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मजबूरी हो गई है पोषक तत्वों वाली खाद, दम तोड़ रही है माटी

Rishi
Published on: 12 Sept 2017 10:20 PM IST
मजबूरी हो गई है पोषक तत्वों वाली खाद, दम तोड़ रही है माटी
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योगेश मिश्र योगेश मिश्र

लखनऊ। पोषक तत्वों वाली खाद देना अब सरकार की मजबूरी बन बैठी है, क्योंकि हमारी माटी में पोषक तत्वों की मात्रा काफी कम हो गई है। नतीजतन चावल, गेहूं और फल-सब्जियों के बूते शरीर को जरूरी पोषक तत्वों मुहैया कराने का सपना दूर की कौड़ी हो गया है। हमारी माटी की उर्वरा शक्ति सूक्ष्म पोषक तत्वों के मामले में तरकीबन चूक सी गई है।

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यही वजह है कि कुपोषण से बचने के लिए धरती की कोख से उपजने वाले अनाज और फल-सब्जियों को अलावा कृत्रिम पौष्टिक आहारों पर निर्भरता बढ़ी है। इससे निपटने के लिए एकलौता विकल्प पौष्टिक तत्वों वाली खाद ही है। जिसके मार्फत माटी में पोषक तत्व में इजाफा संभव होगा।

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अनाज, फल और सब्जियों से हमें चार तरह के पोषक तत्व मिलते हैं। पहली श्रेणी में मिलने वाले तत्वों में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश होता है। द्वितीय श्रेणी के पोषक तत्वों में कैल्शियम, मैग्नीशियम और सल्फर आते हैं। इसके साथ ही सूक्ष्म पोषक तत्वों की फेहरिस्त में जिंक, कापर, आयरन, मैग्नीज, मालर्वेडेनम, वोरान और क्लोरीन को रखा गया है। यह सारे तत्व माटी से हमारे खाद्य पदार्थों के मार्फत हमें प्राप्त होते हैं। जबकि माटी में खड़ी फसलें वातावरण से कार्बन, हाइट्रोजन और ऑक्सीजन लेकर पोषक तत्वों को मजबूत बनाते हैं।

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हैरतअंगेज यह है कि इन पौषक तत्वों में 8 फीसदी कार्बन की मात्रा दरकार है। पर हमारी माटी में फसलें वातावरण से जद्दोजहद के बाद भी 2 और 3 से अधिक कार्बन तैयार नहीं कर पाती हैं। सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का ही नतीजा है कि 100 ग्राम दाल में आयरन की मात्रा 6 ग्राम की जगह 2.7 ग्राम पाई जाती है। रोटी में भी जरूरी पोषक तत्व 4.9 की जगह 2.7 ही होते हैं। चावल में पोषक तत्वों की मात्रा 0.2 कम मिली है।

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चावल में पोषक तत्वों की मात्रा 0.7 होनी चाहिए, लेकिन पड़ताल में केवल 0.5 प्राप्त हुई है। पड़ताल के दौरान पोषक तत्वों में अकेले दाल में फास्फोरस की मात्रा 4 मिली ग्राम कम, रोटी में 49 मिलीग्राम और चावल में 10 मिलीग्राम कम पाई गई है। सिर्फ दाल की ही जांच पड़ताल पर अगर नजर टिकाएं तो कैल्शियम की मात्रा 110 मिलीग्राम की जगह 73 मिलीग्राम पाई गई है। रोटी में 48 की जगह 41 मिलीग्राम कैल्शियम और चावल में 10 की जगह 9 मिलीग्राम कैल्शियम पाया गया है।

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माटी के अंधाधुंध दोहन का असर फाइबर की मात्रा पर भी कम नहीं पड़ा है। दाल में 1.5 ग्राम फाइबर की जगह 1.3 ग्राम, रोटी में 1.9 की जगह 1.7 और चावल में मानक से 2 ग्राम कम फाइबर मिला है। दाल में 33.5 की जगह 33.1, रोटी में 34.8 जगह 33.8 तथा चावल में 345 की जगह 341 कैलारी ऊर्जा ही मिल पाती है। शरीर के लिए सबसे जरूरी प्रोटीन की भी मात्रा हमारी दाल, रोटी और चावल में कम हुई है। दाल में यह कमी 1.6 रोटी में 1.1 और चावल में 6.8 प्रोटीन की मात्रा कम दर्ज हुई है।

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नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक एमपी सिंह बताते हैं, हमने गोबर खाद, हरी खाद और वर्मी कम्पोस्ट सरीखी जैविक खादों से मुंह मोड़ लिया है। दलहनी फसलें की जड़ों ने ऐसे बैक्टिीरिया होते थे जो आसमान से नाइट्रोजन आदि खींचकर माटी की उर्वरता बढ़ाते थे। जैविक खादों ने भी कमोवेश ऐसी ही गुणवत्ता पाई जाती थीं। कार्बन की कमी की वजह तो पेड़ पौधों की अंधाधुंध कटाई है।

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सूबे में हर साल 15 से 20 लाख मिट्टी का सैंपल लेकर मृदा परीक्षण किया जाता है। पर 2 करोड़ 17 लाख किसान परिवार वाले भारी भरकम सूबे में यह आंकड़ा भी संतोषजनक नहीं है। परीक्षण में जो नतीजे सामने आते हैं वे बेहद डराने वाले हैं। शुरुआती परीक्षणों में जिंक की कमी पाई गई। अब तो सल्फर और आयरन की चुकने की स्थिति में आ गए हैं। सूक्ष्म पोषक तत्व, (माइक्रो न्यूट्रेंट) तो लापता हैं। आमतौर पर जिन खादों का उपयोग किसान कर रहा है। वे प्रथम और द्वितीय श्रेणी के पोषक तत्वों की किसी तरह भरपाई तो कर देते हैं पर सूक्ष्म पोषक तत्व तैयार करने अथवा बढ़ाने का कोई जरिया हमारी खादों में नहीं होता है।

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संयुक्त निदेशक शोध एवं मृदा एलबीसी के मुताबिक सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी की वजह यूरिया का अधिक प्रयोग है। खाद पदार्थों में पोषक तत्वों की कमी से चिकित्सक भी खासे चिंतित हैं। यह शरीर के रोगों से लडऩे की प्रतिरोधक क्षमता घटा रहा है। इसके अलावा विकास पर भी असर डाल रहा है। आयरन की कमी से लीवर और हड्डीयों प्रोटीन से मांसपेशियों, कैल्शियम से महिलाओं के स्वास्थ्य और फाइबर की कमी से पाचन शक्ति प्रभावित हो रही है। फास्फोरस की कमी ने आदमी की याददाश्त पर असर डालना शुरू कर दिया है।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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