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पंचतत्व में विलीन हुईं गिरिजा देवी, नम आंखों से काशी ने दी अप्पा को विदाई
ठुमरी गायिका गिरिजा देवी पंचतत्व में विलीन हो गई। देर शाम काशी के मणिकर्णिका घाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ। अप्पा के नाती अरिंदम दत्ता ने उन्हें मुखाग्नि दी।
वाराणसी: ठुमरी गायिका गिरिजा देवी पंचतत्व में विलीन हो गई। देर शाम काशी के मणिकर्णिका घाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ। अप्पा के नाती अरिंदम दत्ता ने उन्हें मुखाग्नि दी। उनके अंतिम यात्रा में लोकगायिका मालिनी अवस्थी के आलावा संगीत घराने के अन्य लोग भी शामिल हुए। उनके निधन के साथ ही बनारस घराने की एक मजबूत कड़ी हमेशा के लिए टूट गई।
पंचतत्व में विलीन हुईं गिरिजा देवी, नम आंखों से काशी ने दी अप्पा को विदाई
श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़े संगीत प्रेमी
दोपहर तकरीबन एक साढ़े बारह बजे गिरिजा देवी का पार्थिव शरीर जेट एयरवेज से वाराणसी के बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचा। एयरपोर्ट पर कमिश्नर, डीएम के अलावा बीजेपी विधायक पहुंचे थे। एयरपोर्ट से उनका पार्थिव शरीर कॉटन मिल क्षेत्र के संजय नगर कॉलोनी स्थित उनके आवास पहुंचा।आवास के सामने पार्क में अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को रखा गया जहां संगीत प्रेमियों संग शहर के नामचीन लोगों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्हें नम आखों से विदाई दी। संगीत प्रेमियों ने अप्पा के लिए भारत रत्न की मांग की है।
पंचतत्व में विलीन हुईं गिरिजा देवी, नम आंखों से काशी ने दी अप्पा को विदाई
संगीत के जरिए दी अंतिम विदाई
शाम तकरीबन चार बजे अप्पा अपनी अंतिम यात्रा पर निकली। शवयात्रा में हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे। बनारस की बेटी के लिए हर किसी की आंखें नम थीं। शवयात्रा में उनकी शिष्याओं ने गीत गाकर उन्हें विदाई दी। आपको बता दें कि 24 अक्टूबर को 88 साल की उम्र में गिरिजा देवी का निधन हुआ था। गिरिजा देवी दिग्गज संगीत साधकों जैसे कंठे महाराज, पंडित लच्छू महराज, पंडित रविशंकर, गोदई महराज, किशन महराज आदि नक्षत्र की अंतिम कड़ी थीं। गिरिजा देवी का जाना सिर्फ बनारस घराने के लिए नहीं बल्कि भारत संगीत के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है।