भटक गई दादी, मिलाया ‘आधार’ ने, जानिए पूरी कहानी

Aditya Mishra
Published on: 16 July 2018 6:52 AM GMT
भटक गई दादी, मिलाया ‘आधार’ ने, जानिए पूरी कहानी
X

मुंबई: सोशल मीडिया (फेसबुक, ट्विटर, वाटसएप, इन्स्टाग्राम) की मदद से सदियों बाद अपने पुराने दोस्त या फिर बिछड़े परिवार से मिलने के किस्से के बारे में तो आप अक्सर सुनते रहते है। लेकिन इस बार हम आपको एक ऐसे केस के बारे में बताने जा रहे है जो आपको ये बतायेगा कि आपके लिए ‘आधार’ कार्ड कितना जरूरी है। ये मामला एक 80 साल की बजुर्ग महिला से जुड़ा हुआ है। जो आधार कार्ड की मदद से दो साल बाद अपने बिछड़े परिवार से मिलने में कामयाब हो पाई है।

ये भी पढ़ें... Newstrack.com के पास तन्‍वी का आधार कार्ड, इस वजह से अफसर ने लगाए थे Objection

ये है पूरा मामला

महाराष्ट्र की निवासी लक्ष्मीबाई पानपाटिल 22 अप्रैल, 2016 को सूरत रेलवे स्टेशन से गायब हो गईं थी। वे जलगांव के अमलनेर में अपने बच्चों से मिलने जा रही थीं। उनकी याददाश्त कमजोर थी, जिस कारण वो गलती से पोरबंदर कोचुवेली एक्सप्रेस ट्रेन में चढ़ गईं।

लक्ष्मीबाई के पोते मेहुल रामराव पानपाटिल ने रेलवे स्टेशन पर मां को तलाशने की काफी कोशिश कि लेकिन वो उसे कहीं पर भी नजर नहीं आईं। पूरा परिवार उनके लिए चिंतित था। उन्हें राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में भी ढूंढा गया लेकिन उनका कुछ भी पता नहीं चल पाया।

ये भी पढ़ें...GOOD NEWS: आधार कार्ड से अब महीने में बुक कर सकेंगे 12 रेल टिकट

परिवार के लोग खो चुके थे उम्मीद

घरवालों का डर बढ़ता ही जा रहा था। वे हर उस जगह गये जहां पर उन्हें अपनी मां के पहुंचने का शक था। लेकिन वहां पर भी निराशा ही हाथ लगी। धीरे –धीरे परिवार के लोगों ने लक्ष्मीबाई के मिलने की आस छोड़ दी।

उन्हें अब ये लगने लगा था कि मां की यादाश्त कमजोर है। उनकी उम्र भी 80 साल के करीब हो चुकी है ऐसे में उनका मिलना अब शायद संभव नहीं होगा।

सरकारी देखभाल गृह में रह रही थीं लक्ष्मीबाई

अपने परिवार से बिछड़ चुकीं लक्ष्मीबाई तिरुवनंतपुरम की सड़कों पर भटकती दिखीं। कुछ वक्त बाद में उन्होंने खुद को पुलायानार्कोत्ता स्थित सरकारी देखभाल गृह में पाया। देखभाल गृह के अधीक्षक ने सभी लोगों से संपर्क करने की कोशिश की, जो मराठी, गुजराती और अन्य भाषाओं को अच्छी तरह से जानते थे, ताकि उनसे बातचीत हो सके। लेकिन उनके सभी प्रयास व्यर्थ साबित हुए ।'

'आधार' ने ऐसे मिलाया परिवार से

लक्ष्मीबाई की खोज में निर्णायक क्षण तक आया, जब सामाजिक न्याय विभाग के विशेष सचिव बिजू प्रभाकर ने सभी पुनर्वास केंद्रों में रहने वाले लोगों के लिए इस साल की शुरुआत में आधार कार्ड के लिए नामांकन कराना अनिवार्य कर दिया। जब लक्ष्मीबाई के आधार बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई तो उनका बायोमीट्रिक डेटा सेव होने की बजाय खारिज हो गया। क्योंकि उनका नाम पहले से ही भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) के डेटाबेस में मौजूद था। इसकी मदद से लक्ष्मीबाई के मूल पता मालूम चल सका।

Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story