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कश्मीर पर बड़े हमले की तैयारी, इस दिन को चुना आतंकियों ने
मुहर्रम पर प्रशासन ने कमर कस ली है, सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाया जा रहा है। शिया समुदाय के सभी प्रमुख मजहबी नेताओं के साथ बैठकों का दौर जारी है और एहतियातन हिरासत में लिए कुछ प्रमुख शिया नेताओं को रिहा किया गया है। मुहर्रम-उल-हरम पहली सितंबर से शुरू हो रहा है।
कश्मीर: जम्मू-कश्मीर की वर्तमान स्थिती पर दुनिया भर की नजरें टिकी हुई है। भारत व पाकिस्तान सीमा पर की परिस्थिति लगातार विषम होती जा रही है। मुहर्रम पर आइएसआइ व आतंकी गड़बड़ी न हो इसलिए प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ाई गई।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ आतंकी और अलगाववादी कश्मीर में मुहर्रम-उल-हरम के दौरान गड़बड़ी की साजिश में जुटे हैं।
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ, आतंकी और अलगाववादी कश्मीर में मुहर्रम-उल-हरम के दौरान गड़बड़ी की साजिश में जुटे हैं। इस साजिश को नाकाम बनाने के लिए प्रशासन भी पूरी तरह सक्रिय हो चुका है।
इमामबाड़ों की बढ़ाई गई सुरक्षा...
मुहर्रम पर प्रशासन ने कमर कस ली है, सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाया जा रहा है। शिया समुदाय के सभी प्रमुख मजहबी नेताओं के साथ बैठकों का दौर जारी है और एहतियातन हिरासत में लिए कुछ प्रमुख शिया नेताओं को रिहा किया गया है। मुहर्रम-उल-हरम पहली सितंबर से शुरू हो रहा है।
बताते चलें कि कश्मीर में 5 अगस्त के बाद से कानून व्यवस्था की स्थिति पर असमंजस की स्थिती बनी हुई है, हालांकि प्रशासन का दावा है कि स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है, लेकिन तनाव अभी भी बरकरार है।
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जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों में विभाजित किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले से हताश आतंकी, अलगाववादी और अन्य राष्ट्रविरोधी तत्व इस समय माहौल बिगाडऩे के लिए मौका तलाश रहे हैं। स्थिति को सामान्य बनाए रखने के लिए प्रशासन ने पूरी वादी में प्रशासनिक पाबंदियों को लागू कर रखा है।
शिया समुदाय बहुसंख्यक...
गणना के अनुसार घाटी में शिया समुदाय की आबादी लगभग सात से आठ फीसद है। यह समुदाय श्रीनगर के जडीबल, भगवानपोरा, शालीमार और बेमिना में बहुसंख्यक है। इसके अलावा डाउन-टाउन के कमानघरपोरा, शमसवारी, फतेहकदल, चिंकराल मोहल्ल, हब्बाकदल, रैनावारी, खानयार, नौपुरा, खानकाह-ए-सोख्ता, छत्ताबल, आबीगुजर में भी शिया अच्छी खासी तादाद में हैं।
जिला बडग़ाम के अलावा उत्तरी कश्मीर के मीरगुंड, पट्टन, कुपवाड़ा और दक्षिण कश्मीर के पांपोर, अनंतनाग और पुलवामा व शोपियां में भी शिया समुदाय रहता है। बडग़ाम शिया बहुल जिला है।
पाकिस्तान का साजिश मजहबी नेता हथियार...
घाटी में बदली परिस्थितियों के बीच पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी अलगाववादी खेमे में सक्रिय अपने एजेंटों और अन्य राष्ट्रविरोधी तत्वों के जरिए ही मुहर्रम के दौरान वादी में हिंसा भड़काने का मौका तलाशने मे लगी है।
खुफिया एजेंसी के मुताबिक सक्रिय अलगाववादी शिया समुदाय के विभिनन मजहबी नेताओं व उनके समर्थकों को हथियार बनाने का प्रयास कर रही है। इसके अलावा वह मुहर्रम के जुलूस और मजलिसों के दौरान वादी में शिया-सुन्नी दंगे भी भड़का सकती है। कश्मीर में कई बार मुहर्रम के दौरान कई इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं भी हो चुकी हैं।
मजहबी मजलिसों का इस्तेमाल...
मुहर्रम के दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति को सामान्य बनाए रखने की कवायद में जुटे एक अधिकारी ने बताया कि सामान्य परिस्थितियों में ही मुहर्रम-उल-हरम के दौरान कश्मीर में स्थिति अत्यंत तनावपूर्ण रहती है। हुर्रियत कांफ्रेंस भी मुहर्रम के दौरान अपने राष्ट्रविरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए जुलूस निकालती है। इसके अलावा शिया समुदाय के विभिन्न नेता जो अलगाववादी खेमे से ताल्लुक रखते हैं।
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इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अलगाववादी लोग मजहबी मजलिसों का इस्तेमाल देश के खिलाफ करते हैं। इनमें अंजुमन-ए-शरिया-ए-शिया के आगा हसन बडग़ामी और इत्तेहादुल मुसलमीन के मौलाना अब्बास अंसारी प्रमुख हैं।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी अपना पूरा प्रयास कर रही है कि कश्मीर में मुहर्रम-उल-हरम के दौरान किसी तरिके से गड़बड़ी की जाये। इस साजिश से निपटने के लिए हमने शिया समुदाय की सिविल सोसायटी को विश्वास में लेकर ही विभिन्न सुरक्षा प्रबंध किए हैं।
मजहबी गतिविधियों पर पाबंदी नहीं...
साथ ही साथ अधिकारी ने बताया कि आठ मुहर्रम और आशूरा के दिन संवेदनशील इलाकों में प्रतिबंध के बावजूद शिया बहुल इलाकों में मजहबी गतिविधियों पर कोई पाबंदी नहीं की जायेगी। पुलवामा, बडग़ाम, श्रीनगर और बारामुला में करीब दो दर्जन इमामबाड़ों की सुरक्षा बढ़ाई जा रही है।
मजहबी नेताओं के साथ बैठक...
इसके अलावा इन इमामबाड़ों से संबंधित सभी प्रमुख मजहबी नेताओं के साथ लगातार बैठकें की जा रही हैं। एहतियातन हिरासत में लिए गए शिया समुदाय के कई प्रमुख मजहबी नेताओं को रिहा भी किया जा रहा है ताकि वह अपने समर्थकों को सांप्रदायिक सौहार्द व शांति बनाए रखने के लिए प्रेरित कर सकें।