, 3, 6 और 7 कोड वाले प्लास्टिक से बने डब्बों से अपने को और अपनों को बचा कर रखना है।

अभी भी समझ में नहीं आया हो तो लगे हाथ फोटू भी देखे लो।



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Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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