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पहाड़ापुर गांव में होलिका दहन से पहले होता है लंका दहन

raghvendra
Published on: 28 Feb 2018 11:41 AM GMT
पहाड़ापुर गांव में होलिका दहन से पहले होता है लंका दहन
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तेज प्रताप सिंह

गोंडा: जिले के कर्नलगंज तहसील क्षेत्र के पहाड़ापुर गांव में होलिका दहन से पहले लंका दहन और रावण वध की परंपरा निभाई जाती है। मान्यता है कि ऐसा न किये जाने पर कोई न कोई अनहोनी हो जाती है। इसलिए गांव में शारदीय नवरात्र में नहीं बल्कि होलिका दहन से पहले फागुन मास में रामलीला का मंचन होता है।

इस गांव में करीब दो सौ साल से होली पर रामलीला का मंचन होता चला आ रहा है। लोग बताते हैं कि एक बार रामलीला स्थल पर जल भराव के कारण रामलीला का मंचन नहीं हुआ। होली मनाने के बाद अचानक गांव के कई लोग बीमार हो गए। तब इसे दैवीय प्रकोप माना गया और तभी से यह परम्पराचली आ रही है। वर्ष 1992 में संक्रामक रोग फैलने पर रामलीला नहीं की गई थी। इसके बाद गांव में अचानक आग से 200 घर जल गए थे।

गांव के निकट तालाब और टेढ़ी नदी के बीच बने रामलीला मैदान है। पहले तालाब के पानी से होकर ही मैदान तक पहुंचा जा सकता था। लिहाजा गांव में ब्रह्मादीन के घर से सज धज कर भगवान निकलते थे तो उन्हें कंधे पर बिठाकर तालाब पार कराया जाता था। अब छोटा सा पुल बन जाने के बाद भी भगवान को कंधे पर बिठाने और सात सीढ़ी वाले विमान को उठाने की होड़ लगती है।

वजीरगंज की होलिका में जलती है फिरकापरस्ती

रंगों का पर्व होली आपस में बैर भाव मिटाकर मिलजुल कर रहने का संदेश देता है। जिले के वजीरगंज कस्बे में होली पर गंगा-जमुनी तहजीब की वास्तविक तस्वीर दिखती है। यहां होलिका में बुराई की प्रतीक होलिका के साथ फिरकापरस्ती का भी दहन होता है। इस कस्बे में मस्जिद और मदरसा के सामने होलिका रखी जाती है जहां दोनों सम्प्रदाय के लोग आपसी मेलजोल के साथ रंगों का पर्व मनाते हैं। प्रति वर्ष फागुनी बयार बहने के साथ ही महर्षि पतंजलि और गाजी-ए-पाक रज्जब अली हठीले शाह जैसे सूफी संतों की इस पवित्र भूमि पर रहने वालेे हिन्दुओं के साथ ही मुस्लिम भी होली की तैयारियों में भी जुट जाते हैं। सदियों से यहां होली का त्योहार आपसी भाईचारे के साथ मनाने की परंपरा चली आ रही है। वजीरगंज में भाईचारे की यह अद्भुत विरासत दूर-दूर तक फैली हुई है।

गोंडा-फैजाबाद रोड पर वजीरगंज कस्बे के वजीरगज-झिलाही मार्ग पर इलाहाबाद बैंक के निकट स्थित मस्जिद और मदरसा अरविया फैजाने औलिया रोहानी जामा मोसेक के दरवाजे के सामने ही दूसरी पटरी पर सालों से होलिका दहन होता आ रहा है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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