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नूपुर शर्मा का पैगम्बर पर बयान बना वैश्विक मुद्दा, जल्द बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम

Nupur Sharma Controversy: नूपुर शर्मा के बयान के बाद अरब देशों द्वारा इसका जमकर विरोध किया गया। इस बीच नूपुर शर्मा के बयान के चलते ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा होने वाला है।

Rajat Verma
Published on: 13 Jun 2022 12:58 PM GMT
नूपुर शर्मा का पैगम्बर पर बयान बना वैश्विक मुद्दा, जल्द बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम
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नूपुर शर्मा के बयान के चलते जल्द बढ़ेंगे पेट्रोल डीजल के दाम (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Petrol-Diesel Price: पूर्व भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) द्वारा पैगम्बर मोहम्मद पर दिया गया विवादित बयान अब वैश्विक मुद्दा बन गया है और इसका सीधा असर व्यापार पर भी देखा जा रहा है, जिसमें कच्चे तेल का आयात (Crude Oil Import) सबसे अहम है। दरअसल, नूपुर शर्मा के बयान (Nupur Sharma Statement) के बाद अरब देशों द्वारा इसका जमकर विरोध किया गया और इसी के चलते भाजपा हाईकमान (BJP High Command) ने एक नोटिस जारी कर नूपुर शर्मा को पदमुक्त करते हुए पार्टी से निष्काषित कर दिया है। ऐसे में अब खबर आ रही है कि नूपुर शर्मा के बयान के चलते ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Petrol Diesel Price Hike) में इजाफा होने वाला है।

एक ओर जहां रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia-Ukraine War) और तनाव के चलते कच्चे तेल की कीमतें वैसे ही आसमान छू रही हैं और अब अरब और खाड़ी देशों की भारत और नूपुर शर्मा के बयान से नाराजगी ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। वर्तमान में तेल डीलरों के पास तक आवश्यकता अनुसार पर्याप्त मात्रा में कच्चा तेल नहीं पहुंच पा रहा है। डीलरों को कच्चे तेल की सप्लाई कम होने से अंततः इसका सीधा असर पेट्रोल-डीजल के दाम पर पड़ने वाला है।

ऐसे में अब विपक्ष द्वारा भाजपा पर खाड़ी देशों के दबाव और उनसे डरने का आरोप लगाया जा रहा है, दरअसल भाजपा ने नूपुर शर्मा को खाड़ी देशों के विरोध के बाद ही पार्टी से निष्काषित किया है।

भाजपा द्वारा नूपुर शर्मा को पार्टी से बाहर निकालने के निर्णय के बाद नूपुर शर्मा के बयान पर दो अलग-अलग तबका बंट गया है, जिसमें एक नूपुर शर्मा के बयान को सही ठहराया रहा है वहीं दूसरा नूपुर शर्मा द्वारा एक धर्म विशेष का अपमान करने को लेकर उनके खिलाफ सख्त कर्यवाही की मांग कर रहा है। फिलहाल, महाराष्ट्र में नूपुर शर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जा रही है।

कच्चे तेल के दाम में तेज उछाल

बीते माह पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार द्वारा एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty) में कमी किए जाने के कारण उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिली थी। लेकिन जल्द ये राहत काफूर हो सकती है। दरअसल अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम लगातार चढ़ रहे हैं। कच्चे तेल की लागत बढ़कर 121.28 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है। जो 2012 के बाद से यानि 10 साल में हाई रिकॉर्ड पर है। 15 दिन पहले यानि 29 मई 2022 को अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव 114 डॉलर प्रति बैरल था।

21 मई 2022 को केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल – डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती करने से जनता को राहत मिली थी मगर इससे पेट्रोलियम कंपनियों पर बोझ बढ़ गया था। ऐसे में अब कच्चे तेल की लगातार बढ़ रही कीमतों से पेट्रोलियम कंपनियों का मुनाफा प्रभावित होगा। ऐसे में माना जा रहा है कि पेट्रोल और डीजल महंगा हो सकता है। पिछले दिनों केंद्र द्वारा पेट्रोल पर 8 रुपये और डीजल पर 6 रुपये एक्साइज ड्यूटी में कटौती के बाद देशभर में पेट्रोल 9.50 रुपये और डीजल 7 रुपये प्रति लीटर सस्ता हुआ था। इसके बाद देश के कुछ राज्यों ने भी वैट में कमी की थी, इनमें विपक्ष शासित महाराष्ट्र, राजस्थान और केरल शामिल हैं।

कच्चे तेल के प्रमुख उत्पादक देश

ब्लूमबर्ग के एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में कच्चे तेल का सबसे बड़ा उत्पादक देश संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) (16.5 मिलियन बैरल) है। इसके बाद दूसरे स्थान पर सऊदी अरब (11 अरब मिलियन बैरल) और तीसरे स्थान पर रूस (10.7 मिलियन बैरल) है। ओपेक कच्चे तेल उत्पादक देशों का एक संगठन है। दुनियाभर में बेचे जाने वाले कच्चे तेल का 60 प्रतिशत उत्पादन यहीं होता है। रूस ओपेक संगठन में शामिल नहीं है, मगर 2017 से वह इस संगठन के साथ तेल उत्पादन की सीमा तय करने की दिशा में काम कर रहा है, ताकि कच्चे तेल के दाम बेतहाशा न बढ़ें। देखा जाए तो दुनिया के कच्चे तेल का 12% उत्पादन रूस में, 12% सऊदी अरब में और 16-18% उत्पादन अमेरिका में होता है।

भारत को इन देशों से मिलता है तेल

केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी द्वारा राज्यसभा दिए गए बयान के मुताबिक, भारत को रोज 50 लाख बैरल कच्चे तेल की जरूरत होती है। वित्त वर्ष 2020-21 में भारत ने कच्चे तेल की अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस की अपनी जरूरत का 54 फीसदी आयात किया। भारत 60 प्रतिशत कच्चा तेल केवल खाड़ी देशों से आयात करता है। तेल खपत के मामले में भारत अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का सबसे बड़ा देश है। बीते साल भारत ने सबसे अधिक तेल मिडिल ईस्ट से लिया था।

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक, अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 में भारत ने सबसे अधिक इराक से 22.14 अरब डॉलर का कच्चा तेल आयात किया है। इसके बाद सऊदी अरब (16.4 अरब डॉलर) यूएई (9.02 अरब डॉलर), अमेरिका (7.94 अरब डॉलर), नाइजीरिया (6.8 अरब डॉलर), कुवैत (5.92 अरब डॉलर), मैक्सिको (2.82 अरब डॉलर), ओमान (2.72 अरब डॉलर), रूस (2.13 अरब डॉलर) और ब्राजील (1.88 अरब डॉलर) का स्थान है।

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Shreya

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