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राष्ट्रपति चुनाव के ऐन वक्त विपक्षी दलों का होगा महासम्मेलन, खाका तैयार
उमाकांत लखेड़ा
नई दिल्ली: बिहार, यूपी और दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विरोधी दलों में मचे घमासान के बावजूद विपक्षी पार्टियां राष्ट्रपति चुनावों के मतदान के कुछ दिनों पहले ही दिल्ली में एक बड़ा सम्मेलन करने की तैयारी कर रही हैं। कश्मीर से लेकर केरल तक सभी प्रमुख क्षेत्रीय विपक्षी पार्टियों को एकता के इस 'महा सम्मेलन' के लिए न्यौता भेजा जा रहा है।
इस बीच, राष्ट्रपति चुनावों के लिए सोनिया गांधी व ममता बनर्जी के बीच बैठक आगामी सोमवार को तय हो गई है। इस बैठक में राष्ट्रपति चुनावों में विपक्ष के साझा उम्मीदवार के बारे में अनौपचारिक विचार-विमर्श होगा। ज्ञात रहे, कि अस्वस्थ होने के बावजूद विपक्षी पार्टियों के बीच मतभेद दूर करने की कोशिशों व विपक्षी एकता को कामयाब बनाने की सोनिया की कोशिशों का ममता बनर्जी ने स्वागत किया है।
बीजेपी को बताया दुश्मन नंबर-1
इस बीच ओडिशा में अपने पांव जमाने की कोशिशों में जुटी बीजेपी को राज्य की सत्ताधारी बीजू जनता दल (बीजेडी) ने पहली बार अपना दुश्मन नंबर एक घोषित कर दिया है। लोकसभा में बीजेडी मुख्य सचेतक और सांसद तथागत सत्पथी ने इस संवाददाता से बातचीत में इस बात की पुष्टि की है, कि हमारी पार्टी राष्ट्रपति चुनाव में गैर बीजेपी विपक्ष के साथ वोट करेगी।
जून मध्य में जारी होगी अधिसूचना
राष्ट्रपति पद के लिए मतदान की तारीख 19 जुलाई मानी जा रही है। निर्वाचन आयोग इस बाबत जून मध्य में अधिसूचना जारी कर देगा। 22 जुलाई तक वोटों की गिनती का काम पूरा होना है। 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति की शपथ होनी है।
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सभी विपक्षी दाल हो सकते हैं एकजुट
बीजू जनता दल के बाद बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रुख पर सभी की निगाहें लगी हैं। बंगाल में ममता का कांग्रेस व वाम दलों से सीधा मुकाबला है लेकिन ममता बनर्जी के करीबी एक सांसद का मानना है कि 'बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों की व्यापक एकता में शामिल होने से हमें कोई परहेज नहीं है तथा इस बाबत बातचीत चल रही है। इस तर्ज पर यूपी में बसपा, सपा और कांग्रेस के बीच दूरियां कम करने की कोशिशें हो रही हैं।'
येचुरी को मिली एकजुट करने की जिम्मेदारी
विपक्षी एकता का महासम्मेलन जुलाई की 15 तारीख के आसपास दिल्ली में होगा। संसद का मानसून सत्र उसी दौरान आहूत किया जाएगा। विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर लाने का जिम्मा जिन प्रमुख नेताओं को सौंपा गया है उनमें माकपा महासचिव सीताराम येचुरी भी शामिल हैं। येचुरी ने एक न्यूज पोर्टल को दिए एक साक्षात्कार में कहा, कि 'बीजेपी व संघ परिवार की सांप्रदायिक और समाज तोड़ने वाली राजनीति का मुकाबला करने के लिए सभी विपक्षी पार्टियों को एक साथ खड़ा होना होगा।' हालांकि येचुरी ने स्वीकार किया है कि आपसी प्रतिस्पर्धा व अंतर्विरोधों की वजह से कई राज्यों में विपक्षी क्षेत्रीय दलों को एक मंच पर लाना आसान काम नहीं है लेकिन हम अपने प्रयास जारी रखेंगे।
विपक्ष के लिए 'एसिड टेस्ट'
कांग्रेस समेत विपक्ष के सभी नेता स्वीकारते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी द्वारा नामित उम्मीदवार जिसे एनडीए के बाकी घटक भी समर्थन देंगे, का पूरी ताकत से मुकाबला करना विपक्ष के लिए एक तरह से बड़ा एसिड टेस्ट है। लेकिन इसके बाद भी देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए हो रहे इस चुनाव में विपक्षी दलों को रणनीति यह दिखाने की भी है कि अभी भी देश में एक बड़ा जनमत है जो भाजपा व संघ परिवार की विभाजनकारी नीतियों का डटकर मुकाबला कर रहा है।
कुछ स्वीकारोक्ति भी
प्रस्तावित विपक्षी नेताओं के महासम्मेलन में समाजवादी गुटों के अलावा वामपंथी घटकों, क्षेत्रीय पार्टियों व छिटपुट दलों के अलावा राजनीतिक चिंतकों व स्वयंसेवी संगठनों के प्रमुख लोगों को निमंत्रित किए जाने की उम्मीद है। येचुरी ने पहली बार यह भी स्वीकारोक्ति की है कि परंपरागत वामपंथी राजनीति के बूते पर वैकल्पिक राजनीति का रास्ता नहीं बन पाया, इसलिए समाजवादियों व लेफ्ट पार्टियों के बीच मजबूत एकता के बल पर बीजेपी व संघ परिवार की विस्तारवादी राजनीति का मुकाबला किया जा सकता है।
नजर अब उम्मीदवारों पर भी
विपक्षी दलों के सूत्रों का कहना है, कि बीजू जनता दल के नेतृत्व से बाचचीत के बाद बंगाल मे ममता बनर्जी व अन्नाद्रमुक के दोनों गुटों के नेताओं से संपर्क साधा जा रहा है। बीजू जनता दल द्वारा बीजेपी विरोधी खेमे में आने के संकेतों के बाद राष्ट्रपति चुनाव के लिए मुकाबला रोचक हो सकता है। हालांकि, काफी कुछ इस बात पर भी निर्भर करता है कि पीएम मोदी इस सर्वोच्च पद के लिए किस व्यक्ति का चयन करते हैं।