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राष्ट्रपति चुनाव: सरकार की पहल के इंतजार में विपक्ष, संघ को भी मोदी के प्रस्ताव की प्रतीक्षा

विपक्ष का मानना है कि यह मोदी सरकार पर निर्भर करता है कि इस सर्वोच्च पद के लिए चुनाव में सीधा टकराव होगा या नहीं। विपक्ष का मानना है कि अगर सरकार खांटी आरएसएस के व्यक्ति को इस पद के लिए लाती है तो विपक्ष कोई समझौता नहीं करेगा।

zafar
Published on: 20 May 2017 1:23 AM IST
राष्ट्रपति चुनाव: सरकार की पहल के इंतजार में विपक्ष, संघ को भी मोदी के प्रस्ताव की प्रतीक्षा
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नई दिल्ली: सोनिया गांधी व ममता बनर्जी की गोपनीय चर्चा के बाद राष्ट्रपति पद के लिए गेंद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्र में सत्ताधारी एनडीए के पाले में है। इस मामले में पिछले दो सप्ताह से चली विपक्ष की रणनीति से जुड़े विपक्ष के एक नेता का कहना है कि यह सरकार का दायित्व बनता है वह आम सहमति की खुद पहल करें।

विपक्ष के रणनीतिकारों का मानना है कि यह सरकार व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निर्भर करता है कि इस सर्वोच्च पद के लिए होने वाले चुनाव के लिए सीधा चुनावी टकराव होगा या नहीं। विपक्षी नेताओं खासतौर पर कांग्रेस, समाजवादियों व वाम दलों के बीच इस बात पर एक राय है कि अगर सत्ता पक्ष ने खांटी आरएसएस पृष्ठभूमि के व्यक्ति को इस पद पर बिठाया तो इस पर विपक्ष कोई समझौता नहीं करेगा। विपक्ष गैर आरएएस के चेहरों के इर्दगिर्द ही नाम सुझाने को कहेगा।

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राष्ट्रपति चुनाव: सरकार की पहल के इंतजार में विपक्ष, संघ को भी मोदी के प्रस्ताव की प्रतीक्षा

मोदी जानेंगे 'मन की बात'

प्रधानमंत्री आगामी जून के प्रथम सप्ताह में रूस के दौरे पर होंगें। उसके बाद वे जर्मनी व 7-8 जुलाई को इजरायल में होंगें। ऐसे संकेत हैं कि मोदी रूस यात्रा से लौटने के बाद विपक्षी नेताओं का मन टटोलने की कोशिश करेंगे तथा इसके लिए अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों से विपक्षी दलों व गैर भाजपाई क्षेत्रीय दलों से बातचीत का सिलसिला आरंभ करेंगे।

भाजपा व संघ परिवार में भी सबकी नजरें इसी बात पर लगी हैं कि पीएम मोदी किसके नाम को आगे लाकर बड़ा धमाका करेंगे। आरएसएस में भी उच्च स्तर पर काफी सरगर्मी है। वजह यह है कि इस बार जबकि भाजपा व एनडीए का राष्ट्रपति का उम्मीदवार आसानी से देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठने की स्थिति में है। ऐसी सूरत में संघ परिवार मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहता।

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संघ को भी इंतजार

संघ के एक सूत्र का कहना है कि देश की आजादी के बाद भारत की राजनीति में यह ऐसा विलक्षण मौका आया है जब भारत में प्रधानमंत्री पद पर तो संघ का प्रचारक बैठा है तो राष्ट्रपति पद पर भी अगर संघ का पुराना प्रचारक बैठ सकता है तो यह मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। ज्ञात रहे कि संघ प्रमुख मोहन भागवत तक का नाम राष्ट्रपति पद के लिए उछाला गया था।

हालांकि संघ के सूत्र बताते हैं कि जब तक प्रधानमंत्री मोदी संघ के वरिष्ठ नेताओं से खुद चर्चा करके संघ से जुड़े किसी निर्विवाद चेहरे को इस पद पर बिठाने की पेशकश नहीं करते तब तक संघ अपनी ओर से कोई नाम सामने नहीं लाना चाहेगा।

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जोड़तोड़ शुरू

विपक्ष के एक नेता ने स्वीकार किया कि पिछले दिनों दो सार्वजनिक कार्यक्रमों में विपक्ष ने राष्ट्रपति चुनावों के लिए विपक्ष की रणनीति का सार्वजनिक खुलासा करते हुए पीएम मोदी और उनके रणनीतिकारों ने विपक्षी क्षेत्रीय दलों में जोड़-तोड़ आंरभ कर दी थी।

बता दें कि विपक्ष ने ज्यों ही राष्ट्रपति पद के लिए सत्ता पक्ष से मुकाबले के लिए पहल की तो भाजपा ने आंध्र में वाईएसआर कांग्रेस से अपने तार जोड़ने में देर नहीं की। इससे हुआ यह कि सीबीआई जांच और दूसरे कई मामलों में फंसे जगनमोहन रेड्डी को भाजपा से अपने तार जोड़ने का मौका हाथ लग गया।

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