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नोटबंदी पर भारत बंद जैसे कई कड़े कदमों पर विचार कर रहा है विपक्ष

संसद में पिछले एक हफ्ते से चले आ रहे गतिरोध के बीच नोटबंदी पर सरकार और एकजुट विपक्ष में टकराव चरम पर है। जेपीसी नहीं तो संसद नहीं की रणनीति के बाद विपक्षी पार्टियां जिन प्रमुख रणनीतियों पर विचार कर रहा हैं, उनमें आगामी कुछ दिनों में भारत बंद जैसा कड़ा कदम भी शामिल है।

tiwarishalini
Published on: 22 Nov 2016 1:52 AM IST
नोटबंदी पर भारत बंद जैसे कई कड़े कदमों पर विचार कर रहा है विपक्ष
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नई दिल्ली: संसद में पिछले एक हफ्ते से चले आ रहे गतिरोध के बीच नोटबंदी पर सरकार और एकजुट विपक्ष में टकराव चरम पर है। जेपीसी नहीं तो संसद नहीं की रणनीति के बाद विपक्षी पार्टियां जिन प्रमुख रणनीतियों पर विचार कर रहा हैं, उनमें आगामी कुछ दिनों में भारत बंद जैसा कड़ा कदम भी शामिल है।

हालांकि इस तरह के बंद की देशव्यापी तैयारी के मद्देनजर अभी प्रस्ताव गुप्त रखा गया है। आने वाले दिनों में संसद में सरकार से टकराव बढ़ा तो सभी विपक्षी दल नोटबंदी के विरोध को संसद से सड़क तक ले जाने के लिए भारत बंद की तारीख तय करने पर विचार कर रहे हैं।

विपक्षी नेताओं का मानना है कि चूंकि भारत बंद के लिए औद्योगिक हड़ताल का भी आह्वान करना होगा, ऐसी दशा में ठोस तैयारी के लिए सभी पार्टियों के अलावा श्रमिक संगठनों को भी भरोसे में लेना होगा।

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इस इस बीच सरकार और विपक्ष के सभी दलों में संसद के भीतर बढ़ते टकराव को देखते हुए ऐसा लगता है कि 22 दिसंबर तक चलने वाले संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र के बाकी बचे दिन भी अब शोर-शराबे और हंगामें की भेंट चढ़ जाएंगे। सोमवार को भी संसद के दोनों सदन ठप्प रहे। विपक्ष ने कोई कामकाज नहीं होने दिया। कांग्रेस की ओर से खुद राहुल गांधी विपक्षी नेताओं की बैठक में शिरकत करने पहुंचे।

हाल के वर्षों में यह पहला मौका होगा जब बड़े नोटों को चलन से बाहर करने के मामले मे कई दक्षिण पंथी, समाजवादी और कई राज्यों में एक दूसरे के विरोधी गैर भाजपाई पार्टियां अपने दलीय मतभेदों को अलग कर एक साथ आने को कमर कस रहे हैं।

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विपक्षी पार्टियां मंगलवार सुबह साढ़े नौ बजे संसद भवन में आगे की रणनीति पर विचार करेंगी। विपक्षी पार्टियों को मंगलवार 12 बजे तक देश में 06 लोकसभा और 12 विधानसभा सीटों पर पिछले सप्ताह के अंत में हुए मतदान के नतीजों का इंतजार है।

राजनैतिक प्रेक्षकों का कहना है कि इन चुनावों में यदि केंद्र की एनडीए सरकार और बीजेपी को झटका लगा तो इससे विपक्ष का हौसला बढ़ेगा क्योंकि आने वाले तीन महीने में यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा विधानसभा चुनावों में बीजेपी को झटका देने के लिए विपक्षी पार्टियों के हाथ एक बड़ा मुद्दा लगेगा।

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इस बीच पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी जो कि पिछले सप्ताह संसद भवन से राष्ट्रपति भवन तक मार्च में शिवसेना, आम आदमी पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस और जदयू के साथ थी, मंगलवार को दोबारा दिल्ली पहुंच रही हैं। उनकी पार्टी के एक वरिष्ठ सांसद का कहना है कि वे दिल्ली पहुंचकर नोट बंदी की लड़ाई को देशव्यापी आंदोलन बनाने की रूपरेखा पर विपक्षी पार्टियों के नेताओं से चर्चा करेंगी।

उनकी यह भी रणनीति है कि मोदी सरकार की नोटबंदी की नीति से परेशान आम आदमी की मुश्किलों को स्वर देने के लिए दोबारा राष्ट्रपति भवन मार्च आयोजित किया जाए। दोबारा मार्च के बारे में ममता बनर्जी के इस प्रस्ताव पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को कुछ एतराज है। पार्टी ने विपक्षी नेताओं की बैठक में कहा कि इस तरह के किसी भी मार्च के बारे में यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि यह मार्च किसी एक नेता के नेतृत्व में हुआ है।

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बता दें कि बंगाल की राजनीति में वाम दल और टीएमसी एक दूसरे की धुर विरोधी पार्टियां हैं। यह अलग बात है कि नोटबंदी के मामले पर विपक्ष की बैठकों में टीएमसी और लेफ्ट तो दूसरी ओर यूपी की सपा और बसपा एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं लेकिन संसद के भीतर नोटबंदी के मामले में मोदी सरकार के कदम के विरोध में वे एक साथ विपक्ष की बैठकों में शिरकत कर रहे हैं।

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tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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