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ट्रिपल तलाक पर ओवैसी का बड़ा बयान, कहा- मुस्लिम महिलाओं के वोट न खोने के डर से बिल हुआ पास
नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में तीन तलाक बिल को लेकर हुई चर्चा की तुलना बाबरी मस्जिद के गिराए जाने की घटना से की है और कहा कि पिछले गुरूवार को जब इसकी चर्चा हो रही थी तो उस दौरान लोकसभा का माहौल 6 दिसंबर, 1992 की तरह था।
देश के मुसलमान न तो 6 दिसंबर को भूल सकते हैं और न ही लोकसभा में पिछले गुरुवार के माहौल को। पीएम मोदी मुस्लिम महिलाओं के हक के लिए इस बिल को नहीं लाए बल्कि उन्हें जो मुस्लिम महिलाओं के वोट मिला करते हैं, उसे खोने का डर ही इस बिल का कारण है।
उनके कड़े विरोध के बाद लोकसभा में तीन तलाक बिल के पास होने के सवाल पर ओवैसी ने शुक्रवार को कहा कि अगर कोई मुस्लिम अपनी पत्नी को तीन बार तलाक कहकर छोड़ देता है, तो वह अपराध है और इसे रोका जाना चाहिए, लेकिन इस बात का समर्थन करने के लिए ऐसा कोई तथ्य या आंकड़ा मौजूद नहीं है जिससे यह कहा जा सके कि यह एक सामाजिक बुराई है जो समाज को नुकसान पहुंचाती है।
हैदराबाद से तीन बार लोकसभा सदस्य चुने गए ओवैसी ने तीन तलाक बिल में तीन साल की जेल की सजा पर भी सवाल उठाया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि केवल तीन तलाक कहने मात्र से शादी खत्म नहीं होगी तो इसके लिए तीन साल की जेल की क्या आवश्यकता है? हमारे पास महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बहुत से कानून हैं, जिसमें आईपीसी की धारा 498 ए, घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 और मुस्लिम महिला अधिनियम 1986 के तहत धारा 20 और 22 शामिल है।
ओवैसी ने तीन तलाक बिल में सजा के तौर पर तीन साल की जेल देने का विरोध करते हुए सवाल किया कि तीन तलाक कहने पर जेल भेजे जाने वाले व्यक्ति की पत्नी को भत्ता या मुआवजा कैसे मिलेगा?'
उन्होंने तीन तलाक बिल में उन्मूलन और त्याग करने के प्रावधानों में संशोधन के लिए सुझाव दिया था, जिसे सिरे से खारिज कर दिया गया। बीजेपी ने अपने स्वार्थों के लिए मेरे संशोधन के सुझाव को नकार दिया, जबकि कांग्रेस यह साबित करना चाहती है कि वो बीजेपी की तुलना में अधिक हिंदू समर्थक है ।
उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि मुस्लिम महिलाओं को शिक्षा और नौकरी मिलनी चाहिए। अगर सरकार को को लगता है कि मुस्लिम महिलाओं को शिक्षित किया जाना चाहिए, तो उन्हें आरक्षण दे देना चाहिए । तीन तलाक बिल पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसकी क्या गारंटी है कि इस विधेयक के कानून बनने के बाद मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिलेगा। इसका खात्मा कानून से नहीं किया जा सकता।