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J-K Election: उमर अब्दुल्ला को अपने गढ़ में मिल रही कड़ी चुनौती, दूसरी सीट पर भी आसान नहीं है सियासी राह
J-K Election: उमर अब्दुल्ला इस बार दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं मगर दूसरे विधानसभा क्षेत्र बडगाम भी उन्हें कड़ी चुनौती मिल रही है।
J-K Election: जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में पहला चरण खत्म होने के बाद अब सबकी निगाहें कल होने वाले दूसरे चरण के मतदान पर टिकी हुई हैं। दूसरे चरण के मतदान में 26 सीटों पर मतदाता अपना फैसला सुनाएंगे। इनमें 15 सीटें कश्मीर की है जबकि 11 सीटें जम्मू क्षेत्र की हैं। दूसरे चरण की सीटों पर नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन को भारी जरूर माना जा रहा है मगर बारामूला के सांसद इंजीनियर रशीद भी बड़ा फैक्टर बने हुए हैं।
दूसरे चरण में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की गांदरबल सीट पर भी मतदान होना है जिसे अब्दुल्ला परिवार का गढ़ माना जाता है। हालांकि इस सीट पर उमर अब्दुल्ला कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं। उमर अब्दुल्ला इस बार दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं मगर दूसरे विधानसभा क्षेत्र बडगाम भी उन्हें कड़ी चुनौती मिल रही है। ऐसे में इस बार के विधानसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला की सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही है।
दूसरे चरण की 26 सीटें काफी अहम
जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण के 26 सीटें काफी अहम मानी जा रही हैं। नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन को पीडीपी और भाजपा से कड़ी चुनौती मिल रही है। इसके साथ ही बारामूला के लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को भारी मतों से हराने वाले इंजीनियर राशिद ने भी पूरी ताकत लगा रखी है। कश्मीर घाटी में भाजपा जरूर कमजोर स्थिति में दिख रही है मगर जम्मू क्षेत्र की सीटों पर पार्टी पूरी मजबूती से चुनाव मैदान में उतरी हुई है।
वैसे दूसरे चरण के चुनाव में नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन को मजबूत माना जा रहा है। जम्मू क्षेत्र की सीटों के दम पर भाजपा दूसरे नंबर पर रह सकती है। पीडीपी और इंजीनियर राशिद की पार्टी अवामी इत्तेहाद पार्टी को भी कुछ सीटों पर कामयाबी मिल सकती है। एक-दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों पर भी किस्मत मेहरबान हो सकती है।
दूसरे चरण में गांदरबल पर सबकी निगाहें
दूसरे चरण की जिन सीटों पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं उनमें गांदरबल विधानसभा सीट भी शामिल है जहां से नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला चुनाव मैदान में उतरे हुए हैं। बारामूला सीट पर लोकसभा चुनाव बुरी तरह हारने के बाद इस बार उमर अब्दुल्ला क्षेत्र के मतदाताओं के सामने अपनी टोपी उतारने पर भी मजबूर हो गए। उन्होंने भावुक अपील के जरिए मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की कोशिश की है।
उमर अब्दुल्ला को मिल रही कड़ी चुनौती
गांदरबल विधानसभा क्षेत्र को अब्दुल्ला परिवार का गढ़ माना जाता है क्योंकि इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व उमर अब्दुल्ला के दादा शेख अब्दुल्ला और उनके पिता डॉ फारूक अब्दुल्ला भी कर चुके हैं मगर इस बार इस सीट पर उमर अब्दुल्ला कड़े मुकाबले में फंस गए हैं।
उमर अब्दुल्ला को अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों से कड़ी चुनौती मिल रही है। पीडीपी के उम्मीदवार बशीर अहमद मीर काफी मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके अलावा इंजीनियर राशिद की पार्टी के प्रत्याशी शेख आशिक को भी मजबूत माना जा रहा है।
डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के कैसर सुल्तान गनी और आजादी चाचा के नाम से मशहूर सरजान बरकाती निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनौती दे रहे हैं।
दूसरी सीट पर भी उमर की राह आसान नहीं
गांदरबल विधानसभा क्षेत्र में कड़ी चुनौती मिलने की आशंका से उमर अब्दुल्ला ने बडगाम विधानसभा क्षेत्र में भी नामांकन दाखिल कर रखा है। वैसे ही इस विधानसभा क्षेत्र में भी उमर अब्दुल्ला की सियासी राह आसान नहीं माने जा रही है। उमर अब्दुल्ला पहली बार इस विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने के लिए उतरे हैं मगर प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों ने उनकी कड़ी घेराबंदी कर रखी है। खासतौर पर महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी से उन्हें कड़ी चुनौती मिल रही है।
पीडीपी ने प्रमुख शिया नेता और हुर्रियत के पूर्व नेता आगा सैयद हसन के बेटे आगा सैयद मुंतजिर को मैदान में उतारकर उमर अब्दुल्ला की सियासी राह में कांटे बो दिए हैं। अब्दुल्ला के लिए राहत की बात यह है कि उन्हें बडगाम से तीन बार चुनाव जीत चुके आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी का समर्थन हासिल है। मेहदी का इस इलाके में काफी असर माना जाता है। लंबे समय से उन्हें इस क्षेत्र का प्रभावशाली नेता माना जाता है। फिर भी उमर अब्दुल्ला की जीत तय नहीं मानी जा रही है।
टोपी उतारने पर मजबूर हो गए उमर अब्दुल्ला
गांदरबल विधानसभा क्षेत्र का चुनाव उमर अब्दुल्ला के लिए प्रतिष्ठा की जंग बन गया है। इस चुनाव क्षेत्र में जीत हासिल करने के लिए उमर अब्दुल्ला को काफी समय देना पड़ रहा है। उमर अब्दुल्ला चुनाव क्षेत्र में अपनी जीत को लेकर इस हद तक परेशान है कि नामांकन दाखिल करते समय उन्होंने अपनी टोपी उतार कर मतदाताओं से वोट देने का आग्रह किया था।
उन्होंने टोपी उतारते हुए यहां तक कहा था कि अब मेरा सम्मान यहां के मतदाताओं के हाथों में है। उमर अब्दुल्ला पहले सिर्फ गांदरबल से ही चुनाव लड़ना चाहते थे मगर विरोधियों की रणनीति के कारण उन्हें बडगाम से भी चुनाव लड़ना पड़ रहा मगर यहां भी वे कड़े मुकाबले में फंस गए हैं।