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पाकिस्तान की हैवानियत! जन्नत था घाटी का ये गांव, बना दिया नरक
केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए हुए आज करीब 1 महीने से ज्यादा हो गए हैं। लेकिन पाकिस्तान अभी भी अपनी बौखलाहट से बाहर नहीं निकल पा रहा है। जम्मू-कश्मीर में शांति की बात करें तो स्थिति पहले से तो कुछ बेहतर है लेकिन लोगों में दहशत का साया इतने दिनों बाद भी बना हुआ है।
नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए हुए आज करीब 1 महीने से ज्यादा हो गए हैं। लेकिन पाकिस्तान अभी भी अपनी बौखलाहट से बाहर नहीं निकल पा रहा है। जम्मू-कश्मीर में शांति की बात करें तो स्थिति पहले से तो कुछ बेहतर है लेकिन लोगों में दहशत का साया इतने दिनों बाद भी बना हुआ है। पाकिस्तान लगातार घाटी के इलाकों में, सेना के ठिकानों पर गोलाबारी कर रहा है और इसके साथ भारत को बार-बार युध्द की भी धमकी दे रहा है।
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जन्नत था ये गांव
बता दें पाकिस्तान ने लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) से लगे हुए गांव गुरेज पर लगातार गोले बरसा रहा है। पाकिस्तान ने सबसे ज्यादा गोलियां इसी गांव में चलाई है। इस गांव के निवासी गोला-बारी के चलते अपने स्थानीय निवास को भी खो बैठे हैं। गोलियों ने उनके घरों को धराशायी कर दिया।
अनुच्छेद 370 का हटना इस गांव के लिए अभिशाप सा बन गया है। जबसे जम्मू-कश्मीर से 370 हटा है तबसे इन गांव की स्थिति बहुत खराब हो गयी है। एलओसी से लगे हुए इस गांव ने सबसे ज्यादा पाकिस्तान की गोला-बारी को झेला है। और अभी भी उसका यही हाल है।
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जन्नत जैसा दृश्य दिखाने वाला ये गांव आज बंजर सा नजर आने लगा है। 27 अगस्त को पाकिस्तान ने इस गांव पर जबरदस्त गोलाबारी की। जिसमें इस गांव के लगभग 15 घर जल के राख हो गए।
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दहशत में हैं लोग
स्थानीय लोग पाक की इन हरकतों से दहशत में तो है ही, इसके साथ ही इन लोगों का काम-काज पूरी तरह से रुक गया है। बच्चे अपनी पढ़ाई करने के लिए स्कूल तक नहीं जा पा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार से हमारी अपील है कि हमें रहने के लिए घर दिलाए।
नन्हें-नन्हें बच्चे मलबे के ऊपर ही सो रहे हैं। निवासियों के जीवन की सारी कमाई जल के मिट्टी में मिल गई। हमले के दौरान यहां के लोग एक बंकर में करीब 100 लोग इकठ्ठा हुए।
वैसे तो इस इलाके में रोजगार के कोई बहुत अच्छे इंतेजाम नहीं है पर अब लोग मलबे में दबे हुए अपने समान को निकाल कर ही दिन व्यतीत कर रहें हैं। इसके साथ ही इन लोगों की सरकार से अपील है कि इनको मकान दिए जाए।
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