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Bangladesh tourist visa: बांग्लादेश ने दी पाकिस्तानियों को वीसा में छूट, भारत के लिए एक नई चुनौती
Bangladesh tourist visa: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने 2 दिसंबर को घोषणा की कि पाकिस्तानी नागरिकों को अब वीजा दिए जाने से पहले गृह मंत्रालय के सुरक्षा सेवा प्रभाग (एसएसडी) से 'अनापत्ति' मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं है।
Bangladesh tourist visa: बांग्लादेश ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए अपने वीसा नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव कर दिया है जिसके तहत अब वीसा लेने वाले पाकिस्तानियों को सिक्योरिटी क्लियरेंस की जरूरत नहीं होगी। इस बदलाव से पाकिस्तानियों का बांग्लादेश जाना काफी आसान हो जाएगा। ये हालात भारत के लिए नई सुरक्षा चुनौतियां पेश कर सकते हैं।
क्या है मामला
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने 2 दिसंबर को घोषणा की कि पाकिस्तानी नागरिकों को अब वीजा दिए जाने से पहले गृह मंत्रालय के सुरक्षा सेवा प्रभाग (एसएसडी) से 'अनापत्ति' मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं है। व्यापक सुरक्षा उपायों के बीच 2019 में शुरू की गई इस नीति को कथित तौर पर बांग्लादेश में पाकिस्तान के उच्चायुक्त सैयद अहमद मारूफ द्वारा ढाका में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की नेता खालिदा जिया से मुलाकात करने से ठीक एक दिन पहले हटा लिया गया था। खालिदा जिया कई कार्यकालों तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं।
शेख हसीना के नेतृत्व वाली आवामी लीग की भारत समर्थक नीतियों के विपरीत, खालिदा जिया की पार्टी ने ऐतिहासिक रूप से पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखे हैं। उनके दिवंगत पति और पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान की भी यही नीतियां थीं।
भारत की चिंताएं
इस साल अगस्त में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटाए जाने के बाद से खासकर असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं। यह नीतिगत बदलाव ऐसे समय में हुआ है जब बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच संबंधों में नरमी दिख रही है। नवंबर में, एक पाकिस्तानी मालवाहक जहाज 1971 के बाद पहली बार चटगाँव बंदरगाह पर उतरा। पाकिस्तान के उच्चायुक्त ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ भी चर्चा की है, जिसमें 1971 के मुक्ति संग्राम से उपजे मुद्दों को हल करना भी शामिल है। बांग्लादेशी वीजा नीति में बदलाव और पाकिस्तान के साथ मधुर संबंध बड़े बदलाव का संकेत देते हैं। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हसीना की सरकार के पतन के बाद कहा था कि बांग्लादेश में अशांति के कारण लोगों, खास तौर पर धार्मिक अल्पसंख्यकों का विस्थापन हो सकता है, जिनमें से कई भारत में घुसने की कोशिश कर सकते हैं। उन्होंने कहा था कि पूर्वोत्तर के चरमपंथी संगठन बांग्लादेश में अपने ठिकानों को फिर से स्थापित करने के लिए स्थिति का फायदा उठा सकते हैं।