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One Nation-One Election पर बनी कमेटी ने राष्ट्रपति को सौंपी रिपोर्ट, जानें सिफारिश में क्या-क्या?
One Nation One Election पर बनी कमेटी ने यह व्यवस्था लागू करने के लिए टू स्टेप प्रोसेस की सिफारिश की है। लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभाओं के चुनाव साथ कराए जाने की बात कही है।
One Nation-One Election : पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) की अध्यक्षता में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर बनी कमेटी ने गुरुवार (14 मार्च) को अपनी सिफारिश राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) को सौंप दी है। पैनल ने पहले कदम के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने और 100 दिनों के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव (Local Body Elections) कराने की सिफारिश की है।
कमेटी ने 18000 से अधिक पन्नों वाली रिपोर्ट में कहा है कि, 'वन नेशन-वन इलेक्शन' से देश की विकास प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, लोकतांत्रिक परंपरा की नींव गहरी होगी। इंडिया जो कि 'भारत' है की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी।'
कमेटी गठन की आवश्यकता क्यों?
आपको बता दें, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सितंबर, 2023 में 'One Nation-One Election' के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी को भारत के मौजूदा चुनावी ढांचे का अध्ययन करने तथा समकालिक चुनावों के लिए आवश्यक संविधान (Constitution), जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (People's Representation Act) में संशोधन की सिफारिश करने का काम सौंपा गया।
कमेटी ने की '2-Step Process' की सिफारिश
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने 'टू स्टेप प्रोसेस' (Two Step Process) की सिफारिश की है। अर्थात, पहले स्टेप में लोकसभा चुनाव के साथ सभी विधानसभाओं के चुनाव कराए जाने की सिफारिश की गई है। इसके 100 दिन के भीतर सभी निकाय चुनाव (Civic Elections) कराए जाएं। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में 'त्रिशंकु' या 'अविश्वास प्रस्ताव' या ऐसी किसी स्थिति में नई लोकसभा के गठन के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जाने की भी सिफारिश की है।
हालांकि, लोकसभा के लिए कार्यकाल ठीक पहले की लोकसभा के कार्यकाल के शेष समय के लिए ही हो। इतना ही नहीं कमेटी ने सिफारिश में कहा है कि, जब राज्य विधानसभाओं के लिए नए चुनाव होते हैं, तो ऐसी नई विधानसभाओं का कार्यकाल अगर जल्दी भंग नहीं हो तो लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल तक रहेगा।
आर्टिकल- 83 और अनुच्छेद- 172 पर ये कहा
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि, 'इस तरह की व्यवस्था लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 83 (Article 83 of the Constitution) यानी संसद के सदनों की अवधि तथा अनुच्छेद- 172 अर्थात राज्य विधान मंडलों की अवधि में भी संशोधन की आवश्यकता होगी। कमेटी ने कहा, 'इस संवैधानिक संशोधन की राज्यों द्वारा पुष्टि किए जाने की जरूरत नहीं होगी।'
एकल मतदाता सूची और पहचान पत्र का हो संशोधन
कमेटी ने सिफारिश की है कि भारत निर्वाचन आयोग राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से एकल मतदाता सूची (Single Voter List) और मतदाता पहचान पत्र (Voter ID Card) तैयार करें। इसके लिए मतदाता सूची से संबंधित अनुच्छेद- 325 को संशोधित किया जा सकता है।
बताया अलग-अलग चुनाव से क्या नुकसान?
भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) पर लोकसभा और विधानसभा चुनावों की जिम्मेदारी है। वहीं, नगर निकायों तथा पंचायत चुनावों की जिम्मेदारी राज्य निर्वाचन आयोगों पर है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, 'अब हर साल कई चुनाव हो रहे हैं। इससे सरकार (Government), व्यवसायों, कामगारों, अदालतों, राजनीतिक दलों (Political parties in India), चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और बड़े पैमाने पर नागरिक संगठनों पर भारी बोझ पड़ता है। कमेटी की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि, सरकार को एक साथ चुनाव प्रणाली लागू करने के लिए 'कानूनी रूप से व्यवहार्य तंत्र' विकसित करना चाहिए।'