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BSF में तोंद पड़ रही भारी! जवानों को अब करना पड़ेगा ये सभी काम
तोंद' कम करने के चक्कर में बीएसएफ में एक सिपाही की मौत हो गई, लेकिन इसके बाद भी ये कम नहीं हुआ है। एक सिपाही विनोद सिंह की मौत हो चुकी है। बताया जाता है 150 किलो वजन वाले सिपाही के कंधे पर एक भारी भरकम खंभा रखकर उसे दौड़ाया गया।
नई दिल्ली: 'तोंद' कम करने के चक्कर में बीएसएफ में एक सिपाही की मौत हो गई, लेकिन इसके बाद भी ये कम नहीं हुआ है। एक सिपाही विनोद सिंह की मौत हो चुकी है। बताया जाता है 150 किलो वजन वाले सिपाही के कंधे पर एक भारी भरकम खंभा रखकर उसे दौड़ाया गया। इससे उसकी जान चली गई। अब इस मामले की जांच हो रही है। दूसरी ओर सीमा सुरक्षा बल के डीजी का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे आईपीएस एसएस देसवाल ने अब दिल्ली में बीएसएफ अधिकारियों और कर्मियों को दौड़ाने का आदेश जारी कर दिया है।
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बंदर रस्सी वाले करतब दिखाना
शारीरिक दक्षता परीक्षा में करीब दो हजार से ज्यादा अधिकारियों और कर्मियों को साढ़े तीन किलोमीटर दौड़ना होगा। 55 वर्षीय जवान, अपने साथी को कंधे पर बैठाकर 200 मीटर दौड़ेंगे और 6 फुट की दीवार व 9 फुट गहरा गड्ढा भी लांघना पड़ेगा।मसाथ ही, बंदर रस्सी बीएसएफ के कुछ कर्मियों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पिछले चार महीनों से जारी लॉकडाउन में कई तरह की गतिविधियों में कमी आई है। इन तथ्यों के बावजूद बल मुख्यालय व प्रशिक्षण शाखा उनकी परीक्षा लेने की तैयारी में लगा है।
एक कर्मी की मौत
अभी हाल ही में राजस्थान के जोधपुर में एक कर्मी की मौत शारीरिक प्रशिक्षण के दौरान हुई है। निश्चय ही शारीरिक दक्षता एक महत्वपूर्ण विषय व जरूरत है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में जब हम अपने घर से बाहर केवल ऑफिस जाने के लिए मुश्किल से निकल रहे हैं, उस समय पर ऐसे आदेश न्यायोचित नहीं हैं। यह आयोजन सामाजिक दूरी जैसे नियमों का उल्लंघन है। पिछले चार महीनों से बंद प्रशिक्षण गतिविधियों की वजह से मास्क पहन कर दौड़ने से गंभीर हालत, जैसे हार्ट अटैक तक की नौबत आ सकती है। सीमा सुरक्षा बल में अब तक 2000 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव केस आ चुके हैं।
यदि प्रतिव्यक्ति एक किलो वजन कम होने का खर्च देखें, तो वह 68 हजार रुपये है। अगर इसमें ट्रेनिंग अकादमी का खर्च भी जोड़ दें, तो वह राशि करोड़ में पहुंच जाती है। जिन कर्मियों का वजन 105 किलो से ज्यादा है, उन्हें मुश्किल पोस्टिंग पर भेजा जा रहा है। 24 अफसरों के पहले बैच में डीआईजी या कमांडेंट का 24 दिन का वेतन दो लाख रुपये है। टीए/डीए और कमरे का किराया जोड़ें तो यह खर्च 31,200 रुपये तक पहुंच जाता है। इस अवधि का एसजी वेतन 48 हजार रुपये और टीए/डीए ऑफ एसजी 12 हजार रुपये बनता है।
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खर्च भी हो रहा है..
टेकनपुर तक आने जाने का खर्च 50 हजार रुपये आया है। एक अधिकारी का वजन कम होने में करीब 3.41 लाख रुपये लग गए हैं। ट्रेनिंग के खर्च को छोड़ दें, तो 24 अधिकारियों की तोंद घटाने का खर्च 81,88,000 रुपये आया है। यानी 68,240 रुपये में एक किलो वजन घटा है। सूत्रों का कहना है कि राजस्थान में बीएसएफ के जवान विनोद सिंह की मौत होने के बाद आला अफसरों की नींद टूटी है। पहले इस बाबत कोई आदेश जारी नहीं किए गए थे कि शारीरिक दक्षता परीक्षण कराने के लिए मेडिकल के कौन से मापदंड अपनाए जाएं। अफसरों और सिपाहियों को बिना उनकी शारीरिक जांच किए मैदान में दौड़ा दिया गया। अब कहा जा रहा है कि इस ट्रेनिंग से पहले संबंधित कर्मियों और अधिकारियों की आयु व मेडिकल तौर पर उनकी फिटनेस का ध्यान रखा जाए। ट्रेनिंग में उतरने से पहले जवानों का मेडिकल परीक्षण होगा। इस तरह जवानों तो चुस्त दुरुस्त रखने के लिए ट्रेनिंग जरूरी है।