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Kargil War: 25 साल बाद पहली बार पाकिस्तानी सेना ने कबूली कारगिल युद्ध में भागीदारी, आर्मी चीफ का कबूलनामा

Kargil War: मुनीर ने कहा, मई और जुलाई 1999 के बीच लड़े गए कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में नियंत्रण रेखा के भारतीय हिस्से में घुसपैठ की थी।

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Newstrack Network
Published on: 7 Sept 2024 6:56 PM IST (Updated on: 7 Sept 2024 9:48 PM IST)
Kargil War
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Kargil War (सोशल मीडिया) 

Kargil War: एक बार फिर से कारगिल युद्ध की यादें ताजा हो गई हैं, जब पाकिस्तान ने इस बात को स्वीकार किया कि वह इस युद्ध में शामिल था। 25 साल बाद आखिरकार पाकिस्तान ने पहली बार कारगिल युद्ध में भाग लेने की बात स्वीकार की है। इस युद्ध में पाकिस्तान को भारतीय सेना ने करारी शिकस्त दी थी। इससे पहले हमेशा कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना के शामिल होने पर पाकिस्तान इंकार करता आया था। हाल ही में पाकिस्तान में रक्षा दिवस के अवसर पर सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर ने भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध में अपनी जान गंवाने वाले पाकिस्तानी सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए कार्यक्रम में इस बात को माना।

‘देश और इस्लाम पर कई लोग हुए बलिदान’

जनरल मुनीर ने कहा, पाकिस्तानी समुदाय बहादुरों का समुदाय है जो स्वतंत्रता के महत्व और इसके लिए भुगतान करने के तरीके को समझता है। 1948, 1965, 1971, या भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध या सियाचिन, कई लोगों ने देश और इस्लाम के लिए खुद को बलिदान कर दिया है। कारगिल युद्ध का नाम लेते हुए यह बात स्पष्ट हो गया है कि लद्दाख के कारगिल पहाड़ियों पर लड़ा गया कारगिरल युद्ध में मुजाहिदीन के साथ पाकिस्तान की सेना के जवान भी शामिल थे, जो कि इसे पाकिस्तानी सेना का पिछले 25 साल में पहला कबूलनामा माना जा रहा है। इससे पहले 1999 के बाद पाकिस्तान की सेना के जितने भी जनरल प्रमुख हुए, उन्होंने कारगिल युद्ध को लेकर ऐसा स्पष्ट बयान नहीं दिया।

भारतीय हिस्सों में पाकिस्तान ने की थी घुसपैठ

मुनीर ने कहा, मई और जुलाई 1999 के बीच लड़े गए कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में नियंत्रण रेखा के भारतीय हिस्से में घुसपैठ की थी। भारत ने ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत घुसपैठियों को रणनीतिक चौकियों से पीछे हटने पर मजबूर किया।

बांग्लादेश मुक्ति युद्ध का भी जिक्र

इस दौरान पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध का भी जिक्र किया, जिसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान को पाकिस्तान की उर्दू थोपी गई जंजीरों से मुक्त होने और बांग्लादेश बनने में मदद की थी।

कारगिल युद्ध पर पाकिस्तान का रुख

अब तक पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध को लेकर लगातार प्रत्यक्ष सैन्य भागीदारी से इनकार करता आ रहा था और घुसपैठियों को “कश्मीरी स्वतंत्रता सेनानी” या “मुजाहिदीन” करार दिया था। मुस्लिम बहुल राष्ट्र ने यह भी दावा किया था कि पाकिस्तानी सेना सक्रिय रूप से गश्त कर रही थी, जबकि कबीलाई लोग ऊंचाइयों पर कब्जा किए हुए थे।

कारगिल पाक सेना का था प्रत्यक्ष आक्रमण

वहीं, भारत लगातार इस बात पर जोर देता आ रहा था कि यह यह संघर्ष पाकिस्तानी सेना द्वारा किया गया प्रत्यक्ष आक्रमण था। कारगिल युद्ध के दौरान पद पर रहे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सार्वजनिक रूप से इस ऑपरेशन की निंदा की है, जिसे पाकिस्तानी सेना अक्सर रणनीतिक भूल के रूप में वर्णित करती है। इसके अलावा आतंकवादियों के इस्तेमाल की आड़ में पाकिस्तानी सेना के कारगिल में गुप्त प्रवेश का खुलासा 26 मई और 29 मई को जनरल मुशर्रफ और उनके चीफ ऑफ जनरल स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अजीज के बीच रावलपिंडी में हुई बातचीत के जरिए हुआ था। इस बात चीत के समय मुशर्रफ चीन के बीजिंग में थे।

मेजर, कैप्टन तक के शव लेने से कर दिया था इंकार

कई पत्रकारों ने पुराने समाचार लेख साझा किए हैं, जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तान ने अपने सैन्य कर्मियों के शवों को लेने से इनकार कर दिया था। जो टाइगर हिल और गन हिल पर पड़े थे। भारतीय सेना ने पाकिस्तान को मेजर इकबाल, कैप्टन कमाल शेख और लेफ्टिनेंट इम्तियाज मलिक के शव बरामद होने की सूचना दी थी।

भारतीय सेना ने दफनाया शव

हालांकि भारतीय सेना को कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। 1999 की समाचार रिपोर्टों के अनुसार, भारतीय सैनिकों ने कारगिल सेक्टर में कई पाकिस्तानी सैनिकों के शवों को दफनाया था और अंतिम संस्कार की अध्यक्षता मुस्लिम पुजारी ने की थी।



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Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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