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सोनिया गांधी: नारी शक्ति का जीता जागता एक प्रत्यक्ष उदाहरण

सोनिया गांधी: जीवन में कई उतार-चढावों को पार करने वाली सोनिया को राजनीतिक प्रतिद्वंदी कुछ भी कहे, लेकिन उन्हें भारतीय विदुषी कहना अतिश्योक्ति न होगी।

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 25 Feb 2023 8:24 PM IST
Sonia Gandhi Political journey
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Sonia Gandhi Political journey (Social Media)

Sonia Gandhi: स्त्री मतलब प्रेम, वात्सल्य, समर्पण, सहनशीलता कर्तव्य परायणता, एक शक्ति पुंज। नारी शक्ति से जुड़े इन सारे मायनों पर खरा उतरता है एक नाम वो है सोनिया गांधी। सनातन या हिन्दू परंपरा यह कहती है कि कोई भी लड़की जब विवाह के बाद अपने पिता के घर से पति के घर आ जाती है तो वह उस घर की बहू हो जाती है और उसकी डोली जहां पहुंची थी, वहीं से उसकी अर्थी उठती है। लेकिन हमारे भारत देश की एक बहू ऐसी है जिसने अपने पति के प्रेम में अपने अस्तित्व का त्याग कर खुद को बस अपने प्रेम के रंग में संपूर्ण कर लिया। जीवन में कितनी भी मुश्किलें आईं, वक्त ने कितनी ही कठिन परीक्षाएं ली लेकिन फूंक - फूंक कर कदम रख कर चलने वाली इस बहू ने जीवन में आईं उन चुनौतियों का पूरी हिम्मत से अकेले ही डट कर मुकाबला किया साथ ही परिवार की मर्यादा पर क्या मजाल है तनिक भी आंच आने दी हो। जी हां यहां हम बात कर रहे हैं इंदिरा गांधी की बहू और राजीव गांधी की पत्नी सोनियां गांधी की है। जिन्होनें एक भारतीय राजीव गांधी के साथ बकायदा सात फेरे लेकर सनातन संस्कृति की सारी परम्पराओं को निभाकर हिंदू विधिविधान के साथ सिर्फ गांधी परिवार की ही नहीं अपितु पूरे भारत देश ने उन्हें अपनी बहु माना था। लेकिन त्रासदी है यह हैं कि पिछले तीस दशकों से भारतीय राजनीति में कुछ लोग आज भी उन्हें विदेशी मानते हैं उन्हें इस देश का नागरिक मानने को तैयार नहीं है। क्या यह किसी संघर्षमय स्त्री के लिए किसी त्रासदी से कम नहीं।

जीवन में कई उतार-चढावों को पार करने वाली सोनियां को राजनीतिक प्रतिद्वंदी कुछ भी कहे, लेकिन उन्हें भारतीय विदुषी कहना अतिश्योक्ति न होगी।आइए इस विदुषी, अतंत साहसी महिला के संघर्षमय जीवन से जुड़े कुछ अहम पहेलुवों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं ,,,

सोनिया का आरंभिक जीवन कैसा था

सोनिया गांधी के जीवन की शुरुआत इटली से हुई। उस समय सोनिया गांधी को सोनिया मायनो के नाम से जाना जाता था। वो इटली के ट्यूरिन शहर के बाहरी इलाके ओरबैसानो में पैदा हुई और वहीं पली-बढ़ीं। सोनिया के पिता की सोच मॉर्डन थी, लेकिन साथ ही वह अपने बच्चों की परवरिश में उन्हें इटली संस्कृति से जोड़कर भी रखना चाहते थे।

कैंब्रिज में हुई थी राजीव से मुलाकात– सोनिया गांधी का जन्मस्थान इटली है वहीं इनका बचपन बीता इसलिए उनकी फ्रेंच भाषा पर ज्यादा पकड़ थी और उन्हें अंग्रेजी भाषा की बहुत ज्यादा समझ नहीं थी और वो अंग्रेजी सीखने में बहुत रुचि रखती थीं। इस भाषा के प्रति उनका रुझान कुछ इस कदर था कि उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज में इस भाषा को सीखने के लिए लिंगविस्टिक डिपार्टमेंट में एडमिशन लिया। सोनिया 07 जनवरी 1965 को कैंब्रिज पहुंचीं और अंग्रेजी भाषा पर गहन अध्ययन करने लगीं। पढ़ाई के दौरान ही वो अक्सर खाना खाने कॉलेज की मेस में जाया करती थीं, वहीं उनकी मुलाकात राजीव गांधी से हुई। उनकी राजीव गांधी से कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में मिलने और आपस में प्यार होने जाने की कहानी इतनी आसान नहीं थी। हालांकि सोनिया का कहना है कि दोनों को पहली नजर में ही एक दूसरे से प्यार हो गया था।

वहां का खाना उन्हें अच्छा नहीं लग रहा था और शुरुआत में अंग्रेजी बोलने में भी उन्हें दिक्कत थी। खैर उन्हें इसी कैंपस में एक ग्रीक रेस्तरां मिला, जो इतालवी खाना भी खिलाता था। उसका नाम था वर्सिटी। ये यूनिवर्सिटी के युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय था। सोनिया ने नियमित तौर पर यहीं खाना शुरू कर दिया। इसके दाम भी ऐसे थे कि स्टूडेंट इसको बर्दाश्त कर पाएं। राजीव गांधी भी अक्सर अपने दोस्तों के साथ यहां आया करते थे। यहीं सोनिया ने राजीव को देखा। एक दिन जब सोनिया वहां लंच ले रही थीं तब राजीव उनके कॉमन मित्र क्रिस्टियन वॉन स्टीगलिज के साथ दाखिल हुए। तभी पहली बार उनका आपस में एक-दूसरे से परिचय हुआ था।

सोनिया की अपनी बॉयोग्राफी “सोनिया गांधी-एन एक्स्ट्राआर्डिनरी लाइफ, एन इंडियन डेस्टिनी” की लेखिका रानी सिंह से कहा, “उन्हें पहली ही नजर में राजीव से प्यार हो गया। ऐसा ही राजीव के लिए भी था, क्योंकि राजीव ने ये बात उनसे बताई भी थी। उन्होंने क्रिस्टियन से पहले ही उनका सोनिया से परिचय कराने को कहा था।

जब मां इंदिरा गांधी ने सोनिया से पहली मुलाकात में नहीं आने दी भाषा की बाधा

राजीव गांधी और सोनिया का प्रेम इस कदर परवान चढ़ चुका था की बात शादी तक आ पहुंची और जैसा की भारतीय संस्कृति में होता आया है कि शादी से पहले अभिभावकों की रजामंदी लेना जरूरी होता है उसी तरह इस रिश्ते पर मुहर लगाने के लिए इंदिरा गांधी खुद सोनियां से मुलाकात करने लंदन पहुंचीं। सोनिया की घबराहट को भांप कर इंदिरागंधी ने इस मुलाकात में सोनिया को खुद के साथ सहज करने के लिए उन्होंने सोनिया से फ्रेंच भाषा में बात की। उन्हें मालूम था कि सोनिया इंग्लिश की तुलना फ्रेंच भाषा में ज्यादा खुलकर बात कर पाएंगी। i इंदिरागांधी ने सोनिया से एक सामान्य बातचीत की और उस जोड़े को शादी के बंधन में बंधने के लिए अपनी रजामंदी के बारे में खुल कर कुछ नहीं बोला। वो बात और है कि सोनिया के घरवालों को भी ये रिश्ता पूरी तरह स्वीकार्य नहीं था।

इस जोड़े को कार रेसिंग देखने का बेहद शौक

सोनिया और राजीव दोनों का ही इश्क परवान चढ़ रहा था। दोनों ही अपने परिवारों से दूर रहकर अपनी जिंदगी की तमाम खुशियों पर अपने प्यार की इबारत दर्ज कर रहे थे। आश्चर्य की बात ये है की दोनों ही लोगों के शौक भी एक दूसरे से बहुत हद तक मिलते जुलते थे। कॉलेज टाइम में राजीव के पास एक लाल रंग की एक वॉक्सवैगन कार हुआ करती थी। जिस पर ये दोनों घूमा करते थे। साथ ही उससे वो तकरीबन रोज सोनिया के हॉस्टल के पास आकर उन्हें पिक करते और फिर शाम को छोड़ दिया करते थे, जहां वो रहती थीं। कार रेसिंग देखने के शौक के चलते अक्सर राजीव और सोनिया अपने पूरे फ्रेंड सर्कल के साथ छुट्टी के दिन उसी कार दूर घूमने निकल पड़ते या फिर सोनिया के साथ कार रेसिंग देखने सिल्वरस्टोन चले जाते थे।

इस दौरान कभी कभी ऐसा भी होता था कि कार में पैट्रोल का खर्च सभी मिलकर शेयर करते।

काले बालों वाली स्लिम सोनिया पर हुआ था राजीव का दिल फिदा

सोनिया और राजीव गांधी का जोड़ा वाकई बेहद खूबसूरत जोड़ों में से एक था। कैंब्रिज कॉलेज में जब पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या काफी कम हुआ करती थी उस समय दूध सी सफेद सोनिया लंबे घने और काले बालों के साथ परफेक्ट बॉडी पोस्चर के लिए कैंब्रिज टाउन में सबसे खूबसूरत युवती के तौर पर मानी जाती थीं। साथ ही उन्हें अपनी खूबसूरती पर नाज भी था। फोटोग्राफी के शौकीन राजीव सोनिया की खूबसूरती को अपने कैमरे में कैद करने के लिए उनकी बेशुमार तस्वीरें खींचते रहते थे। ये उनकी जिंदगी का सबसे खुशनुमा समय था जो की बाद में दोनों की प्रेम कहानी में सुनहरे अक्षरों में तब्दील हो गया।

दोनों ने शादी के लिए कम से कम एक साल का किया इंतजार

राजीव और सोनिया भले ही विदेशी संस्कृति में पल बढ़ रहें हों लेकिन दोनों ने ही अपने परिवार से जुड़ी परम्पराओं का भी दिलोजान से निर्वहन किया। 1966 में राजीव इटली जाकर सोनिया के पेरेंट्स से मिले लेकिन हां नहीं हुई । लेकिन ये बात और है कि सोनिया के पेरेंट्स को राजीव की खूबसूरती और उनका आत्मिक स्वभाव बहुत ज्यादा पसंद आया बात आड़े आ रही थी वो बस थी संस्कृति और परम्पराओं की। सोनिया ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि मेरे पिता को राजीव से मिलने के बाद इस बात का एहसास हुआ कि कि राजीव एक बेहतरीन व्यक्तित्व हैं। उनकी बेटी के साथ रिश्ते को लेकर राजीव वाकई में सीरियस हैं। सोनिया के पिता स्टेफनो ने एक स्ट्रिक्ट पिता की तरह शादी के लिए पूरी तरह हां तो नहीं कि उल्टा एक शर्त और रख दी। उसके पीछे एक पिता की चिंता छिपी हुई थी कि एक बिलकुल ही अलग संस्कृति में रहकर उनकी बेटी कैसे सामान्य जीवन जी पाएगी। जिसको की सोनिया ने प्रूव करके दिखा दिया।

सोनिया ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि, “पिता ने उन्हें इस रिश्ते में आगे नहीं बढ़ने के लिए बहुत ज्यादा मनाने की कोशिश की थी। लेकिन जब उनको लगा कि सोनिया पर उनकी इस बात का और जोर आजमाइश का कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है तब उन्होंने एक शर्त रखी कि दोनों शादी के लिए कम से कम एक साल का इंतजार करेंगे और तब तक अगर उनका प्यार बना रहेगा तब वो सोनिया को राजीव के देश जाने की आज्ञा दे देंगे”।

12 महीने की प्रेम परीक्षा के बाद आई अपने ससुराल

सोनिया के पिता स्टेफनो को लगता था कि बेटी सालभर जब उनके पास इटली में रहेगी तो राजीव को भूल जाएगी लेकिन राजीव और सोनिया ने 12 महीने की प्रेम परीक्षा को पास करके दिखा दिया कि उनके प्रेम की जड़ें कितनी गहरी हैं। 13 जनवरी 1968 को सोनिया ने दिल्ली एयरपोर्ट पर अपने कदम रक्खे।उनके स्वागत के लिए राजीव अपने भाई संजय के बेसब्री से उनका इंतजार कर रहे थे। जहां से सोनिया को पहले भारतीय पारिवारिक रहन सहन और तौर तरीके सीखने के लिए अमिताभ बच्चन के परिवार के साथ ठहराया गया था जिसके कुछ दिन बाद इनकी शादी हुई थी। बताते चलें कि अमिताभ के पिता हरिवंश राय बच्चन और उनकी मां तेजी ने सोनिया का कन्यादान किया था। शादी के समय सोनिया के परिवार वाले इटली में थे।

अमिताभ की मां तेजी बच्चन ने सोनिया को शादी के समय साड़ी पहनना सिखाया था। उन्होंने सोनिया का मेकअप किया और मेहंदी भी लगाई थी।

राहुल और प्रियंका की बनी मां

शादी के तीन साल बाद यानी 1968 में राजीव और सोनिया की शादी हिन्दू धर्म के रीति-रिवाजों अनुसार हुई। इसके बाद सोनिया भारत आकर ससुराल में अपनी सास और भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ रहने लगी थीं। 1970 में राहुल और 1972 में प्रियंका का जन्म हुआ।

सोनिया और राजीव दोनों ही परिवार से जुड़े राजनीतिक करियर से दूर थे। राजीव पायलट थे और सोनिया घर में परिवार की देखभाल करती थीं। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव प्रधानमंत्री बने। सोनिया इस दौरान जनता के संपर्क में आने से हमेशा बचती रहीं।

पति की हत्या के साथ हुआ इस खूबसूरत प्रेम कहानी का अंत

राजीव गांधी की 1991 में चुनाव प्रचार के दौरान बम ब्लास्ट के दौरान हत्या कर दी गई थी। इतनी बड़ी त्रासदी के साथ ही सोनिया और राजीव की खूबसूरत प्रेम कहानी पर का कभी न खत्म होने वाला विराम लग गया। सोनिया पर राजनीति में आने के लिए दबाव बनाए जाने लगे लेकिन तब भी सोनिया ने सियासत में रुचि नहीं ली। पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बनाए गए। लेकिन 1996 तक कांग्रेस धीरे - धीरे कमजोर होने लगी थी। अपने ससुराल की मान मर्यादा और प्रतिष्ठा को बरकरार करने और कांग्रेस को एकजुट करने के लिए 51 वर्ष की उम्र में सोनिया 1997 में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता स्वीकार की जिसके कुल बासठ दिन बाद ही 1998 में सोनिया कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष भी बना दी गई। तब से 2017 तक वे पार्टी की अध्यक्ष बनी रहीं। यह अपने आप में किसी भी पार्टी के लिए एक रिकॉर्ड है।

चुनाव लड़ा और दोनों जगह चुनाव जीता भी

सोनिया के राजनीतिक गलियारे में कदम रखते ही तमाम तरह के मुद्दे उठने शुरू हो चुके थे। सोनिया के विदेशी मूल का मुद्दा गरमाया और जिसके चलते 1999 में शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर ने इसी मुद्दे पर पार्टी छोड़ दी। लेकिन सोनिया ने अपने जीवन की सारी चुनौतियों को स्वीकार करते हुए 1999 में बेल्लारी (कर्नाटक) और अमेठी (उत्तरप्रदेश) से चुनाव लड़ा और दोनों जगह चुनाव जीत कर देश और पार्टी के प्रति अपनी सत्यनिष्ठा का उदाहरण पेश किया।

जब प्रधानमंत्री का पद ठुकराया

एक वक्त आया जब सन 2004 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।उन्होंने मनमोहन सिंह को देश का प्रधानमंत्री बनने के लिए आगे किया। खुद प्रधानमंत्री न बनने पर उन्होंने कहा कि "मैंने अंतरात्मा की आवाज सुनी है।'

मनरेगा और आरटीआई कानून लागू करने में अहम भूमिका निभाई।

सोनिया की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार समिति के कहने पर ही सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) और सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) कानून लागू करने में अहम भूमिका निभाई। दो अक्टूबर 2007 को महात्मा गांधी के जन्मदिन पर सोनिया गांधी ने संयुक्त राष्ट्र को संबोधित किया। संयुक्त राष्ट्र ने 15 जुलाई 2007 को प्रस्ताव पारित किया और यह दिन अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

फोर्ब्स की दुनिया की सबसे ताकतवर महिलाओं में रहीं शामिल

2004, 2007, 2009 में सोनिया गांधी फोर्ब्स की दुनिया की सबसे ताकतवर महिलाओं में शामिल रहीं। वह दुनिया के 100 सबसे ज्यादा प्रभावशाली लोगों में से एक थीं।

अध्यक्ष के तौर पर लगातार 15 बने रहने का रिकॉर्ड

2013 में सोनिया ने कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर लगातार 15 साल रहने का रिकॉर्ड बनाया। 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन (44 सीटें) किया और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी।

सोनिया के कांग्रेस प्रमुख पद से इस्तीफा देने की खबर

अब खबर ये है कि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने शुक्रवार को ऐलान किया कि भारत जोड़ो यात्रा के साथ राजनीति में उनकी पारी का समापन हो सकता है। रायपुर में चल रहे 85 वें कांग्रेस पूर्ण सत्र में बोलते हुए, उन्होंने मेगा वॉकथॉन की सफलता के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई दी, जिसने कांग्रेस और जनता के बीच संवाद की समृद्ध विरासत को एक बार फिर जोड़ने का प्रयास किया गया है।

ज्योत्सना सिंह



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Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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