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Mission 2024: भाजपा के खिलाफ BJD की नई चुनावी रणनीति,‘जय श्रीराम’ की काट के लिए ‘जय जगन्नाथ’ के नारे का उद्घोष
Mission 2024: बीजू जनता दल ने राज्य में जय श्रीराम का मुकाबला करने के लिए नई रणनीति तैयार की है। भाजपा के जय श्रीराम के उद्घोष का मुकाबला करने के लिए बीजू जनता दल की ओर से जय जगन्नाथ का उद्घोष किया जा रहा है।
Mission 2024: अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले भगवान रामलला के प्राणों प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर पूरे देश में इन दिनों ‘जय श्रीराम’ की धूम दिखाई दे रही है। भाजपा इस कार्यक्रम को बिग शो बनाने की अपनी मुहिम में कामयाब दिख रही है। ऐसे में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अगुवाई वाले बीजू जनता दल ने राज्य में जय श्रीराम का मुकाबला करने के लिए नई रणनीति तैयार की है। भाजपा के जय श्रीराम के उद्घोष का मुकाबला करने के लिए बीजू जनता दल की ओर से जय जगन्नाथ का उद्घोष किया जा रहा है।
बीजू जनता दल ने दिया जय जगन्नाथ का नारा
ओडिशा में भाजपा पहले ही अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में बीजू जनता दल के साथ किसी भी प्रकार का कोई तालमेल नहीं होगा। भाजपा के इस ऐलान के बाद राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनाव को लेकर बीजू जनता दल और भाजपा के बीच खींचतान शुरू हो गई है।
बीजू जनता दल के नेता और लंबे समय से ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को राज्य की सियासत का माहिर खिलाड़ी माना जाता है। ऐसे में उनकी पार्टी की ओर से भाजपा के जय श्री राम के उद्घोष का जवाब देने के लिए जय जगन्नाथ के नारे का उद्घोष किया जा रहा है। पार्टी के कार्यकर्ताओं की ओर से इस नारे पर फोकस किया गया है और इसके जरिए राज्य के लोगों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है।
जगन्नाथ मंदिर को लेकर बीजद की बड़ी तैयारी
ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के मुखिया नवीन पटनायक ने बुधवार को पुरी के विश्वविख्यात जगन्नाथ मंदिर के नवनिर्मित गलियारे का उद्घाटन किया था। जगन्नाथ मंदिर कॉरिडोर को काशी के विश्वनाथ मंदिर और उज्जैन के महाकाल मंदिर के कॉरिडोर की तर्ज पर विकसित किया गया है। अब ओडिशा सरकार की ओर से अगले एक महीने तक राज्य के विभिन्न हिस्सों से लोगों को पुरी लाने की तैयारी है।
राज्य सरकार की ओर से प्रतिदिन करीब दस हजार लोगों को यहां की यात्रा कराई जाएगी। बीजू जनता दल की ओर से तैयार की गई इस रणनीति को भाजपा की मुहिम की काट के रूप में देखा जा रहा है। इसे अयोध्या में आयोजित प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के जवाब के रूप में माना जा रहा है।
नवीन पटनायक की नई रणनीति
दरअसल ओडिशा में लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। माना जा रहा है कि चुनाव आयोग दोनों चुनावों को एक साथ करा सकता है। इस कारण पटनायक सरकार काफी सतर्क दिख रही है। बीजू जनता दल के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि नवीन पटनायक 23 साल से अधिक समय से राज्य की सत्ता पर काबिज हैं और वे प्रतिद्वंद्वी दलों की ओर से पैदा की जाने वाली चुनौतियों से अच्छी तरह वाकिफ हैं।
बीजद नेता ने कहा कि नवीन पटनायक को इस बात की बखूबी जानकारी है कि भाजपा राम मंदिर और प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के जरिए क्या हासिल करना चाहती है। भाजपा के हिंदुत्व का मुकाबला करने के लिए भी पार्टी की ओर से रणनीति तैयार की गई है। यदि भाजपा की ओर से जय श्रीराम का नारा लगाया जाता है तो हमारे पास उसका जवाब देने के लिए जय जगन्नाथ का नारा है।
भाजपा ने किया था कार्यक्रम का बहिष्कार
वैसे एक और बात काबिले गौर है कि जिस तरह विपक्षी दलों ने अयोध्या में भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से किनारा कर लिया है,उसी तरह भाजपा ने भी जगन्नाथ मंदिर के प्रोजेक्ट से किनारा कर लिया था। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल ने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार की ओर से जगन्नाथ मंदिर से जुड़े प्रोजेक्ट का उद्घाटन इस तरह किया गया जैसे कि यह बीजू जनता दल का कार्यक्रम हो।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने इसीलिए इस कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी। मजे की बात यह है कि विपक्षी दलों की ओर से अयोध्या के कार्यक्रम को लेकर भी इसी तरह का आरोप लगाया जा रहा है। कांग्रेस और अन्य दलों का आरोप है कि यह कार्यक्रम इस तरह आयोजित किया जा रहा है जैसे कि यह भाजपा और संघ का कार्यक्रम हो।
इस बार कड़े मुकाबले के आसार
ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल के बीच 2000 से 2009 तक गठबंधन रहा है। अब भाजपा की ओर से अपना रुख साफ किए जाने के बाद राज्य में बीजू जनता दल, भाजपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना जताई जा रही है। भाजपा की ओर से भले ही कांग्रेस को मुकाबले से बाहर बताया जा रहा हो मगर कांग्रेस भी चुनाव तैयारियों में जुटी हुई है।
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजू जनता दल ने राज्य की 21 में से 12 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा को आठ और कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली थी। राज्य की 146 विधानसभा सीटों में से बीजू जनता दल को 112, भाजपा को 23 और कांग्रेस को सिर्फ नौ सीटों पर जीत हासिल हुई थी। वैसे विभिन्न दलों की चुनावी तैयारी को देखते हुए इस बार लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान कड़े मुकाबले के आसार हैं।