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भारत में 25 फीसदी उपभोक्ता ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार

seema
Published on: 22 Jun 2018 6:53 AM GMT
भारत में 25 फीसदी उपभोक्ता ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार
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भारत में 25 फीसदी उपभोक्ता ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार

नयी दिल्ली : भारतीय उपभोक्ताओं के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ज्यादा सक्रिय होने से देश में डिजिटल खपत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि, इसमें धोखाधड़ी का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ गया है। एक्सपेरियन की डिजिटल कंज्यूमर इनसाइट्स रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में चार में से एक उपभोक्ता ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार हो रहा है। यह रिपोर्ट ऑस्ट्रेलिया, चीन, हांगकांग, भारत, इंडोनेशिया, जापान, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम में किए गए कंज्यूमर सर्वे में मिले उपभोक्ताओं के जवाब पर आधारित है। इस अध्ययन में पाया गया है कि जैसे-जैसे ब्रांड और उपभोक्ता मोबाइल के जरिए ऑनलाइन सामान की बिक्री और खरीदारी करने के आसान तरीके तलाश रहे हैं, उसी के साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं।

इस रिपोर्ट को दो प्रमुख श्रेणियों में ग्राहकों के व्यवहार को वर्गीकृत किया गया है, जिसमें पहले द डिजिटल वॉयजर्स-ये डिजिटल रूप से समझदार उपभोक्ता होते हैं, जो बेहतर अनुभव के लिए वे डेटा शेयर करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। दूसरे द डिजिटल प्रेगमैटिस्ट्स - प्रैक्टिकल अप्रोच रखने वाले उपभोक्ता- इन्हें डिजिटल रूप से रूढि़वादी कहा जा सकता है। यह हमेशा ऑनलाइन धोखाधड़ी के प्रति सतर्क रहते हैं।

एक्सपेरियन क्रेडिट ब्यूरो की प्रबंध निदेशक और एक्सपेरियन इंडिया की कंट्री हेड वैशाली कस्तूरी ने कहा, 'इस अध्ययन से हमने यह पाया कि भारत में उपभोक्ता अपनी सुविधा को ज्यादा महत्व देते हैं। भारतीय उपभोक्ता एशिया पेसिफिक के दूसरे देश, जैसे सिंगापुर या हांगकांग के उपभोक्ताओं की तुलना में धोखाधड़ी से बचने के लिए कम जागरूक रहते हैं। मौजूदा समय में धोखाधड़ी का शिकार होने पर उपभोक्ता ही सारा नुकसान उठाता है। यह डिजिटल धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने का कोई समाधान नहीं है। इस संबंध में समाज में जागरूकता फैलाने और धोखाधड़ी से सामूहिक रूप से जंग के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है।'

एशिया पेसिफिक देशों में भारत 21 प्रतिशत के साथ सर्वोच्च स्थान पर है और भारतीय इस तकनीक को अपनाने के लिए भी सबसे आगे आ रहे हैं। एशिया पेसिफिक के दूसरे देश जैसे वियतनाम और चीन में 18 प्रतिशत लोग अर्ली एडॉप्टर्स हैं। ऑस्ट्रेलिया में नौ प्रतिशत और जापान और न्यूजीलैंड में (दोनों में आठ प्रतिशत ) में ऐसा करने की इच्छा सबसे कम है।

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ऑनलाइन धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के समाधान पर कस्तूरी ने कहा कि जब तक कारोबारी प्रभावी तरीके से ऑनलाइन धोखाधड़ी का समाधान नहीं खोजते, तब तक कारोबारियों के सामने उच्च स्तर का खतरा बरकरार रहेगा और धोखाधड़ी के मामले सामने आते रहेंगे, जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। उपभोक्ताओं की ओर से विश्वास की कमी होने के कारण गलत डेटा शेयर करना भी कारोबारियों के लिए एक चुनौती है, जिससे पार पाना काफी मुश्किल है।

53 फीसदी भारतीय ऑनलाइन धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने के लिए उचित सुरक्षा उपायों के लिए डेटा शेयर करने पर रजामंद दिखे।

इस रिपोर्ट से पता चलता है कि उपभोक्ताओं ने अपने पसर्नल डेटा को सुरक्षित रखने के लिए गलत डेटा भी कंपनियों से शेयर किए। थाइलैंड में सबसे ज्यादा लोगों ने गलत डेटा (85 प्रतिशत) कंपनियों से शेयर किए, जिसके बाद वियतनाम, इंडोनेशिया और भारत का नंबर आता है। जापान में सबसे कम लोगों ने (21 प्रतिशत) ने गलत डेटा कंपनी के साथ शेयर किया।

बन रही है नयी नीति

अगर आपको ऑनलाइन शॉपिंग में नकली प्रोडक्ट मिलता है या कोई दूसरी धोखाधड़ी होती है तो इस पर शिकंजा कसने वाला है। ई-कॉमर्स के लिए बनने वाली नेशनल पॉलिसी में इस बात का खास ख्याल रखा जाएगा कि ग्राहकों का भरोसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बना रहे। साथ ही पॉलिसी में घरेलू कंपनियों के हितों का भी खास ख्याल रखा जाएगा। ई-कॉमर्स पॉलिसी में ग्राहकों का खास ख्याल रखा जाएगा। नकली प्रोडक्ट या दूसरी धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदारी तय की जाएगी। कंज्यूमर के हितों की रक्षा पर एक अलग टास्क फोर्स सिफारिश देगी। ई-कॉमर्स कंपनी में घरेलू स्टार्टअप के मालिकाना हक को बनाए रखने के लिए प्रावधान होगा। पॉलिसी के प्रावधान चीन और यूरोप के मॉडल के तर्ज पर होंगे।

इस नई पॉलिसी में सरकार से लाइसेंस या दूसरी मंजूरी लेने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम होगा। प्रोडक्ट बेचने वाले के बैकग्राउंड वेरिफिकेशन के लिए सख्त नियम होंगे, अलग अलग क्षेत्र में ई-केवाईसी की व्यवस्था भी मजबूती से लागू की जाएगी, डेटा प्रोटेक्शन के लिए भी कायदे कानून तय किए जाएंगे और विदेशी निवेश पर घरेलू कारोबारियों की आपत्ति को भी दूर करने की कोशिश होगी।

गूगल 8000 भारतीय पत्रकारों को तथ्य जांचने का प्रशिक्षण देगी

पत्रकारों को फर्जी खबरों का शिकार होने से बचाने के लिए गूगल इंडिया ने कहा है कि वह भारत में 8,000 पत्रकारों को अगले एक साल में प्रशिक्षण देगी, जिसमें अंग्रेजी समेत छह भारतीय भाषाओं के पत्रकार शामिल होंगे। इसके तहत, गूगल न्यूज इनीशिएटिव इंडिया ट्रेनिंग नेटवर्क देश भर के शहरों से 200 पत्रकारों का चयन करेगा, जो पांच दिनों के प्रशिक्षण शिविर में सत्यापन और प्रशिक्षण के अपने कौशल को निखारेंगे। यह शिविर अंग्रेजी सहित छह अन्य भारतीय भाषाओं के लिए आयोजित किया जाएगा।

प्रमाणित प्रशिक्षकों के इस नेटवर्क द्वारा पत्रकारों के लिए दो दिवसीय, एक दिवसीय और आधा दिन की कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाएगा। प्रशिक्षण का उद्देश्य पत्रकारों को तथ्यों की जांच और ऑनलाइन सत्यापन में सक्षम बनाना है, जिसके लिए फस्र्ट ड्राफ्ट, स्टोरीफुल, अल्टन्यूज, बूमलाइव, फैक्टचेकर डॉट इन और डेटालीड्स के विशेषज्ञों द्वारा निर्मित पाठ्यक्रम का उपयोग किया जाएगा।

गूगल न्यूज लैब के प्रमुख (एशिया प्रशांत) इरेन जय लियु ने कहा, 'विश्वसनीय, आधिकारिक मीडिया स्रोतों का समर्थन करना गूगल के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है, यही कारण है कि हमें भारत में गलतफहमी के खिलाफ अपनी लड़ाई में पत्रकारों का समर्थन करने के लिए इंटरन्यूज, डेटालीड्स और बूमलाइव के साथ सहयोग करने पर गर्व है।'

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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