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Menstrual Leave: सरकार ने किया वर्किंग महिलाओं के लिए बड़ा ऐलान, अब मिलेगी सरकारी व निजी में पीरियड लीव

Menstrual Leave: महिलाओं के पीरियड लीव की मांग पर चर्चा देश में काफी समय हो रही है। इस मुद्दे पर कई बार विवादिता बयानबाजी भी हो चुकी है। ममला देश की शीर्ष अदालत तक भी पहुंचा गया था।

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Newstrack Network
Published on: 15 Aug 2024 2:44 PM IST (Updated on: 15 Aug 2024 4:05 PM IST)
Menstrual Leave
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Menstrual Leave (सोशल मीडिया) 

Menstrual Leave: ओडिशा (Odisha) की सरकार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जॉब करने वाली महिलाओं को राहत प्रदान वाली बड़ी घोषणा की है। दरअसल, राज्य सरकार ने सरकारी और प्राइवेट सेक्टर दोनों में काम करने वाली महिला कर्मचारियों के लिए एक दिन की मेंस्ट्रुअल यानी पीरियड लीव देने की घोषणा की है। यह ऐलान राज्य की उप मुख्यमंत्री प्रवती परिदा ने गुरुवार को किया है। भारत में पीरियड लीव पर कोई केंद्रीय कानून या नीति नहीं है। हालांकि 2020 में जोमैटो ने पीरियड लीव का ऐलान किया था। जोमैटो हर साल 10 दिन की पेड लीव देता है। जोमैटो के बाद और भी कई स्टार्टअप ने पीरियड लीव देने लगी है। अगर सरकार की ओर इस पर छुट्टियों की बात करें तो अभी तक भारत में तीन राज्य की सरकारें है जो महिलाओं को पीरियड लीव प्रदान करती हैं, जो कि बिहार, केरल और सिक्किम में है और यहां पर पीरियड लीव पर नियम है।

ओडिशा में महिलाओं को एक दिन का पीरियड लीव

कटक में आयोजित जिला स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान ओडिशा की उपमुख्यमंत्री प्रवती परिदा ने कहा कि ओडिसा में ने सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाली महिला कर्मचारियों को एक दिन की मेंस्ट्रुअल यानी पीरियड लीव देने की घोषणा की जाती है। इस घोषणा को तत्काल प्रभाव से आज से ही लागू किया जाता है। अब से राज्य की महिलाएं मेंस्ट्रुअल साइकल के पहले या दूसरे दिन छुट्टी ले सकते हैं, जो बिना वेतन कटौती के होगी।

यह वैकल्पिक है

उन्होंने कहा कि इस पहल से महिलाओं को उनके स्वास्थ्य और कल्याण को ज्यादा प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में सहायता प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि यह वैकल्पिक है, जो महिलाएं पेशेवर काम में शामिल थीं, वे शारीरिक दर्द के पहले या दूसरे दिन छुट्टी ले सकती हैं। यह सरकारी और निजी क्षेत्र की नौकरी करने वालों दोनों के लिए लागू होगा।

भारत में होती रही है मेंस्ट्रुअल लीव की मांग

महिलाओं के पीरियड लीव की मांग पर चर्चा देश में काफी समय हो रही है। इस मुद्दे पर कई बार विवादिता बयानबाजी भी हो चुकी है। ममला देश की शीर्ष अदालत तक भी पहुंचा गया था। हालांकि वहां से याचिकाकर्ताओं को झटका मिला और पीरियड लीव की मांग की याचिका को खारिच कर दिया गया।

स्मृति ईरानी ने दिया था ये बयान

हाल ही में पीरियड लीव पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कुछ ऐसा बयान दिया था, जिसके पूरे देश में विवाद खड़ा हो गया था। दरअसल, पिछले साल राज्यसभा में RJD सांसद मनोज कुमार झा के एक सवाल का जवाब देते हुए बुधवार (13 दिसंबर) को ईरानी ने कहा कि मासिक धर्म जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा है और इसे विशेष अवकाश प्रावधानों की जरूरत वाली बाधा के रूप में नहीं माना जाना चाहिए, जिसके बाद वे विरोधियों के निशाने पर आ गईं थी।

पीरियड लीव मामले पर सुप्रीम कोर्ट से मिल चुका झटका

इससे पहले इस साल बीते फरवरी को महिलाओं के पीरियड लीव को डाली गई जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने से इनकार कर दिया था। इस याचिका में कोर्ट के मांग की गई थी कि वह सभी राज्यों को निर्देश छात्राओं और कामकाजी महिलाओं के लिए उनके संबंधित कार्य स्थलों पर मासिक धर्म के दौरान छुट्टी के लिए नियम बनाएं, लेकिन कोर्ट याचिका को सुनने से इनकार करते हुए खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा था कि यह मुद्दा सरकार के नीतिगत दायरे में आता है, न्यायालय के अधीन है। साथ याचिकाकर्ता को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा निर्णय लेने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को एक प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है। यह जनहित याचिका वकील शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने दाखिल की थी, जोकि मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष लगी थी।

Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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