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Oath Ceremony: उमर अब्दुल्ला बने जम्मू-कश्मीर के नए मुख्यमंत्री, सुरिंदर सिंह चौधरी डिप्टी सीएम
Oath Ceremony: नई अब्दुल्ला कैबिनेट में मंत्री के रूप में सतीश शर्मा, सकीना इटू, सुरिंदर चौधरी, जावेद राणा और जावेद डार ने भी शपथ ली। सुरिंदर चौधरी को जम्मू-कश्मीर का उप मुख्यमंत्री बनाया गया है।
CM Omar Abdullah Oath Ceremony: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को नया मुख्यमंत्री मिल गया है। उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को मुख्यमंत्री पद का शपथ ले लिया। यह दूसरी बार है जब उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने हैं। उन्हें जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर की नई अब्दुल्ला कैबिनेट में मंत्री के रूप में सतीश शर्मा, सकीना इटू, सुरिंदर चौधरी, जावेद राणा और जावेद डार ने भी शपथ ली।
सुरिंदर चौधरी को जम्मू-कश्मीर का उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। उमर अब्दुल्ला के शपथ ग्रहण समारोह में लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह सहित इंडिया ब्लॉक के कई दिग्गज शामिल हुए।
दस साल बाद जम्मू को मिली जनता की सरकार
उमर अब्दुल्ला के सीएम पद की शपथ लेने के साथ ही जम्मू कश्मीर में दस साल बाद फिर जनता द्वारा चुनी हुई सरकार बन गई। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद पहली बार विधानसभा का चुनाव हुआ जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन की जीत हुई। शपथ ग्रहण समारोह डल झील के किनारे स्थित शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में आयोजित किया गया।
सर्वसम्मति से नेता चुना गया था
बीते गुरुवार को उमर अब्दुल्ला को सर्वसम्मति से नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक दल का नेता चुना गया था, जिससे मुख्यमंत्री के रूप में उनके दूसरे कार्यकाल के लिए रास्ता तैयार हो गया। उमर का पहला कार्यकाल 2009 से 2014 तक था जब जम्मू-कश्मीर एक पूर्ण राज्य था, तब भी नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन सरकार थी। हाल ही में हुए चुनावों में जम्मू-कश्मीर विधानसभा की 90 सीटों में से नेकां ने 42 तो कांग्रेस ने छह सीटें जीतीं हैं। चुनाव के पहले ही दोनों ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। दोनों को मिलाकर विधानसभा में 48 सीटें हैं जो बहुमत से दो अधिक हैं।
बता दें कि पांच सदस्यों को उप राज्यपाल द्वारा अलग से नामित किया जाना है। पांच निर्वाचित निर्दलीय विधायकों और आम आदमी पार्टी (आप) के एकमात्र निर्वाचित विधायक के समर्थन से उमर अब्दुल्ला की ताकत और बढ़ गई।