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अमेरिका के ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने के बाद भी तेल की कीमतें घटी
अनुज अवस्थी
जैसा कि अमेरिका ने घोषणा की थी कि 4 नवम्बर से ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लग जायेंगे इसलिये दुनिया का कोई भी मुल्क ईरान के साथ व्यापार न करे। 5 नवम्बर से ईरान पर ये प्रतिबंध प्रभावी हो गये। अब विशेषज्ञों की नज़र इस बात पर रहेगी कि इन प्रतिबंधो का दुनिया की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा। ईरान दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। तेल पर प्रतिबंध लग जाने से अच्छे-अच्छे देशों की अर्थव्यवस्था चौपट हो जाती है। आइयें नज़र डालते है आखिर अमेरिका ने ईरान पर क्यों ये प्रतिबंध लगाये और दुनिया पर इस विवाद पर क्या असर पड़ेगा-
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अमेरिकी प्रतिबंध के बाद तेल की कीमतों पर असर
5 नवम्बर को अमेरिकी प्रतिबंध लागू होने के बाद दुनिया में उम्मीद जताई जा रही थी कि कच्चे तेल की कीमतों के दाम बढ़ जायेंगे। पर हुआ इसके उल्टा। जहां विश्व में आर्थिक मंदी के कारण तेल 86 डॉलर प्रति बैरल पर आ गये है, वहीं सोमवार को इसकी कीमत गिरकर 72.65 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गयी। इसके पीछे तेल देशों के संगठन ओपेक और रूस के तेल के अधिक उत्पादन करने के वादे को माना जा रहा है। सन् 2016 के बाद ओपेक ने तेल के उत्पादन को बढ़ाया है। अक्टूबर महीनें में सऊदी अरब और लीबिया ने तेल का सर्वाधिक उत्पादन किया था। अमेरिका ने भी 2015 के बाद से रिकॉर्ड 875 प्वाइंट्स से तेल का उत्पादन शुरू कर दिया है।
प्रतिबंध के बाद ईरान पर असर
सोमवार को प्रतिबंध लागू होने के बाद ईरान के राष्ट्रपति रूहानी ने अमेरिका पर गुस्सा जाहिर करते हुए वायुसेना के युद्धाभ्यास कार्यक्रम में कहा कि इन प्रतिबंधों से मध्य एशिया में युद्ध जैसे हालात बन गये है, जो काफी खतरनाक हो सकते है। विशेषज्ञों को उम्मीद थी कि जहां अभी तक ईरान 38 लाख बैरल कच्चे तेल का निर्यात कर रहा था, वो प्रतिबंधों के बाद गिरकर 3 लाख से 10 लाख बैरल पर आ जायेगा,पर ऐसा कुछ नहीं हुआ ।
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अमेरिका की रणनीति
अमेरिका दुनिया के सामने ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाकर अपनी हेकड़ी दिखाना चाहता है। अमेरिका मानकर चल रहा है कि इन प्रतिबंधों से ईरान उसकी शर्तो को मानने को तैयार हो जायेगा और मध्य एशिया में खोई हुई ताकत को वापस पा लेगा। अमेरिका को लगता है कि मध्य एशिया के क्षेत्र में रूस और चीन अपनी जड़ें जमा रहे है, उन्हें रोकने के लिये व्यापार रणनीति अपनानी जरूरी है क्योंकि बड़े मुल्क अब जानते है कि आज युद्ध से नहीं व्यापार से ही किसी मुल्क पर दबाव बनाया जा सकता है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि दुनिया को पता चल गया है कि हम कौन है और क्या कर सकते है। ईरान पर लगे ये कड़े आर्थिक प्रतिबंध इसी बात को दर्शोते है।
प्रतिबंधों का भारत पर असर
अमेरिका ने भारत,चीन और जापान समेत कुल 8 मुल्कों को तेल आयात करने की छूट दे दी है पर उसने ये शर्त रखी है कि उन्हें धीरे-धीरे तेल का निर्यात कम करना होगा। ईरान, इराक और सऊदी अरब के बाद तीसरा सबसे बड़ा सप्लायर देश है। भारत ईरान से रोजना 5 लाख बैरल तेल खरीदता है। भारत को छूट मिलने से उसकी अर्थव्यवस्था पर इन प्रतिबंधों का कोई असर नही पड़ने वाला है।
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वहीं चीन के बाद भारत दूसरा बड़ा निर्यातक होने के कारण ईरान के लिये भी ये एक राहत की बात है। भारत के लिये एक बड़ी राहत की बात ये भी है कि प्रतिबंध लगने के बाद भारत ईरान से तेल के दाम को लेकर मोल-भाव कर सकता है। ईरान इस समय तेल के दाम तय करने की स्थिति में नही है।
दूसरी तरफ अमेरिका इस स्थिति में नही है कि भारत और चीन जैसे बड़े मुल्कों पर प्रतिबंध के जरिये दबाव बनायें इसलिये अमेरिका ने धीरे-धीरे तेल निर्यात कम करने की शर्त के साथ छूट दी है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल 2015 में ईरान और सयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 सदस्यों के बीच न्यूक्लियर समझौता हुआ था। तब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने के लिये ईरान पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों से राहत दी थी। लेकिन 2018 में राष्ट्रपति ट्रंप की ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी से तल्खी के बाद अमेरिका ने परमाणु करार तोड़ दिया और आर्थिक प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी। ट्रंप ने सभी विदेशी कम्पनियों को 6 महीनें के भीतर व्यापार समेटेने के आदेश दे दिये और 4 नवम्बर के बाद तेल आयात न करने की चेतावनी दे दी।
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क्या होते आर्थिक प्रतिबंध
किसी देश के व्यापार पर बंदिश, अलग अलग अंतरराष्ट्रीय शुल्कों में बढ़ोतरी, बैंकों के माध्यम से होने वाले वित्तीय लेन-देन पर रोक, कंपनी और व्यक्तिगत खातों को सील किया जाना आर्थिक प्रतिबंध होता है। इस तरह से उस देश की वित्तीय अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश की जाती है। शक्तिशाली देश अक्सर इस उपाय को अपनाते हैं। मसलन सबसे बड़ी सैन्य और आर्थिक महाशक्ति अमेरिका ने क्यूबा, ईरान, उत्तर कोरिया जैसे देशों पर समय-समय पर प्रतिबंध लगाए हैं।
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अगर भारत को तेल खरीदनें की छूट न मिलती तो भारत की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचता क्योंकि तेल के व्यापार में भुगतान डॉलर में होता है और भारत कुल निर्यात का 86% भुगतान डॉलर में करता है। ऐसे में प्रतिबंध लग जाने के बाद भारत को भुगतान करने में दिक्कत आती क्योंकि इस समय भारत में डॉलर 70 रूपये के पार पहुंच गया है और अमेरिका से भी हमारा निर्यात महज 15% के पास है। अंतरार्ष्ट्रीय मुद्रा डॉलर में होने के कारण आर्थिक प्रतिबंध लग जाने के बाद व्यापार करने में मुश्किलें आती है।