Odisha News: पटनायक सरकार ने 57000 संविदाकर्मियों को किया स्थायी, जानें सरकारें आखिर क्यों रखती हैं संविदाकर्मी

Odisha News: नवीन पटनायक ने उड़ीसा में संविदा पर कार्यरत 57,000 कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश जारी कर दिया है।

Jugul Kishor
Published on: 17 Oct 2022 12:18 PM GMT (Updated on: 17 Oct 2022 1:38 PM GMT)
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सीएम नवीन पटनायक (Pic: Social Media)

Odisha News: जहां केंद्र व राज्य सरकारों में संविदा कर्मियों की तादाद में लगातार इज़ाफ़ा किया जा रहा है। संविदा कर्मी अपने शोषण के खिलाफ आंदोलनरत है। वहीं उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अपने जन्म दिन की पूर्व संध्या पर राज्य में कार्यरत संविदा कर्मियों को अनोखी सौग़ात देकर खूब वाहवाही लूट ली है। अपने जन्मदिन के छिहत्तर साल होने पर नवीन पटनायक ने उड़ीसा में संविदा पर कार्यरत 57,000 कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश जारी कर दिया। साथ ही उड़ीसा में संविदाकर्मियों को रखने की प्रक्रिया को भी समाप्त कर दिया।

सीएम नवीन पटनायक ने इस बात की घोषणा करते हुए कहा कि मुझे यह बताते और लागू करते हुए खुशी हो रही है कि राज्य मंत्रिमंडल ने संविदा कर्मचारी भर्ती प्रक्रिया को स्थायी रूप से समाप्त करने का फैसला लिया है। उड़ीसा सरकार द्वारा लिये गये फैसले की चारों तरफ तारीफ हो रही है। इस फैसले से उड़ीसा सरकार पर 1300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा। पर नवीन पटनायक ने इसकी चिंता किये बिना राज्य के संविदा कर्मियों को स्थायी राहत पहुँचाई है।

उड़ीसा सरकार द्वारा लिए गए फैसले से अन्य राज्यों के संविदा कर्मचारियों को भी लग रहा है कि किसी न किसी दिन वो भी नियमित हो जाएंगे। आज इस रिपोर्ट में जानेंगे राज्य सरकारें आखिर संविदा पर कर्मचारी क्यों रखती हैं। आखिर में राज्य सरकारों को संविदा पर कर्मचारी रखने में क्या फायदा होता है।

संविदा क्या है

राज्य सरकारें जब किसी कर्मचारी को संविदा पर नौकरी देती हैं, तो कुछ नियम व शर्तों के तहत भर्ती करती हैं। संविदा पर रखे गये कर्मचारियों के लिए किसी प्रकार के कोई भी मानक नहीं हैं। राज्य सरकारें संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों को एक फिक्स अमाउंट प्रतिमाह देती हैं। अन्य किसी भी प्रकार के भत्ते नहीं दिये जाते हैं। ये अस्थायी कर्मचारी होते हैं जिन्हे कभी भी हटाया जा सकता है।

संविदा कर्मचारी रखने के फायदे और नुकसान

राज्य सरकारों को कोई भी भर्ती नहीं निकालनी पड़ती है। वह आवश्यकता के अनुसार संविदा कर्मियों को रख लेती हैं। सरकार पर इनकी किसी भी तरह जिम्मेदारी नहीं होती हैं। राज्यों में बड़ी-बड़ी कंपनियां राज्य सरकारों को संविदा पर कर्मचारी उपलब्ध कराती हैं। संविदा कर्मचारियों का शोषण होता रहता है, लेकिन इनकी मदद के लिए कोई भी आगे नहीं आता है। देखा गया है संविदा कर्मचारियों की भर्ती में वित्तीय अनियमितताएं भी सामने आती हैं। यही नहीं, संविदा कर्मी यह भी आरोप लगाते हुए सुने गये हैं कि उन्हें बारह महीने का वेतन नहीं मिलता है। हर महीन देय वेतन का एक बड़ा हिस्सा मैन पावर सप्लाई करने वाली कंपनी के हिस्से चला जाता है।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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