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Online Betting: क्या है ऑनलाइन बेटिंग, क्यों ये है उपभोक्ताओं के लिए जोखिम
Online Betting:
Online Betting: फिल्मों में अक्सर दिखाया जाता है कि पैसा कमाने के लिए अभिनेता क्रिकेट टीम या खिलाड़ी पर दांव लगाते हैं, जिससे कुछ संपत्ति या नकदी खोने का खतरा होता है। साथ ही जीत-हार का फैसला एक शॉट से भी होता है। आजकल लोग ऑफलाइन जुए के जुर्माने से बचने के लिए ऑनलाइन जुए के विभिन्न माध्यमों का सहारा लेते हैं। ऐसा ही हमारे दैनिक जीवन में देखा जा सकता है।
क्या होता है ऑनलाइन बेटिंग
ऑनलाइन जुआ को इंटरनेट पर कैसीनो या खेल पर सट्टेबाजी में शामिल होने के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। वैसे, इसे इंटरनेट जुआ या ई-जुआ के रूप में भी जाना जाता है। आमतौर पर, क्रेडिट कार्ड का उपयोग दांव लगाने के लिए किया जाता है, और इसके द्वारा जीत या हार का आनंद लिया जाता है।
युवाओं में बढ़ रही ऑनलाइन बेटिंग की लत
आजकल ऑनलाइन गेम्स जैसी रम्मी, पोकर और अन्य सट्टेबाजी के खेल भारत में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। आज कल टीवी चैनलों पर आने वाले इसके विज्ञापनों में थोड़े से दिमाग का प्रयोग कर लखपति बनने का ख्वाब दिखाया जाता है। हालिया एक सर्वेक्षण के मुताबिक, ऑनलाइन सट्टेबाजी के खेल युवाओं के लिए सबसे अधिक लोकप्रिय और आकर्षक व्यवसायिक विचार बनते जा रहे हैं। कोरोना महामारी के आने के बाद से उपजी परिस्थितियों में बहुत से बेरोजगार लोग पैसा बनाने के लिए कैसीनो, रम्मी, पोकर जैसी चीजों में अपना दिमाग लगा रहे हैं और ऐसी चीजों के आदी हो रहे हैं, जिसमें निवेश करके अपना जीवन, समय और पैसा बर्बाद कर रहे हैं।
मौजूदा समय में लोग कम मेहनत और बुद्धि का उपयोग कर शॉटकर्ट तरीके से अधिक पैसा बनाने के लिए ऑनलाइन सट्टेबाजी साइटों में धड़ल्ले से शामिल हो रहे हैं। इस ऑनलाइन गेम साइट के लिए कानूनी आयु सीमा 18 वर्ष है। लेकिन फर्जी आईडी और आयु सीमा की जांच के लिए ऐसा कोई प्राधिकरण नहीं है। इस खेल को खेलने वाले बहुत से लोग पैसे के नुकसान या कर्ज में डूबने के कारण आत्महत्या कर लेते हैं। क्योंकि लोग अधिक कमाने के लालच में पैसे उधार ले रहे हैं और इस लत में पड़ने के बाद से अपने रिश्ते, आचरण और इज्जत सब खो रहे हैं। हाल के दिनों में ऐसी कई घटनाएं सामने आईं जिनमें ऑनलाइन बेटिंग की लत के शिकार बच्चों ने गलत कदम उठाया है।
बढ़ रहा ऑनलाइन सट्टे के बाजार
ऑनलाइन गेमिंग साइटों के हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, एक विशेषज्ञ ने कहा कि 2200 हजार करोड़ रूपये की ऑनलाइन सट्टेबाजी का बाजार है। जो सालाना 30 प्रतिशत के भारी अंतर से बढ़ रहा है। 2023 तक इसके 12 हजार करोड़ रूपये तक पहुंचने की संभावना है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने जारी की एडवायजरी
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सोमवार को प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया को ऑनलाइन सट्टेबाजी मंचों के विज्ञापन को प्रकाशित करने से परहेज करने को कहा है। मंत्रालय ने कहा कि सट्टेबाजी और जुआ देश के अधिकतकर हिस्सों में अवैध है और ये उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय और सामाजिक – जोखिम को पैदा करता है।