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PAK: पाकिस्तान में ईशनिंदा ने फिर ली जान, थाने से निकाला और जिंदा जला दिया
PAK: एक शख्स पर कुरान के कथित अपमान का आरोप लगाया गया। इसके बाद भीड़ भड़क गई और आरोपी को पुलिस थाने लेकर आई, जिसके बाद भीड़ ने पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया और आरोपी को निकालकर आग लगा दिया।
इस्लामाबादः पाकिस्तान में कट्टरपंथ किस तरह से हाबी हैं। यह यहां हुई एक घटना से साफ दिख जाता है। यहां एक बार फिर कट्टरपंथियों ने एक व्यक्ति की जान ले ली। पुलिस ने कहा कि गुरुवार रात खैबर पख्तूनख्वा के स्वात जिले के मद्यन इलाके में पवित्र कुरान के कथित अपमान पर भीड़ ने एक व्यक्ति की हत्या कर दी। स्वात जिला पुलिस अधिकारी डॉ. जाहिदुल्ला खान ने कहा कि इस हंगामे के कारण आठ लोग घायल हो गए। उन्होंने कहा कि पुलिस कथित अपमान की घटना के कारण आरोपी को थाने ले गई थी। लेकिन उग्र भीड़ पुलिस स्टेशन पर पहुंच गई और हमला कर आरोपी को अपने साथ ले गई।
डीपीओ के मुताबिक उग्र भीड़ ने पुलिस स्टेशन और एक मोबाइल वाहन में आग लगा दी। उन्होंने बताया कि यही नहीं संदिग्ध को भी भीड़ ने आग के हवाले कर दिया। मामले की जांच की जा रही है। सोशल मीडिया पर वीडियो सामने आए हैं, जिसमें सड़क पर पड़े शव को लोग आग लगा देते हैं। भीड़ चारो तरफ खड़ी है और वह जश्न मना रही है। इसके अलावा एक अन्य वीडियो में लोगों को पुलिस स्टेशन के बाहर खड़े देखा जा सकता है।
इलाके में तनाव
डीपीओ खान ने कहा कि स्थिति को देखते हुए मद्यन में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है और तनावपूर्ण स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है। कलाम, बहरीन और अन्य स्थलों के अलावा मद्यन स्वात घाटी के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक हैं। यह पेशावर से लगभग 245 किलोमीटर दूर है। इमरान खान के राजनीतिक दल पीटीआई ने एक पोस्ट में बताया कि केपी के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना का नोटिस लेकर मामले में प्रांतीय पुलिस से संपर्क किया है। उन्होंने रिपोर्ट तलब करते हुए पुलिस प्रमुख को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हर कदम उठाने का आदेश दिया।
पाकिस्तान में बढ़े ईशनिंदा के मामले
इस घटना को लेकर पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फवाद चौधरी ने लिखा, और पागलपन जारी है। हम एक समाज के रूप में आत्महत्या करने पर आमादा हैं। चरमपंथी धार्मिक दृष्टिकोण से प्रेरित होकर जनरल जियाउल हक ने ईशनिंदा के लिए मौत की दी थी। तब से पाकिस्तान में गैर मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा तेजी से बढ़ी है। 1927 और 1986 के बीच पाकिस्तान में सिर्फ 14 घटना ईसनिंदा की दर्ज की गई थी। लेकिन कानून में बदलाव के बाद यह संख्या बढ़ी है। 1987 से 2022 के बीच कम से कम 2120 लोगों पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया।