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नोटबंदी का जिन्न बाहर निकाल GST और कृषि संकट पर नई घेराबंदी को तैयार विपक्ष

राष्ट्रपति चुनाव में बनी एकता को संसद के भीतर नई धार देने और उपराष्ट्रपति चुनाव तक साझा एकता मजबूत करने की खातिर एकजुट विपक्ष संसद के भीतर नई गोलबंदी में जुट गया है।

tiwarishalini
Published on: 22 July 2017 7:42 PM GMT
नोटबंदी का जिन्न बाहर निकाल GST और कृषि संकट पर नई घेराबंदी को तैयार विपक्ष
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नोटबंदी का जिन्न बाहर निकाल GST और कृषि संकट पर नई घेराबंदी को तैयार विपक्ष

नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव में बनी एकता को संसद के भीतर नई धार देने और उपराष्ट्रपति चुनाव तक साझा एकता मजबूत करने की खातिर एकजुट विपक्ष संसद के भीतर नई गोलबंदी में जुट गया है। सोमवार को जब संसद की बैठक होगी तो विपक्षी पार्टियां नोटबंदी के आठ महीने बाद आसन्न कृषि संकट और जीएसटी के असर से प्रभावित अर्थव्यवस्था पर मोदी सरकार को घेरता नजर आएंगी।

कोलकाता में शुक्रवार को ममता बनर्जी की बंगाल के शहीदी दिवस पर हुई एक विशाल रैली ने साझा विपक्ष को यह सोचने पर विवश कर दिया कि संसद के भीतर बीजेपी का मुकाबला करने के लिए सभी दल एकजुट हो जाएं तो हर प्रदेश में कोलकाता जैसा विशाल जन सैलाब जुटाया जा सकता है।

संसद के शेष बचे दो सप्ताह के लिए विपक्ष ने नोटबंदी के बाद कृषि संकट, किसानों की आत्महत्याओं और जीएसटी के असर से पूरी अर्थव्यवस्था के सामने बजी खतरे की घंटी पर संसद में चर्चा की मांग के प्रस्ताव रख दिए हैं।

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नोटबंदी के बाद जो हालात पैदा हुए विपक्ष वहीं से मोदी सरकार की नाकामियों की फेहरिस्तों का कोरा चिट्ठा शुरू करेंगे। रणनीति दोनों सदनों के लिए अलग-अलग बनी है। तृणमूल कांग्रेस, जदयू सपा के साथ सटकर काम कर रही है, तो दूसरी ओर राष्ट्रवादी कांग्रेस, वाम पार्टियों, राजद, बसपा और बाकी गैर भाजपाई छोटे क्षेत्रीय दलों ने चर्चा के नोटिस लोकसभा और राज्यसभा के पटल पर सौंप दिए हैं।

विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, संसद के भीतर मोदी सरकार का विरोध एक स्वर में किया जाएगा। विपक्ष ने यह भी तय किया है कि किसी एक पार्टी द्वारा उठाए गए मुद्दे पर भाषण के बीच भाषण जल्द खत्म करने के पीठासीन अधिकरियों या स्पीकर या सभापति स्तर से टोकाटाकी होगी तो बाकी विपक्षी पार्टियों के सदस्य और नेतागण एक स्वर में इसका विरोध करने खड़े होंगे।

सरकार के रवैए के विरोध में विपक्ष ने एकसाथ वॉकआउट का भी फैसला किया है ताकि सरकार को इस बात का अहसास हो जाए कि संख्याबल से कमज़ोर होने के बावजूद विपक्ष अहम सवालों पर सरकार को कन्नी काटने का मौका नहीं देगा।

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बीजू जनता दल जोकि अब तक संसद के भीतर विपक्ष की व्यापक एकता के प्रति तटस्थ रहता था, इस बार संसद में खुलकर विपक्ष की रणनीति में शामिल है। संसद में इस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि सीएम नवीन पटनायक के निर्देश पर ही हम पूरी तरह बीजेपी विरोधी विपक्ष के साथ हर मुद्दे पर साथ हैं।

इधर, बसपा प्रमुख मायावती के राज्यसभा सीट से त्यागपत्र देने के बाद बसपा ने संसद के भीतर-बाहर विपक्ष के साथ पूरी शिद्दत से जुटने का फैसला कर लिया है। यूपी में सपा के साथ तालमेल के अलावा बसपा संसद के भीतर भी सपा के साथ पूरे तालमेल के साथ काम कर रही है।

अगली स्लाइड में जानिए क्या हैं विपक्ष के मुद्दे

विपक्ष के मुद्दे

-नोटबंदी से जीएसटी का अर्थव्यवस्था पर बुरा असर

-किसानों की आत्महत्याएं और बड़े कृषि संकट का सामना करने की सरकार की तैयारी

-अमरनाथ यात्रियों पर हमले और आंतरिक सुरक्षा पर खतरे के बादल

-अल्पसंख्यकों-दलितों पर हमले और गौरक्षा के नाम पर खुली छूट क्यों

-चीन और पाकिस्तान सीमाओं पर तनाव और झ‌ड़पें

-बेरोजगारी का संकट और आर्थिक मंदी

tiwarishalini

tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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