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चुनावी राज्यों में दिखी कांग्रेस की सांगठनिक कमजोरियां, पार्टी वर्कर के अभाव में भाड़े के लोगों से किया प्रचार

aman
By aman
Published on: 26 Feb 2017 5:32 PM IST
चुनावी राज्यों में दिखी कांग्रेस की सांगठनिक कमजोरियां, पार्टी वर्कर के अभाव में भाड़े के लोगों से किया प्रचार
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उमाकांत लखेड़ा

नई दिल्ली, ब्यूरो: यूपी में समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष और प्रदेश के सीएम अखिलेश यादव द्वारा कांग्रेस से चुनावी समझौते को उनके कुनबे के झगड़े की मजबूरी बताने, शीला दीक्षित द्वारा राहुल गांधी में प्रौढ़ता यानी परिपक्वता की कमी और महाराष्ट्र की नगरपालिकाओं में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने के घटनाक्रमों पर कांग्रेस में गहरा असमंजस पसरता दिख रहा है।

11 मार्च को पांच प्रदेशों के विधानसभा चुनाव नतीजों का इंतजार किए बिना ही कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मानते हैं कि 2014 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हाथों अब तक की करारी पराजय के बावजूद पार्टी की जर्जर सांगठनिक हालत को सुघारने के लिए कारगर कदम न उठाए जाने से निचले स्तर पर पार्टी में कार्यकर्ताओं की किल्लत एक गंभीर संकट का रूप ले रहा है।

गुटबाजी से गंवाया गढ़

राज्यों में विधानसभा सीटों के सभी चरणों के चुनाव प्रचार के क्रम में सामने आई पार्टी सांगठनिक कमजोरियों व उनमें सुधार लाने के कदमों पर विचार के लिए मार्च के आखिर में पार्टी की शीर्ष सांगठनिक बैठक में मंथन होने की संभावना है। हालांकि पंजाब और उत्तराखंड में संगठन में संकट से कांग्रेस का काफी कुछ दांव पर लगा है। मुंबई व महाराष्ट्र के स्थानीय चुनावों में कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त और राज्यों के बड़े कांग्रेस नेताओं के बीच की आपसी गुटबाजी को संगठन की दिशाहीनता के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जा रहा है।

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समर्पित कार्यकर्ताओं का भारी अभाव

दूसरी तरफ, यूपी में अखिलेश-राहुल के करीब आने के बाद भी कांग्रेस में केंद्रीय स्तर पर इस बात को लेकर चिंताएं गहरा रही हैं कि जहां सपा के साथ समझौते में कांग्रेस को सीटें मिली हैं, वहां पार्टी के उम्मीदवार के पास युवा और नई पीढ़ी के समर्पित कार्यकर्ताओं का भारी अभाव होने की खबरें हैं।

कार्यकर्ताओं की बजाय संबंधी जुटे प्रचार में

दिल्ली में केंद्रीय कांग्रेस संगठन से जुड़े एक पदाधिकारी का मानना है कि उत्तर प्रदेश में बीते चरणों के चुनावों में पार्टी उम्मीदवारों ने चुनावी संसाधनों की कमी के अलावा जो सबसे बड़ा कमजोर फैक्टर बताया है वह पार्टी उम्मीदवारों की कार्यकर्ताओं के बजाय निजी मित्रों और परिचितों के अलावा सगे संबंधियों पर ही प्रचार की निर्भरता है।

प्रचार के लिए नेताओं ने भाड़े पर लिए लोग

युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं व नौजवानों का कांग्रेस के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए जो दावे पिछले कई मौकों पर किए गए उस दिशा में प्रगति कछुआ चाल साबित हुई। पंजाब, यूपी और उत्तराखंड में भी कई उम्मीदवारों ने कांग्रेस के चुनाव पर्यवेक्षकों को यह फीडबैक देने में गुरेज नहीं किया कि उन्हें कई मौकों पर पार्टी के रोड शो, रैलियों व दिन-रात के प्रचार कार्य में भाड़े पर लिए गए लोगों की मदद लेनी पड़ी है।

जारी ...

2014 की हार से भी नहीं ली सीख

कांग्रेस में कई पदाधिकारी इस बात से आहत भी हैं कि ढाई बरस पहले लोकसभा के आम चुनावों में करारी हार के बाद पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के स्तर से देश भर में सांगठनिक तौर पर कांग्रेस को ग्रास रूट स्तर पर मजबूत करने के रोडमैप पर कोई ध्यान नहीं दिया।

बिहार के बाद अब यूपी में पीठ पर सवारी

लोकसभा में 120 सांसद भेजने वाले दो अहम राज्यों उत्तर प्रदेश में सोनिया और राहुल के अलावा बिहार से भी दो सांसद रंजीता रंजन और मौलाना असरारूल हक काशमी ही लोकसभा में हैं। बता दें कि बिहार में नीतीश-लालू के साझा प्रयासों से ही कांग्रेस को 27 सीटें नसीब हो सकीं थी। यूपी में भी सपा की पीठ पर सवार होकर कांग्रेस को कुछ नैया पार करने की ढांढस बंधा है।

टीम खड़ा करने में लगता है लंबा वक्त

कांग्रेस में करीब 5 दशक से संगठन के कामकाज से जुड़े एक पदाधिकारी ने बातचीत में स्वीकार किया कि कांग्रेस में समर्पित कार्यकर्ताओं की टीमें खड़ी करने के लिए लंबा वक्त लगता है। पार्टी की विचारधारा से लैस कार्यकर्ता तैयार करना और उन्हें प्रशिक्षित करना एक सतत प्रक्रिया है। बकौल उनके कार्यकर्ता गण कांग्रेस जैसी पार्टी से तभी जुड़ते हैं, जब पार्टी में उनके हितों की रक्षा हो।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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